Amit Shah Exclusive: आप प्लान A,B,C तैयार करके चलते हैं, कर्नाटक के लिए भी है क्या? पढ़ें शाह का दिलचस्प जवाब
Amit Shah Exclusive अमित शाह कहते हैं कि मैं आश्वस्त हूं कि कर्नाटक में फिर से सरकार ही नहीं बन रही है बल्कि बहुमत की सरकार बन रही है। जनता हमें एक बार आजमाती है और फिर बार-बार दोहराती है।
By Jagran NewsEdited By: Shashank MishraUpdated: Tue, 02 May 2023 12:48 PM (IST)
नई दिल्ली, आशुतोष झा। कर्नाटक की लड़ाई निर्णायक दौर में पहुंच चुकी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत भाजपा के दिग्गज नेता लगातार कर्नाटक का दौरा कर रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी रविवार को चार रोड शो के लिए देर रात बेंगलुरु पहुंचते हैं और आते ही कुछ बैठकें निपटाते हैं। पार्टी के एक शीर्ष नेता और केंद्रीय मंत्री कुछ कागजात लेकर आते हैं।
शाह थोड़ी देर उनसे कुछ चर्चा करते हैं और फिर दैनिक जागरण के साथ बैठते हैं तो चेहरे पर आश्वस्ति का भाव होता है। कहते हैं-मैं आश्वस्त हूं कि कर्नाटक में फिर से सरकार ही नहीं बन रही है, बल्कि बहुमत की सरकार बन रही है। जनता हमें एक बार आजमाती है और फिर बार-बार दोहराती है।
- उनका साफ मानना है कि मोदी काल में लाभार्थियों की एक विशाल जाति (समूह) खड़ी हो गई है, जो परंपरागत जाति की सीमा को नहीं मानती है। विपक्षी खेमे की कथित एकजुटता, कश्मीर, पंजाब, बिहार में चल रही राजनीति समेत कई मुद्दों पर उन्होंने दैनिक जागरण के राष्ट्रीय ब्यूरो प्रमुख आशुतोष झा से लंबी बात की। पेश हैं इसके प्रमुख अंश-
दक्षिण में कर्नाटक अकेला राज्य है, जहां भाजपा की सरकार है। लेकिन यहां लंबे अरसे से सरकार बदलने का रिवाज रहा है।
- हिमाचल में भी यही हुआ था। रिवाज एक किंवदंती है। भाजपा का रिकार्ड तो यह है कि हम जहां-जहां सरकार बनाते हैं वहां फिर से लोग हमें चुनते हैं। उत्तर प्रदेश ले लीजिए, असम ले लीजिए, त्रिपुरा ले लीजिए, मणिपुर ले लीजिए। रही बात कर्नाटक की तो यहां पहले कांग्रेस कई बार सरकार बना चुकी है, जनता दल की सरकारें बन चुकी हैं। यहां का यह रिवाज भी नहीं है।
लेकिन यहां सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं।
- माइक में किसी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने से कुछ नहीं होता है। कांग्रेस साक्ष्य के साथ एक भी आरोप नहीं लगा सकी है। अगर कुछ है तो साक्ष्य के साथ सामने आएं। कांग्रेस के नेताओं पर साक्ष्य के साथ भ्रष्टाचार साबित हुआ है। चार्जशीट हुई है, जेल गए हैं और बेल पर बाहर आए हैं। कर्नाटक की जनता इसे जानती है। कांग्रेस किसे भ्रमित कर रही है।
राष्ट्रीय स्तर पर भ्रष्टाचार और परिवारवाद भाजपा का बड़ा मुद्दा है। कर्नाटक में भ्रष्टाचार के आरोप को तो आपने खारिज कर दिया है लेकिन यह तो सच्चाई है कि दो दर्जन से ज्यादा परिवार के लोगों को टिकट मिले हैं।
- परिवारवाद को इस तरह नहीं देखा जाना चाहिए। परिवारवाद है- जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी। मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव। देवेगौड़ा..फिर एक बेटा, फिर दूसरा बेटा, फिर बहू फिर कोई और। पार्टी एक परिवार के हाथ से शुरू होती है और परिवार पर ही खत्म होती है। अगर पार्टी में कोई काम कर रहा है तो वह पार्टी का हुआ। अपनी क्षमता से उसे मौका मिलेगा।
भाजपा का दावा है कि वह विकास की राजनीति करती है। लेकिन ऐसा लगता है कि कर्नाटक में वह भी जाति की राजनीति में उलझ गई है।
- आप बताइए कि उत्तर प्रदेश के बारे में क्या कहा जाता था। वहां ध्वस्त हो गई जाति की राजनीति। यहां भी ध्वस्त हो जाएगी। भाजपा केवल विकास की ही राजनीति करती है और आगे भी करती रहेगी।
लेकिन शेट्टार और सावदी जैसे दो नाराज हुए लिंगायत नेताओं के बाद स्थिति को संभालने में पूरी पार्टी लगी हुई है।
- यह आपकी भ्रांति है। वह दोनों नाराज क्यों हुए। क्यों पार्टी छोड़कर गए- इसीलिए तो क्योंकि हमने टिकट नहीं दिया। टिकट दे देते तो बाहर नहीं जाते। लेकिन हमने फैसला लिया, हम नहीं डरते..। हमने तो स्टैंड लिया और मैं आपको बता दूं कि दोनों लोग बहुत बड़े मार्जिन से हारेंगे।
- यही उदाहरण है कि हम जाति की राजनीति नहीं करते और जनता भी नहीं चाहती है। वैसे आपको बता दें कि पहले भी भाजपा के टिकट से वोकालिग्गा और दूसरी जाति के नेता चुनकर आए थे। इस बार और बड़ी संख्या में आएंगे। उन क्षेत्रों से चुनकर आए हैं जहां पारंपरिक रूप से कांग्रेस और जनता दल (एस) मजबूत हुआ करते हैं।
- पिछले नौ साल में केंद्र सरकार और चार साल में प्रदेश की भाजपा की सरकार ने लाभार्थियों की इतनी बड़ी जाति खड़ी कर दी है कि उसमें सब कुछ समाहित हो गया है। यह शायद पत्रकारों को नहीं दिखाई देता है, लेकिन हमें दिखाई देता है।
ऐसा क्या बड़ा कारण है कि आप इतने आशान्वित दिख रहे हैं?
- कर्नाटक की बात करता हूं तो पिछले चार साल में चार लाख घर बनाने का काम हुआ है। जल जीवन मिशन में 43 लाख कनेक्शन दिए गए हैं। 48 लाख शौचालय बनाए गए हैं। अन्न योजना के लाभार्थी चार करोड़ हैं।
- किसान सम्मान निधि पूरे देश में छह हजार रुपये है, यहां प्रदेश सरकार भी चार हजार रुपये जोड़कर कुल 10 हजार रुपये दे रही है। प्रदेश के कई हिस्सों में वर्षों से अटकी जल की समस्या पर सरकार ने काम किया। बेंगलुरु का विकास देखिए। पिछले चार साल में सिंचाई के क्षेत्र में जो कुछ हुआ, पहले कभी नहीं हुआ था।
- 14 लटकी हुई सिंचाई योजनाओं को केंद्र और राज्य सरकार ने मिलकर शुरू किया और परवान चढ़ाया। इतना बजट पहले कभी नहीं खर्च हुआ था। सबसे ज्यादा एफडीआइ कर्नाटक में आया है। मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद बेंगलुरु मेट्रो में 13 हजार करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। स्टार्ट-अप में कर्नाटक आगे है।
- 40 साल से बेंगलुरु की सबअर्बन रेलवे योजना लटकी हुई थी। वह भी इन्हीं चार साल में पूरी हुई है। काम बहुत हुआ है और जनता इसको महसूस करती है।
भाजपा सरकार ने एससी-एसटी का आरक्षण बढ़ाने की घोषणा की, लेकिन यह संशय है कि वह नौवीं अनुसूची में आ पाएगा या नहीं या फिर मुस्लिम आरक्षण को खत्म कर लिंगायत और वोकालिग्गा का आरक्षण लागू हो पाएगा या नहीं?
- सुप्रीम कोर्ट के सामने एक ही बात को चुनौती दी गई, वह है मुस्लिम आरक्षण। मैं आपको कह सकता हूं कि धर्म के आधार पर आरक्षण संविधान सम्मत नहीं है। कोई अदालत इसे नहीं मान सकती है। सुनवाई खत्म होते ही हमारे पक्ष में फैसला आएगा। अभी तेलंगाना में भी हमने घोषणा की थी कि वहां इस तरह से जो आरक्षण है, सरकार बनते ही वहां भी इसे खत्म करेंगे।
आरोप यह लग रहा है कि यह सब कुछ ध्रुवीकरण के लिए किया जा रहा है।
- विपक्ष तो आरोप लगाएगा ही, लेकिन समय तय करेगा कि संविधान सम्मत फैसला लेना क्या गलत है।
यानी आप आश्वस्त हैं कि कर्नाटक में भाजपा की बहुमत की सरकार बनेगी।
- पूरी तरह आश्वस्त हूं। बहुमत से 15 सीटें ज्यादा मिलेंगी।
आपके बारे में माना जाता है कि आप प्लान ए, बी, सी तैयार करके चलते हैं। कर्नाटक के लिए भी कुछ किया होगा।
- प्लान तो तैयार करना ही चाहिए। लेकिन कोई संशय हो तभी तो इसकी नौबत आएगी। यहां संशय की कोई स्थिति ही नहीं है।
हाल में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रधानमंत्री मोदी को जहरीला सांप कहा। फिर मोदी ने भी रैली में यह बात कही कि विपक्ष 91 बार इस तरह के आपत्तिजनक बयान दे चुका है। आपको लगता है कि ऐसे विषय पर जनता प्रतिक्रिया देती है?
- देखिए, मोदी जी भारत के हर कोने में बहुत लोकप्रिय नेता हैं। देश की जनता मानती है कि मोदी जी ने विश्व में भारत को गौरव दिलाया। देश के गरीब मानते हैं कि अब तक किसी ने उनकी ओर देखा नहीं था लेकिन मोदी जी ने उनकी स्थिति बदली, देश की आर्थिक स्थिति अच्छी हुई, देश सुरक्षित हुआ। इस कारण से देश में उनके लिए सम्मान का भाव है। ऐसी स्थिति में अगर कोई इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल करता है तो जनता आहत होती है। प्रतिक्रिया क्या होती है, इसका असर तो नतीजों के दिन ही दिखेगा। देखिएगा।
यह बार-बार दिखता है कि प्रधानमंत्री पर भाजपा की निर्भरता बहुत ज्यादा है।
- पार्टी किसी पर आश्रित नहीं होती है। लेकिन जो नेता होगा उसके रूप में पार्टी की अभिव्यक्ति होगी। एक समय में अटल जी पार्टी को अभिव्यक्त करते थे, अब मोदी जी करते हैं। यह तो सच है कि मोदी जी लोकप्रिय हैं और उनकी इस लोकप्रियता का फायदा पार्टी को हो, यह तो पार्टी का अधिकार है। इसमें निर्भरता की बात नहीं है।
इस चुनाव में जनता दल (सेक्युलर) को कहां देखते हैं?
- जनता समझ चुकी है कि जनता दल (एस) को वोट देने का अर्थ है कांग्रेस को वोट देना। पिछले चुनाव का विश्लेषण जनता बहुत अच्छे से कर रही है। हम तो पहले नंबर की पार्टी थे, दूसरे नंबर पर कांग्रेस और तीसरे नंबर पर जनता दल। लेकिन नतीजा आया और वह कांग्रेस के दरवाजे पर पहुंच गए। इसीलिए जिन्हें कांग्रेस को वोट नहीं करना है, वे जनता दल को वोट नहीं देंगे।
भाजपा ने बासवराज बोम्मई के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात की है, लेकिन उन्हें मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित नहीं किया है। क्या कुछ चौंकाने वाली घोषणा हो सकती है?
- जब हमने कहा है कि उनके नेतृत्व में चुनाव हो रहा है तो संशय क्या है। वह अभी भी मुख्यमंत्री हैं और लिंगायत हैं। बेवजह सवाल खड़े किए जाते हैं। जहां भी हमारे सिटिंग सीएम लड़ रहे होते हैं और उनके नेतृत्व में चुनाव की बात की जाती है तो अलग से घोषणा का अर्थ नहीं होता है।
राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के वक्त लंबे समय तक कर्नाटक में थे। क्या नतीजे को उस यात्रा के परिणाम के रूप में भी देखा जा सकता है?
- भारत जोड़ो यात्रा के बाद उत्तर-पूर्व में तीन चुनाव हुए, जो कांग्रेस का गढ़ थे। तीनों जगह कांग्रेस डबल डिजिट में नहीं पहुंच सकी। ये तीनों राज्य भाजपा के लिए नए और गैर परंपरागत क्षेत्र थे, लेकिन जनता ने हमें चुना।
राहुल गांधी, प्रियंका गांधी की ओर से लोगों को गारंटी दी गई है।
- आप थोड़ा इतिहास भी देखिए। इस तरह की गारंटी उन्होंने गुजरात में भी दी थी, असम, उत्तर प्रदेश जैसे कई राज्यों में दी थी। लेकिन हर जगह हारे। जिस पार्टी की ही गारंटी नहीं है, वह क्या गारंटी देगी। वैसे सवाल तो यह है कि जिस पांच गारंटी की बात कर रहे हैं, उसे छत्तीसगढ़ में, राजस्थान में दे दिया है क्या। वहां तो अब कांग्रेस को पांच साल होने को आ रहे हैं।
- जनता सब देखती है, कोरे भाषण से कुछ नहीं होता है। हमने मुफ्त की रेवड़ी बांटने की जगह लोगों का जीवन स्तर उठाने का काम किया है। घर दिया, पानी दिया, शौचालय दिया, गैस दिया, स्वास्थ्य बीमा दिया। असर इसका होता है।
पीएफआइ पर बैन का असर चुनाव पर दिखेगा?
- यह बहुत बड़ा सुरक्षा का मुद्दा है। पूरे दक्षिण भारत में पीएफआइ के कारण आम जनता की सुरक्षा की चिंता रहती थी। भाजपा ने कठोरता से काम किया और एक ही दिन के अंदर पूरे देश में पीएफआइ के कैडर को रात के 12 बजे जेल के अंदर डालने का काम किया। सिर्फ कर्नाटक में ही 91 लोगों को जेल में डाला गया।
राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी दल एकजुट हो रहे हैं और नीतीश कुमार केंद्रीय भूमिका में है। आप इसे कैसे देखते हैं?
- इसमें क्या एकजुटता है। नीतीश जी के कितने उम्मीदवार गुजरात में लड़ेंगे, ममता जी के कितने प्रत्याशी उत्तर प्रदेश में लड़ेंगे। दिल्ली में कौन एकजुट हो जाएगा। केसीआर तो हर जगह घूम रहे हैं, लेकिन वह कहीं पर नहीं हैं, सिर्फ बैकफुट पर हैं। इससे न तो जनता को फर्क पड़ता है और न ही नतीजों पर कोई असर।
2019 के चुनाव में भाजपा 303 तक पहुंच गई लेकिन वोट 40 फीसद से कुछ कम ही था। विपक्षी दल भाजपा के खिलाफ एक ही उम्मीदवार उतारने का फैसला करते हैं तो क्या भाजपा के लिए मुश्किल खड़ी नहीं होगी?
- मुझे बताइए कि यह कैसे होगा। बसपा नहीं लड़ेगी क्या, पंजाब का अकाली दल नहीं लड़ेगा क्या, कम्युनिस्ट और ममता जी एक हो जाएंगे क्या। लेकिन आपकी बात सही है कि हमें 10 फीसद की कमी नहीं रखनी चाहिए। इस बार पूरा प्रयास करेंगे कि इस कमी को भी पाट दें।
बिहार में 2015 के विधानसभा चुनाव वाले समीकरण फिर से बनने के कारण 2024 लोकसभा चुनाव इस राज्य में आपके लिए बड़ी चुनौती साबित होंगे?
- आप लोग इतिहास में जीते होंगे, भाजपा नहीं। हमारे लिए चुनावी हार भी सीख का माध्यम होती है। आप मेरी बात ध्यान से सुन लीजिए, 2024 और 2015 में नौ वर्षों का अंतर है। इसका प्रमाण 2020 के विधानसभा चुनाव हैं जिसमें हमारा स्ट्राइक रेट 70 फीसद था। उसके बाद हम अकेले लड़कर दो उपचुनाव भी जीते।
- मोदी जी सारे देश की तरह बिहार के भी सर्वाधिक लोकप्रिय नेता हैं। भाजपा जाति नहीं जनकल्याण की राजनीति के साथ समाज के सभी वर्गों को साथ लेकर चलती है। आपको समझना पड़ेगा कि 2015 में केंद्र की मोदी सरकार सिर्फ एक वर्ष पुरानी थी और वहां के गरीब मोदी सरकार के प्रति 'आकांक्षी' होने का भाव रखते थे।
- 2014 से अब तक मोदी सरकार ने वहां 32 लाख आवास, 1.2 करोड़ शौचालय, 85 लाख उज्ज्वला गैस, 75 लाख आयुष्मान कार्ड और 1.56 करोड़ घरों में हर घर जल योजना से पानी के नल दिए हैं। इसके अतिरिक्त किसान सम्मान निधि द्वारा 85 लाख किसानों को 18.4 हजार करोड़ रुपये की मदद और गरीब कल्याण योजना से 8.7 करोड़ परिवारों को मुफ्त राशन दिया गया है।
- गरीब कल्याण के इन सतत प्रयासों से पिछले आठ वर्षों में बिहार की 'आकांक्षी' जनता अब 'लाभार्थियों' में परिवर्तित होकर मजबूती के साथ प्रधानमंत्री मोदी के साथ खड़ी है।
उत्तर प्रदेश में 2014 में आपको 73 सीटें मिली थीं, परंतु 2019 में संख्या 64 पर आ गई। इस बार फिर से विपक्ष में साझा उम्मीदवार की कवायद चल रही है। क्या यह आपके लिए चुनौती नहीं बनेगा?
- 2017 में सपा-कांग्रेस और 2019 में सपा-बसपा को हमने हराया है। मुझे याद है 2019 में सपा-बसपा के साथ आने पर आप लोगों ने यूपी में हमें समाप्त मान लिया था। आपको समझना पड़ेगा कि बाकी दल एंटी-इंकम्बेंसी (सत्ताविरोधी लहर) का सामना करते हैं, परंतु मोदी जी के नेतृत्व को भाजपा प्रो-इंकम्बेंसी (सत्ता के समर्थन में जनभावना) का लाभ मिलता है। उत्तर प्रदेश में हमें 2019 में 50 फीसद वोट मिले थे, जो 2024 में बढ़ेंगे और हम 2014 से भी बेहतर करेंगे।
बिहार में आनंद मोहन को रिहा किया गया। इस बारे में भाजपा में बहुत स्पष्टता नहीं है।
- नहीं..बिहार प्रदेश भाजपा ने इसका विरोध किया है। हमारे स्तर पर पूरी स्पष्टता है।
लेकिन भाजपा के कुछ नेताओं ने तो स्वागत ही किया।
- मैं नहीं जानता। हो सकता है किसी ने कुछ कहा हो, लेकिन भाजपा का मानना है कि यह गलत हुआ।
दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भाजपा बहुत हमलावर है, जबकि पंजाब में अमृतपाल मामले में आम आदमी पार्टी के ही मुख्यमंत्री भगवंत मान की आपने बहुत प्रशंसा कर दी। एक ही पार्टी को लेकर दो तरह का रुख है।
- जहां तक पंजाब का सवाल है तो वह बार्डर राज्य है। ऐसे में हर किसी को राजनीति से ऊपर उठना चाहिए।
हाल में नक्सलियों ने फिर से हमला किया। इस पर क्या कहेंगे?
- मैं आल टाइम हाई की बात नहीं कर रहा हूं, लेकिन 2014 के पहले से तुलना कीजिए। बिहार, झारखंड लगभग नक्सलमुक्त हो चुके हैं। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश भी मुक्त हो चुके हैं। अब छत्तीसगढ़ के चार जिले बचे हुए हैं। आंकड़े देखिए। प्रभावित थाने कम हो गए, प्रभावित आबादी कम हो गई, मारे गए लोगों की संख्या 20 फीसद कम हो गई और मारे गए नक्सलियों की संख्या 20 फीसद बढ़ गई है। मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद नक्सलवाद पर लगाम लगी है।
आजकल आपकी सरकार का नारकोटिक्स पर बहुत ध्यान है, परंतु ड्रग्स पकड़े जाने के मामले लगातार क्यों बढ़ रहे हैं?
- आपके प्रश्न में ही उत्तर है.. ड्रग्स की तस्करी पहले भी होती थी, लेकिन मामले पकड़ में नहीं आते थे। अब उनका भारी मात्रा में पकड़ा जाना ही इस लड़ाई में मोदी सरकार की सफलता का साक्ष्य है। हमने अब तक 22 हजार करोड़ रुपये की ड्रग्स जब्त की हैं और छह लाख किलोग्राम ड्रग्स को जलाकर देश ही नहीं दुनिया में एक बड़ा संदेश दिया गया है।
- पिछले नौ वर्षों में पहले के मुकाबले मारफीन की जब्ती में 860 फीसद, हेरोइन में 242 फीसद और केटामाइन में 362 फीसद की वृद्धि हुई है। स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ पर मोदी जी ने ड्रग्स फ्री इंडिया का आह्वान किया है। गृह मंत्रालय लगातार प्रदेश सरकारों और अन्य संस्थाओं के साथ मिलकर इस अभियान को आगे बढ़ा रहा है।
- हम संस्थागत और प्रशासनिक सुधारों के साथ राष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता अभियान भी चला रहे हैं। हमारे लिए ड्रग का सेवन करने वाला क्रिमिनल नहीं, बल्कि विक्टिम है। यह एक सामूहिक लड़ाई है, जिसे हम सबको मिलकर लड़ना है।
पंजाब में आए दिन ड्रग्स पकड़ी जा रही हैं। क्या पंजाब नशामुक्त हो पाएगा?
- नारकोटिक्स के खिलाफ तो हम लोगों ने बहुत काम किया है। एनकोर व्यवस्था बनाई गई है। हमने एक पालिसी तैयार की है। 16 हजार थाने तैयार किए गए हैं। पहले यह होता था कि कुछ पकड़ा गया है तो केस हो गया। अब अगर कहीं भी थोड़ा भी पकड़ा गया है, तो वहां से लेकर उसका पूरा नेटवर्क देखने की कोशिश होती है।
- इसके कारण बहुत बड़ी सफलता मिली है। पहले 900 करोड़ रुपये का नारकोटिक्स पकड़ा गया था, अब 22 हजार करोड़ रुपये का। पहले एक लाख किलो नारकोटिक्स जलाया जाता था, अब हमने छह लाख किलो जलाया है।
- मोदी जी के नेतृत्व में यह फैसला हुआ है कि 2047 तक हम लोग देश को नशामुक्त कर देंगे। इसमें मीडिया ने भी बहुत मदद की है। जागरूकता फैलाई है।
उत्तर पूर्व में कई कोशिशें दिख रही हैं। आपने जो लक्ष्य बनाया था, क्या वह समय से पूरा होता दिख रहा है?
- जब मैं पार्टी अध्यक्ष था और असम में पहली बार चुनाव आया तो मैं गया था। तब वहां के कार्यकर्ताओं ने बताया था कि स्वतंत्रता दिवस का कार्यक्रम वहां एक औपचारिकता होता था। कहीं झंडोत्तोलन हो गया, लेकिन उत्सव कभी नहीं होता था। अब पूरे प्रदेश में उत्सव होता है।
- आठ हजार सशस्त्र कैडरों ने सरेंडर किया है। लगभग नौ संगठनों ने सरकार के साथ समझौता किया है। हिंसा में 67 फीसद की कमी आई है। न बंद है, न आंदोलन है, न हिंसा होती है। खुद मोदी जी उत्तर-पूर्व में 50 बार से ज्यादा गए हैं।
- देश में किसी भी दूसरे प्रधानमंत्री का नाम बताइए जिन्होंने इतनी प्राथमिकता दी हो। अफस्पा डिनोटिफाई हुआ है। कांग्रेस ने घोषणा की थी कि हम आए तो अफस्पा खत्म कर देंगे। हमने वह नहीं किया। हमने स्थिति ऐसी बनाई कि अफस्पा की जरूरत न रहे। राज्यों के साथ समझौते हुए। असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच वर्षों पुराना मुद्दा सुलझ गया।
जम्मू-कश्मीर से आए दिन हिंसा की खबरें आती हैं। 370 हटाने के बाद ऐसा क्या बदल गया वहां पर?
- सबसे पहले मैं आपको कुछ आंकड़े दूंगा। हिंसक घटनाओं में 68 फीसद, नागरिकों की हत्या में 82 फीसद और कुल हत्याओं में 72 फीसद तक की कमी आई है। पत्थरबाजी अब इतिहास है, घुसपैठ और कट्टरपंथ के प्रसार में भी भारी कमी है।
- घाटी की अर्थव्यवस्था की धुरी पर्यटन एक बार फिर से खड़ा हो गया है, जिसका प्रमाण इस बार एक करोड़ 80 लाख पर्यटकों का वहां पहुंचना है। अमरनाथ यात्रा शांतिपूर्वक संपन्न हुई। जम्मू कश्मीर में पहली बार निजी क्षेत्र आर्थिक निवेश कर रहा है।
- पंचायत और स्थानीय निकायों के चुनावों में ऐतिहासिक रूप से 98 फीसद मतदान के साथ आज 30 हजार जनप्रतिनिधि जम्मू-कश्मीर में प्रजातंत्र की जड़ें मजबूत कर रहे हैं। जम्मू-कश्मीर एक बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है। आप लोगों को भी स्विट्जरलैंड की जगह गुलमर्ग और पहलगाम जाकर स्वयं देखना चाहिए यह बदलाव।
कुछ दिन पहले पुंछ में आतंकी घटना हुई और सैनिक बलिदान हो गए। कब तक कार्रवाई हो पाएगी?
- मैं इतना कहूंगा कि 370 हटाने के बाद एक भी ऐसा केस नहीं है जिसका निराकरण न हुआ हो। पुलिस लगी है। आप ये बताइए कि 370 हटाने के बाद आपने एक भी पत्थरबाजी की घटना के दृश्य देखे हैं। मारे गए आतंकी के शव के साथ चलने वाली भीड़ के दृश्य देखे हैं।
- पहले कोई गृह मंत्री जाता था तो बाजार खुलते ही नहीं थे। अब तो ऐसा कुछ नहीं होता है। अब हर कश्मीरी को आयुष्मान भारत मिला है। आइआइएम, एम्स सब कुछ मिल रहा है। जो लोग कहते थे 370 हटने के बाद खून की नदियां बहेंगी, वे भी देख रहे होंगे कि स्थिति कितनी अलग है। यह मोदी सरकार की बहुत बड़ी सफलता है।
कश्मीर में चुनाव कब होंगे?
- चुनाव हमें नहीं कराना है। सीमांकन हो चुका है, लेकिन मुझे लगता है कि मतदाता सूची पूरी होनी चाहिए। जो भी वहां के लोग हैं, उन्हें पूरा अधिकार मिलना चाहिए कि वोट डाल सकें। चुनाव आयोग जब तय करे, हम तैयार हैं।