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सिख विरोधी दंगे और आपरेशन ब्लू स्टार की फाइल सार्वजनिक करने की मांग, सच्चाई का पता लगाने की गई बताई जरूरत

रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (आरएडब्ल्यू-रा) के पूर्व अधिकारी जीबीएस संधु की पुस्तक द खालिस्तान कांस्पिरेसी का हवाला देते हुए सिंह ने कहा है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के विरोध में सिख दंगे फैलना सच्चाई से परे हैं।

By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputPublished: Mon, 31 Oct 2022 08:44 PM (IST)Updated: Mon, 31 Oct 2022 08:44 PM (IST)
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता आरपी सिंह ने गृह मंत्री अमित शाह को लिखा पत्र

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता आरपी सिंह ने गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर आपरेशन ब्लू स्टार और 1984 के सिख विरोधी दंगे से जुड़ी फाइलें सार्वजनिक करने की मांग की है। चार जांच कमीशन, नौ कमेटी और दो एसआइटी के गठन के बावजूद दंगा पीड़ितों को न्याय नहीं मिलने का आरोप लगाते हुए सिंह ने सच्चाई को सामने लाने के लिए एक आयोग के गठन को भी जरूरी बताया है।

आरएडब्ल्यू-रा के पूर्व अधिकारी का बयान

रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (आरएडब्ल्यू-रा) के पूर्व अधिकारी जीबीएस संधु की पुस्तक 'द खालिस्तान कांस्पिरेसी' का हवाला देते हुए सिंह ने कहा है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के विरोध में सिख दंगे फैलना सच्चाई से परे हैं। उनके अनुसार 1985 में आम चुनावों को ध्यान में रखते हुए सिख विरोधी दंगों की साजिश काफी पहले रची गई थी और इसे इंदिरा गांधी की हत्या के बाद अंजाम दिया गया।

दंगे के आरोपित सज्जन कुमार के जेल जाने के लिए मोदी सरकार के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि इसके अन्य आरोपित 38 साल बाद भी खुलेआम घूम रहे हैं।आरपी के अनुसार जस्टिस धींगरा कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में सिख विरोधी दंगे की और उसके बाद आरोपितों को बचाने में अ²²श्य शक्तियों का हाथ होने की जिक्र किया था, लेकिन सरकार की ओर से अभी तक इस पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट नहीं सौंपी गई है।

संबंधित फाइलों को किया जाना चाहिए सार्वजनिक

उन्होंने आरपेशन ब्लू स्टार और सिख विरोधी दंगे के पीछे एक अकबर रोड की टीम का हाथ होने का आरोप लगाते हुए कहा कि इसकी सच्चाई सामने आना जरूरी है। इसके लिए इससे संबंधित फाइलों को सार्वजनिक किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सच्चाई का पता लगाने के लिए एक आयोग का गठन किया जा सकता है जो उस समय अहम पदों पर बैठे अधिकारी, जो अभी तक जीवित हैं, से पूछताछ कर सकता है।

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