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कांग्रेस के घोषणापत्र पर बोले अरुण जेटली, कहा- ऐसा एजेंडा है,जो देश को तोड़ने का काम करेगा

अरुण जेटली ने कांग्रेस के घोषणा पत्र को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा। उनका कहना है कि कांग्रेस के घोषणा पत्र में जो बातें कही गईं हैं वह देश की एकता के खिलाफ हैं।

By Nitin AroraEdited By: Updated: Tue, 02 Apr 2019 08:40 PM (IST)
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कांग्रेस के घोषणापत्र पर बोले अरुण जेटली, कहा- ऐसा एजेंडा है,जो देश को तोड़ने का काम करेगा
नई दिल्ली, एएनआइ। भाजपा ने कांग्रेस के घोषणापत्र को अव्यावहारिक और देश को बांटने वाला बताया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और वित्तमंत्री अरुण जेटली ने देश के लिए विभाजनकारी प्रावधानों वाला घोषणापत्र जारी करने के लिए कांग्रेस पर हमला बोल दिया। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि इसे तैयार करने में शहरी नक्सलियों की मदद ली गई है। जेटली ने घोषणापत्र में कश्मीर पर लंबे-चौड़े वादे के बावजूद कश्मीरी पंडितों के नरसंहार पर चुप्पी लगाने पर हैरानी जताई। गरीबों को सालाना 72 हजार रुपये देने को सबसे बड़ा धोखा बताते हुए जेटली ने कहा कि 'नासमझी में बड़े-बड़े वायदे किये जा रहे हैं।'

अरुण जेटली के अनुसार ऊपर से अच्छी दिखने वाली कांग्रेस के वादे की तह में जाने पर पता चलता है कि यह देश के लिए कितना खतरनाक है। इसमें अलगाववादियों से बातचीत करने, आफस्पा (सशस्त्र सेना विशेष सुरक्षा कानून) को हटाने, देशद्रोह की धारा को समाप्त करने और सभी अपराधियों को जमानत देना जैसे वादे राष्ट्रीय सुरक्षा को कमजोर कर देश को विभाजन की ओर ले जाने वाले हैं।

कांग्रेस को घोषणापत्र तैयार करने में शामिल शहरी नक्सलियों ने तमाम अपराध के बावजूद अपनी जमानत का इंतजाम करने की कोशिश की है। इसके लिए कानून की विभिन्न धाराओं में संशोधन किया जाएगा। जाहिर है जमानत के नियम बन जाने के बाद नक्सलियों के साथ-साथ आतंकी और महिलाओं के साथ अपराध करने वालों का भी कानूनी शिकंजे से बचना सुनिश्चित हो जाएगा। वहीं महिलाओं को सुरक्षा देने का केवल जुबानी वादा किया गया है। जेटली ने कहा, 'लगता है माओवादियों का जरूरत से ज्यादा सहयोग ले लिया गया है।'

देशद्रोह को अपराध की श्रेणी से हटाने के वायदे पर बिफरे अरुण जेटली ने कहा, 'ऐसा करने वाला एक भी वोट पाने का अधिकारी नहीं है।' ब्रिटेन में देशद्रोह के अपराध नहीं होने के एक सवाल के जवाब में जेटली ने कहा कि ब्रिटेन अलगाववादी हिंसा से नहीं जूझ रहा है। वहीं भारत आजादी के बाद से विभिन्न भागों में अलगाववादी हिंसा का शिकार रहा है। नक्सली हथियार के बल पर लोकतांत्रिक व्यवस्था को उखाड़ फेंकने की खुली घोषणा कर चुके हैं। ऐसे में देशद्रोह के कानून को निरस्त करना घातक साबित होगा।

जेटली ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू से लेकर मनमोहन सिंह तक किसी कांग्रेसी प्रधानमंत्री ने इसे निरस्त करने का प्रयास नहीं किया। लेकिन पिछले कुछ सालों से शहरी नक्सलियों के टुकड़े-टुकड़े गैंग के साथ दोस्ती दिखाने वाले राहुल गांधी उनके कहने पर इसे निरस्त करने की बात कह रहे हैं। इसी तरह अफस्पा को हटाने की बात कर कश्मीर में तैनात सुरक्षा बलों के जवानों के मनोबल को कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है।

'न्याय' योजना को सबसे बड़ा धोखा करार देते हुए अरुण जेटली ने कहा कि राहुल गांधी की ओर से पहली बार इसकी घोषणा के बाद से इसे लागू करने को लेकर कांग्रेसियों के बयान बदलते रहे हैं। सबसे पहले यह बताया गया कि केंद्र सरकार की यह योजना गरीबों को मिलने वाली मौजूदा सब्सिडी के अलावा होगी। यानी इससे मौजूदा सब्सिडी पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

जब सवाल उठा कि इसके लिए पैसे कहां से आएंगे तो कहा गया कि टैक्स बढ़ाया जाएगा। जब टैक्स बढ़ाने पर सवाल उठने लगे तो चिदंबरम ने आगे आकर कहा कि जब अर्थव्यवस्था बढ़ेगी तो इसके लिए पैसे का इंतजाम हो जाएगा। यानी इस समय पैसे का कोई इंतजाम नहीं है। अब घोषणापत्र में कांग्रेस ने कहा कि इसे राज्यों की मदद से लागू किया जाएगा। यानी इसका भार राज्यों को भी वहन करना होगा।

हालात यह हैं कि कांग्रेस की केवल पांच राज्यों में सरकार है। यही नहीं, शुरू में मौजूदा सब्सिडी को नहीं छेड़ने की बात करने वाली कांग्रेस अब गैर-जरूरी सब्सिडी को हटाने की बात कर रही है। यानी 'न्याय' के लिए किसी भी सब्सिडी को गैर-जरूरी बताकर खत्म किया जा सकता है।

इसी तरह किसानों की कर्ज माफी, कर्ज रिकवरी को सिविल अपराध बनाना और एक समान जीएसटी को भी जेटली ने नासमझी में किया गया वादा करार दिया। जेटली ने कहा कि किसानों के कर्ज की वसूली को कुछ राज्यों ने कानून बनाकर अपराध की श्रेणी में रखा है और उसका केंद्र के साथ कोई लेना-देना नहीं है।

इसी तरह जेटली ने राहुल गांधी को राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, पंजाब और कर्नाटक में कर्ज माफी की जमीनी स्थिति देखने की सलाह दी। वहीं जीएसटी पर जेटली ने कहा कि इसे जल्द ही पांच और 15 फीसद के दो स्लैब तक सीमित कर दिया जाएगा, लेकिन भारत जैसे देश में गरीबों और अमीरों के उपयोग की वस्तुओं और सेवाओं पर एक समान टैक्स की बात बेमानी है।