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Politics: महाराष्ट्र के चुनाव में हो सकता है बड़ा खेला, कांग्रेस के लिए चुनौती बनेगा अजीत पवार का मुस्लिम प्रेम

अजीत पवार ने दो दिन पहले ही बयान दिया है कि वह आगामी विधानसभा चुनाव में अपने कोटे की 10 प्रतिशत सीटें मुस्लिम उम्मीदवारों को देंगे। इस बयान पर उनके सहयोगी दलों भाजपा और शिवसेना की ओर से तो अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है लेकिन विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी (मविआ) की ओर से उन्हें भाजपा का साथ छोड़कर घर वापसी करने का न्योता जरूर दिया जाने लगा है।

By Jagran News Edited By: Jeet Kumar Updated: Fri, 04 Oct 2024 05:45 AM (IST)
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कांग्रेस के लिए चुनौती बनेगा अजीत पवार का मुस्लिम प्रेम

 ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। महाराष्ट्र में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता एवं उप मुख्यमंत्री अजीत पवार का मुस्लिम प्रेम बढ़ता दिखाई दे रहा है। इस पर उनके दो साथी दलों भाजपा और शिवसेना की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आ रही, लेकिन कांग्रेस की चुनौती जरूर बढ़ती दिखाई दे रही है।

अजीत पवार ने मुसलमानों को लेकर की घोषणा

अजीत पवार ने दो दिन पहले ही बयान दिया है कि वह आगामी विधानसभा चुनाव में अपने कोटे की 10 प्रतिशत सीटें मुस्लिम उम्मीदवारों को देंगे। इस बयान पर उनके सहयोगी दलों भाजपा और शिवसेना की ओर से तो अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी (मविआ) की ओर से उन्हें भाजपा का साथ छोड़कर घर वापसी करने का न्योता जरूर दिया जाने लगा है। यह न्योता कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हुसैन दलवई की ओर से दिया गया है।

कुछ राजनीतिक विश्लेषक अजीत पवार के इस बयान को उनके साथी दलों के साथ वैचारिक मतभेद के रूप में देख रहे हैं। लेकिन उनका यह बयान विपक्षी गठबंधन मविआ में मुस्लिम उम्मीदवारी को लेकर एक चुनौती भी बन सकता है। खासतौर से कांग्रेस जैसे बड़ी और राष्ट्रीय पार्टी के लिए।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आरिफ ने उठाए थे सवाल

याद करना प्रासंगिक होगा कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मोहम्मद आरिफ नसीम खान ने एक बार यह कहते हुए पार्टी का प्रचार करने से मना कर दिया था कि महाविकास आघाड़ी की ओर से एक भी मुस्लिम उम्मीदवार क्यों नहीं दिया गया।

उन्होंने यह कहते हुए कांग्रेस की प्रचार समिति से त्यागपत्र की घोषणा कर दी थी। हालांकि, बाद में वह माने भी और पार्टी उम्मीदवारों का प्रचार भी किया। लेकिन, उनकी नाराजगी से सबक लेते हुए लोकसभा चुनाव के बाद उन्हें न सिर्फ कांग्रेस कार्यसमिति का विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया, बल्कि दो बार विधानपरिषद सदस्य एवं युवक कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके मुजफ्फर हुसैन को प्रदेश कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर संगठन में मुस्लिम नेतृत्व को मजबूत करने का संकेत दिया गया।

राकांपा के साथी दलों भाजपा और शिवसेना ने नहीं दी है इस पर कोई प्रतिक्रिया

अजीत पवार द्वारा अपने 10 प्रतिशत उम्मीदवार मुस्लिम उतारने के बयान का दबाव भी अब निश्चित रूप से कांग्रेस पर दिखाई देगा। सत्तारूढ़ गठबंधन महायुति में अजीत पवार को मिलने वाली सीटों की संख्या उसके दो साथी दलों भाजपा और शिवसेना से कम रहने की संभावना है।

जबकि, महाविकास आघाड़ी में कांग्रेस को मिलने वाली सीटों की संख्या शिवसेना (यूबीटी) और राकांपा (शरदचंद्र पवार) से अधिक या उसके बराबर ही रहने की संभावना है। क्योंकि, हाल के लोकसभा चुनाव में लड़ी गई सीटों पर उसका जीत कर प्रतिशत न सिर्फ शिवसेना (यूबीटी) से अच्छा रहा है, बल्कि पिछले पांच वर्षों में वह टूट से भी बची रही है। उसके विधायकों की संख्या भी अभी राकांपा (शरदचंद्र पवार) एवं शिवसेना (यूबीटी) से अधिक ही है।

अजीत पवार की उक्त घोषणा के बाद कांग्रेस को जितनी भी सीटें मिलेंगी, उनमें अधिक से अधिक मुस्लिम उम्मीदवार देने का दबाव कांग्रेस पर भी रहेगा। लोकसभा चुनाव से काफी पहले बांद्रा (पूर्व) के पूर्व कांग्रेस विधायक बाबा सिद्दीकी राकांपा (अजीत) में शामिल हो गए थे। अब उसी सीट से उनके विधायक पुत्र जीशान सिद्दीकी को कांग्रेस बाहर का रास्ता दिखा चुकी है। जबकि, उस सीट पर सिद्दीकी परिवार की पकड़ अच्छी है।

राज्यपाल द्वारा नामित सदस्यों का कोटा खाली

विधान परिषद के लिए भी राज्यपाल द्वारा नामित सदस्यों का कोटा खाली है। यदि ये सीटें भरी गईं तो उसमें भी अजीत पवार अपनी ओर से किसी मुस्लिम को ही उम्मीदवार बना सकते हैं। महाराष्ट्र के इतिहास में यह पहला अवसर है, जब उच्च सदन में कोई भी मुस्लिम सदस्य नहीं है। यदि यह अजीत पवार की ओर से भेजा जाता है तो इसका भी सांकेतिक लाभ अजीत पवार की पार्टी को ही मिलेगा।