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Deputy Speaker Election: डिप्टी स्पीकर पद के लिए विपक्ष ने चला ये दांव... लेकिन यहां फंस रहा पेच

आईएनडीआईए का कहना है कि डिप्टी स्पीकर का पद परंपरागत रूप से विपक्ष को दिया जाता है। जैसाकि वाजपेयी की एनडीए सरकार के दोनों कार्यकाल में कांग्रेस के पीएम सईद को डिप्टी स्पीकर बनाया गया तो मनमोहन सिंह की यूपीए की पहली सरकार में एनडीए के सहयोगी अकाली दल के चरणजीत सिंह अटवाल को यह पद दिया गया। जबकि दूसरे कार्यकाल में भाजपा नेता करिया मुंडा डिप्टी स्पीकर बनाए गए।

By Jagran News Edited By: Narender Sanwariya Updated: Sun, 30 Jun 2024 07:54 PM (IST)
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विपक्ष ने डिप्टी स्पीकर पद की उम्मीदवारी को लेकर आपसी सहमति बना ली है। (File Photo)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विपक्षी आईएनडीआईए गठबंधन ने लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव में कांग्रेस नेता के सुरेश की उम्मीदवारी पर तृणमूल कांग्रेस की ओर से दिखाई गई झिझक के मद्देनजर डिप्टी स्पीकर पद की उम्मीदवारी को लेकर पहले ही आपसी आम सहमति का आधार बना लिया है।

इस क्रम में विपक्षी दलों ने लगभग तय कर लिया है कि लोकसभा के डिप्टी स्पीकर पद के लिए फैजाबाद से समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद आईएनडीआईए के उम्मीदवार होंगे। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस और आईएनडीआईए के प्रमुख सहयोगी दलों समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक के साथ ही शरद पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी की आपसी बातचीत में निर्विवाद रूप से अवधेश विपक्ष की साझी पसंद के रूप में उभरे हैं।

चर्चा के बाद बनी सहमति

विपक्ष डिप्टी स्पीकर पद पर परंपरागत रूप से अपनी स्वाभाविक दावेदारी मान रहा है पर एनडीए सरकार तैयार नहीं हुई तो फिर चुनाव की स्थिति में भी अवधेश प्रसाद ही विपक्ष के संयुक्त उम्मीदवार के रूप में उतरेंगे।

कांग्रेस सूत्रों ने डिप्टी स्पीकर पद के लिए शीर्ष विपक्षी नेताओं के बीच अनौपचारिक बातचीत होने का संकेत देते हुए कहा कि लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी की सपा प्रमुख अखिलेश यादव और टीएमसी महासचिव अभिषेक बनर्जी संग इसको लेकर बीते हफ्ते ही चर्चा हुई।

तृणमूल कांग्रेस ने दिखाई झिझक

स्पीकर पद पर के सुरेश की उम्मीदवारी का समर्थन करने में 12 घंटे का वक्त लगाने के साथ तृणमूल कांग्रेस की ओर से दिखाई गई झिझक के मद्देनजर कांग्रेस ने डिप्टी स्पीकर पर सहयोगी दलों को पहले ही भरोसा में लेना मुनासिब माना है। सूत्रों ने बताया कि राहुल गांधी ने अखिलेश से अपनी बातचीत में सपा सांसद अवधेश प्रसाद को डिप्टी स्पीकर बनाने का प्रस्ताव रखा जिस पर सपा प्रमुख ने सहर्ष हामी भरी।

उम्मीदवार का औपचारिक एलान

इसके बाद जब राहुल गांधी की अखिलेश और अभिषेक बनर्जी की एक साथ मंत्रणा हुई तो टीएमसी नेता ने भी ममता बनर्जी की ओर से अवधेश प्रसाद का नाम प्रस्तावित किया। समझा जाता है कि इसके उपरांत राहुल गांधी ने शरद पवार और एमके स्टालिन से चर्चा कर उनकी सहमति भी हासिल कर ली है। हालांकि विपक्ष की ओर से डिप्टी स्पीकर के लिए उम्मीदवार का औपचारिक एलान तभी होगा जब सरकार चुनाव कराने की घोषणा करेगी।

क्यों अवधेश प्रसाद पर बनी सहमति?

  • संसद के पहले सत्र में तीन दिन ही बचा है जिसमें राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पारित कराना सरकार के एजेंडे में शामिल है और डिप्टी स्पीकर चुनाव पर सरकार ने अपने पत्ते अभी तक नहीं खोले हैं।
  • विपक्षी नेताओं की आपसी चर्चा में अवधेश प्रसाद के नाम पर बेझिझक सहमति की सबसे बड़ी वजह साफ है कि आईएनडीआईए फैजाबाद में भाजपा की हार को देश की राजनीति के लिए एक बड़ा निर्णायक संदेश मान रहा है।
  • कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल यह कह चुके हैं कि अयोध्या से जुड़े फैजाबाद में सपा के अवधेश प्रसाद की जीत भाजपा के वैचारिक धारा की शिकस्त का बड़ा संदेश है।
  • यह इस लिहाज से भी कहीं ज्यादा अहम है कि इस अनारक्षित लोकसभा सीट पर दलित समुदाय से आने वाले अवधेश प्रसाद ने भाजपा को पराजित किया है।

फैजाबाद के सांसद को राजनीतिक अहमियत देने का संदेश तो 18वीं लोकसभा की पहली बैठक में ही दे दिया गया था जब अखिलेश अपने एक हाथ में संविधान और दूसरे हाथ से अवधेश प्रसाद को थामे सदन में पहुंचे। राहुल गांधी ने भी अवेधश प्रसाद को उसी दिन से विपक्ष के प्रमुख चेहरों में रखने का संदेश देते हुए उन्हें पहली पंक्ति में अपने साथ बिठाते हुए चर्चा की।

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भाजपा ने खत्म किया यह सिलसिला

मोदी सरकार ने 2014 में सत्ता में आने के बाद डिप्टी स्पीकर का पद परंपरागत रूप से विपक्ष को दिए जाने के सिलसिले को खत्म कर दिया था और एनडीए के अपने ही सहयोगी अन्नाद्रमुक के थंबी दुरूई को डिप्टी स्पीकर बनाया। जबकि 2019 के चुनाव के बाद 17वीं लोकसभा में कोई डिप्टी स्पीकर बनाया ही नहीं गया और यह पहला मौका था जब किसी लोकसभा के कार्यकाल में डिप्टी स्पीकर नहीं बना।

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