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अखिलेश यादव के तेवर तल्ख! प्रतिशोध की राजनीति फंसा सकती सपा-कांग्रेस में सीट बंटवारे का पेंच

मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में आपसी सहमति बनाने में असफल रही कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की लड़ाई का असर अब लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश की सीटों के बंटवारे पर पड़ने के आसार बढ़ गए हैं। विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (आइएनडीआइए) में शामिल इन दोनों दलों के बीच बड़ा दिल दिखाकर सीटों के बंटवारे वाली भावना प्रतिशोध में बदलती नजर आ रही है।

By Abhinav AtreyEdited By: Abhinav AtreyUpdated: Fri, 20 Oct 2023 07:44 PM (IST)
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प्रतिशोध की राजनीति फंसा सकती सपा-कांग्रेस में सीट बंटवारे का पेंच (फाइल फोटो)
जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में आपसी सहमति बनाने में असफल रही कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की लड़ाई का असर अब लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश की सीटों के बंटवारे पर पड़ने के आसार बढ़ गए हैं। विपक्षी गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस (आइएनडीआइए) में शामिल इन दोनों दलों के बीच 'बड़ा दिल' दिखाकर सीटों के बंटवारे वाली भावना प्रतिशोध में बदलती नजर आ रही है।

सपा मुखिया अखिलेश यादव के रुख से बिल्कुल स्पष्ट है कि अब वह 2024 के लिए कांग्रेस के साथ समझौते की मेज पर बैठेंगे तो उसी जनाधार को फार्मूला बनाएंगे, जिसके आधार पर मध्य प्रदेश में उनके दल को नजरअंदाज किया गया है। ऐसे में उत्तर प्रदेश में सिर्फ एक सांसद वाली कांग्रेस के साथ पेंच फंस सकता है।

सपा और कांग्रेस का नया टकराव सामने आया

भाजपा का विजय रथ रोकने के लिए विपक्ष एकजुट होकर लोकसभा चुनाव के मैदान में उतरने के लिए तैयार है और विपक्ष का साझा प्रत्याशी उतारने की रणनीति भी बन गई है। लेकिन सीटों के बंटवारे तक बात पहुंचने से पहले ही यह प्रयास पटरी से उतरते नजर आ रहे हैं। बंगाल, पंजाब और दिल्ली में रस्साकशी चल ही रही थी कि सपा और कांग्रेस का नया टकराव सामने आ गया है।

उत्तर प्रदेश के परिणाम का असर 2024 के नतीजों पर पड़ेगा

इसमें संदेह नहीं कि सर्वाधिक 80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश के परिणाम 2024 के संपूर्ण नतीजों पर पड़ेगा। भाजपा को इस मजबूत गढ़ में हराने के लिए आइएनडीआइए में सपा, कांग्रेस और रालोद साथ हैं। विपक्ष की बैठकों में तय हुआ था कि बंटवारे में सभी दल बड़ा दिल दिखाएंगे। इस आधार पर माना जा रहा था कि पिछले चुनावी प्रदर्शन की बजाय राष्ट्रीय राजनीति में उसकी भूमिका की अहमियत के हिसाब से कांग्रेस को सपा-ठीक-ठाक सीटें देगी।

ऐसे में कांग्रेस के लिए उत्तर प्रदेश में चुनौती बढ़ेगी

मगर, अखिलेश यादव का यह बयान कि जैसा उन्होंने (कांग्रेस) हमारे साथ मध्य प्रदेश में किया, वैसा ही हम (सपा) भी उत्तर प्रदेश में करेंगे। स्पष्ट संकेत है कि वह सीटों के बंटवारे में जनाधार को केंद्र में रखकर बात करेंगे। यह तेवर दोनों दलों में बढ़ रहे खटास का संकेत दे रहा है। सपा ने ऐसा किया तो कांग्रेस के लिए उत्तर प्रदेश में चुनौती बढ़ेगी।

यूपी में कांग्रेस का वोट प्रतिशत सिमटकर 6.36 रह गया

बता दें कि साल 2019 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों में सिर्फ सोनिया गांधी रायबरेली से जीत सकीं। राहुल गांधी अमेठी से चुनाव हार गए और पार्टी का वोट केवल 6.36 प्रतिशत सिमटकर रह गया। ऐसे में मनचाही सीटों का दावा करने का कांग्रेस का आधार कमजोर है। हालांकि, पांच राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के पास बेहतर प्रदर्शन कर इस कमजोर स्थिति को दुरूस्त करने की एक गुंजाइश है।

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