No Confidence Motion: मणिपुर में हिंसा के बाद क्यों नहीं लगा राष्ट्रपति शासन? Amit Shah ने विपक्ष को दिया जवाब
No Confidence Motion केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर में सभी पक्षों से शांति की अपील की और कहा कि वहां हुई घटनाएं शर्मनाक हैं लेकिन उस पर राजनीति करना उससे भी ज्यादा शर्मनाक है। इसी बीच उन्होंने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने की विपक्ष की मांग को भी खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि अगर मुख्यमंत्री असहयोग करते तो इसकी जरूरत पड़ती।
नई दिल्ली, एजेंसी। Amit Shah On Manipur Violence: लोकसभा में केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion) पर चर्चा चल रही है। प्रधानमंत्री मोदी गुरुवार को चर्चा का जवाब देंगे, लेकिन बुधवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्षियों पर जमकर निशाना साधा।
क्या कुछ बोले अमित शाह?
लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए गृह मंत्री ने मणिपुर से जुड़े घटनाक्रम का ब्यौरा दिया और सरकार द्वारा वहां शांति स्थापित करने की दिशा में उठाये गए कदमों की जानकारी दी। साथ ही उन्होंने बताया कि आखिर पूर्वोत्तर राज्य में राष्ट्रपति शासन क्यों नहीं लगाया गया?
'मणिपुर पर राजनीति करना ज्यादा शर्मनाक'
अमित शाह ने मणिपुर में सभी पक्षों से शांति की अपील की और कहा कि वहां हुई घटनाएं शर्मनाक हैं, लेकिन उस पर राजनीति करना उससे भी ज्यादा शर्मनाक है। इसी बीच उन्होंने मणिपुर में सत्ता परिवर्तन से इनकार करते हुए कहा,
मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह शांति बहाली के प्रयासों में केंद्र का सहयोग कर रहे हैं।
गृह मंत्री ने खारिज की विपक्ष की मांग
वहीं, उन्होंने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने की विपक्ष की मांग को भी खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि अगर मुख्यमंत्री असहयोग करते तो इसकी जरूरत पड़ती। उन्होंने कहा,
हमने हिंसा भड़कने के एक दिन बाद मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक को बदल दिया। हमने एक सुरक्षा सलाहकार भी नियुक्त किया और उसे एकीकृत कमान तंत्र का प्रभारी बनाया।
अबतक कितने लोगों ने गंवाई अपनी जान?
इसी बीच उन्होंने कहा कि मणिपुर में हिंसक घटनाओं में अबतक 152 लोग मारे गए हैं। इन घटनाओं को लेकर 1106 प्राथमिकी दर्ज की गईं और लोगों को गिरफ्तार किया गया है। अमित शाह ने दो महिलाओं की निर्वस्त्र परेड से संबंधित वीडियो मामले पर कहा कि यह घटना 4 मई की है और बेहद शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि कोई भी सभ्य समाज इसे स्वीकार नहीं कर सकता।