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चुनाव की आहट के बीच महाराष्ट्र में शुरू हुआ सियासी दांव, कांग्रेस ने पीएम मोदी पर लगाया ये बड़ा आरोप

Maharashtra Assembly Election महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की आहट के बीच सियासी हलचल भी तेज हो चली है। राजनीतिक दलों के बीच दावे-प्रतिदावे का दौर भी शुरू हो गया है। पीएम मोदी के महाराष्ट्र को दुनिया की सबसे बड़ी वित्तीय ताकत बनाने को लेकर दिए गए बयान पर निशाना साधते हुए कांग्रेस ने उन पर कई आरोप लगाए हैं।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Mon, 15 Jul 2024 12:25 AM (IST)
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कांग्रेस ने पीएम मोदी पर लगाया महाराष्ट्र के प्रति शत्रुता दिखाने का आरोप। (File Image)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी के बीच दावे-प्रतिदावे के दांव के सहारे सियासत साधने की कसरत शुरू हो गई है। कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महाराष्ट्र के लिए शनिवार को की गई कुछ घोषणाओं पर सवाल उठाते हुए उन पर राज्य के प्रति असंवेदनशीलता और शत्रुता दिखाने का आरोप लगाया।

पार्टी ने कहा कि पिछले 10 सालों से महाराष्ट्र को लगातार कई प्रमुख परियोजनाओं और निवेशों से वंचित रखा गया है। यहां तक कि कई परियोजनाओं को गुजरात स्थानांतरित कर दिया गया। इससे सूबे के विकास पर प्रतिकूल असर पड़ने के साथ ही लाखों रोजगार के अवसर खत्म हो गए।

पीएम मोदी के बयान को बताया झूठ

पीएम मोदी के मुंबई में शनिवार को दिए इस बयान कि उनका लक्ष्य महाराष्ट्र को दुनिया की सबसे बड़ी वित्तीय ताकत बनाना और मुंबई को वैश्विक फिनटेक राजधानी बनाना है, पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि स्वयंभू गैर-जैविक प्रधानमंत्री का दावा उनका ट्रेडमार्क झूठ है। मुंबई 200 वर्षों से भारत की वित्तीय राजधानी रही है, फिर भी मोदी ने मुंबई में अंतररराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) स्थापित करने से बार-बार इन्कार किया है।

मराठी को शास्त्रीय भाषा घोषित न करने का आरोप

जयराम रमेश ने कहा कि गुजरात में केवल गिफ्ट सिटी में एक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र स्थापित किया गया है। तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह ने 2006 में इसे मुंबई में स्थापित करने के प्रयास शुरू कर दिए थे। जयराम ने दावा किया कि इस केंद्र के लिए बांद्रा कुर्ला कांप्लेक्स में जमीन भी चिन्हित कर ली गई थी, मगर इसे बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए आवंटित कर दिया गया, जिसकी वजह से मुंबई में करीब दो लाख नौकरियों के अवसर खत्म हो गए। उन्होंने आरोप लगाया कि पीएम पिछले 10 वर्षों से मराठी को शास्त्रीय भाषा घोषित करने से लगातार इन्कार कर रहे हैं।