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Azad Quits Congress: गुलाम नबी आजाद के सोनिया गांधी को लिखे तल्ख पत्र के पीछे सरकार से 'इनाम' की चाह देख रही कांग्रेस

आजाद के इस्तीफे को बड़ा झटका मानते हुए कांग्रेस के एक वरिष्ठ रणनीतिकार ने कहा कि पत्र में गांधी परिवार विशेष रूप से राहुल गांधी पर जिस तरह तीखे निजी हमले किए गए हैं उससे साफ लगता है कि उनकी राज्यसभा में वापस लौटने की यह आखिरी बड़ी कोशिश है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Updated: Fri, 26 Aug 2022 08:55 PM (IST)
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दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद के पार्टी छोड़ने के बड़े फैसले

संजय मिश्र, नई दिल्ली। दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद के पार्टी छोड़ने के बड़े फैसले के सियासी नफा-नुकसान का आकलन करने में जुटी कांग्रेस में यह माना जा रहा कि आजाद की निगाहें अब भी राज्यसभा में वापसी की ओर लगी है। सरकारी मनोनयन से भरी जाने वाली तीन राज्यसभा की सीटें अभी रिक्त है और कांग्रेस नेतृत्व के समर्थक नेताओं की मानें तो आजाद की नजरें इसी पर टिकी है। खासकर कांग्रेस के शीर्षस्थ नेतृत्व गांधी परिवार के खिलाफ आजाद ने अपने पत्र में शब्दों की जैसी बमबारी की है उसे देखते हुए पार्टी नेता इसके लिए इनाम के तौर पर सरकार की ओर से राज्यसभा में मनोनीत किए जाने की संभावनाएं जता रहे हैं। पार्टी में सलाह-मशविरे की प्रक्रिया का ढांचा ध्वस्त होने के आजाद के आरोपों को भी कांग्रेस नेता निराधार बताते हुए यह भी कह रहे हैं कि उनकी पसंद से ही जम्मू-कश्मीर प्रदेश कांग्रेस का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।

गांधी परिवार पर आजाद के शब्दों की बमबारी के बाद मनोनयन वाली रिक्त तीन राज्यसभा सीटें में अपनी उम्मीद देखेंगे आजाद

आजाद के इस्तीफे को बड़ा झटका मानते हुए कांग्रेस के एक वरिष्ठ रणनीतिकार ने कहा कि पत्र में गांधी परिवार विशेष रूप से राहुल गांधी पर जिस तरह तीखे निजी हमले किए गए हैं उससे तो साफ लगता है कि उनकी राज्यसभा में वापस लौटने की यह आखिरी बड़ी कोशिश है। उनके अनुसार राहुल और गांधी परिवार के खिलाफ प्रधानमंत्री की नफरत सर्वविदित है और आजाद को इसमें अपना योगदान देने के लिए ईनाम मिल सकता है। राज्यसभा की मनोनयन से भरी जाने वाली सीटों में सरकार ने अभी भी तक दक्षिण भारत के लोगों को ही मनोनीत किया है और तीन सीटें रिक्त है।

अब उत्तर भारत का नंबर है और आजाद इस कसौटी पर भी खरे उतरते हैं। वैसे कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने अपने आधिकारिक टवीट में भी इस ओर इशारा करते हुए कहा कि जिस व्यक्ति को कांग्रेस नेतृत्व ने सबसे ज्यादा सम्मान दिया। उसी व्यक्ति ने कांग्रेस नेतृत्व पर व्यक्तिगत आक्रमण करे अपने असली चरित्र को दर्शाया है। आजाद की राज्यसभा से विदाई के दौरान पीएम मोदी और आजाद के भावुक आदान-प्रदान की ओर इशारा करते हुए जयराम ने कहा कि पहले संसद में मोदी के आंसू, फिर परम विभूषण, फिर बंगले का एक्सटेंशन, यह संयोग नहीं सहयोग है।

आजाद की पसंद से जम्मू-कश्मीर कांग्रेस का अध्यक्ष बना, सोनिया ने खुद उनको प्रदेश अध्यक्ष बनाने की पेशकश की थी

मालूम हो कि राज्यसभा से रिटायर होने के डेढ साल बाद भी आजाद पुराने सरकारी बंगले में ही रह रहे हैं। कांग्रेस में वरिष्ठों को दरकिनार करने के आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए पार्टी के एक अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि बीते 14 जुलाई तक चार दफा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर आजाद से सलाह मशविरा किया गया। प्रदेश अध्यक्ष के लिए उनके दिए चार नाम में से ही एक व्यक्ति को जम्मू-कश्मीर कांग्रेस की कमान सौंपी गई है। इतना ही नहीं एक साल पहले आजाद को खुद प्रदेश अध्यक्ष बनने का प्रस्ताव सोनिया गांधी ने दिया था, मगर उनकी रूचि कांग्रेस के राजनीतिक चुनौतियों से निपटने में नहीं बल्कि राज्यसभा सीट पर ही थी और संभवत: मनोनयन वाली सीटों पर अपनी संभावनाएं देखते हुए उन्होंने इस्तीफा दिया है।

संवाद और दरकिनार के आरोप बेबुनियाद मान रही पार्टी

वैसे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राहुल और प्रियंका के साथ इलाज के लिए विदेश प्रवास पर होने के दौरान गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे ने शुक्रवार को कांग्रेस के रणनीतिकारों को भौचक कर दिया। दोपहर 12 बजे दिल्ली की शराब-आबकारी नीति पर केजरीवाल सरकार को घेरने के लिए जयराम रमेश और अजय माकन ने कांग्रेस मुख्यालय में प्रेस कांफ्रेंस बुलाई थी। लेकिन इसके आधे घंटे पहले ही आजाद ने इस्तीफे का सियासी बम फोड़ दिया और कांग्रेस को अपनी आबकारी नीति की प्रेस कांफ्रेंस स्थगित करनी पड़ी।

जयराम और माकन ने आजाद के पार्टी छोड़ने की अपनी शुरुआती प्रतिक्रिया देते हुए बाकायदा यह बात कही भी। कांग्रेस नेताओं ने शुरूआत में तो आजाद पर नरम और सधी टिप्पणियां कि मगर पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से संपर्क और संवाद होने के बाद आजाद पर कांग्रेस नेताओं ने भी ताबड़तोड़ जवाबी हमले शुरू कर दिए।