UP में मुस्लिम सियासत का केंद्र बने आजम खान, काफी समय से डोरे डाल रही कांग्रेस; चंद्रशेखर भी कर रहे कोशिश
राजनीति में निष्क्रिय होकर भी सपा के कद्दावर नेता आजम खान इस समय मुस्लिम सियासत के केंद्र में बने हुए हैं। कांग्रेस आजम के सहारे सपा के पाले से मुस्लिमों को खींचने का प्रयास कर रही है। वहीं चंद्रशेखर भी उन्हें अपनी तरफ करने की कोशिश में लगे हुए हैं।
By Jagran NewsEdited By: Achyut KumarUpdated: Tue, 24 Oct 2023 08:11 PM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। Azam Khan: उत्तर प्रदेश में मुस्लिम मतों के लिए सपा और बसपा के बीच लंबे समय से कबड्डी चल रही है। फिर जब से कांग्रेस ने यूपी में दोबारा पैर जमाने के लिए पसीना बहाना शुरू किया तो वह भी मुस्लिम वोटों की पुरानी उत्तराधिकारी बनकर सामने आ गई।
आजम खान पर डोरे डाल रही कांग्रेस-भीम आर्मी
दिलचस्प बात यह है कि इस राजनीति के केंद्र में सपा के राष्ट्रीय महासचिव आजम खान तब भी बने हुए हैं, जब वह कानूनी शिकंजों में फंसकर राजनीति में बिल्कुल निष्क्रिय हो चुके हैं। सपा इस वोटबैंक को उनके नाम पर बचाए रखने के लिए चिंतित नजर आती है तो कांग्रेस लंबे समय से सपा के कद्दावर नेता पर डोरे डाले जा रही है। भीम आर्मी के चंद्रशेखर आजाद भी उन्हीं के सहारे अपनी दलित-मुस्लिम राजनीति की नींव रखना चाहते हैं।
सलाखों के पीछे हैं आजम खान
यूपी में सपा सरकार की विदाई के बाद पुराने मामलों की परतें खुलनी शुरू हुईं और सपा के दिग्गज नेता व पूर्व मंत्री आजम खां की मुश्किलें बढ़ना शुरू हो गईं। वह पत्नी-बेटे सहित पहले भी जेल जा चुके हैं और अब फिर सलाखों के पीछे हैं। उनके परिवार का कोई सदस्य अब केंद्र या प्रदेश के किसी सदन का सदस्य भी नहीं रहा, लेकिन इसके बावजूद मुस्लिम राजनीति के जोड़तोड़ अभी उनसे बहुत दूर नहीं हो पाए हैं।यह भी पढ़ें: Azam Khan in Jail: आजम खां ने कुछ इस तरह बिताई जेल की पहली रात, पहले मांगी इतिहास की किताब फिर किया मना
सपा के सबसे प्रमुख मुस्लिम चेहरा हैं आजम खान
इसमें कोई संदेह नहीं है कि आजम खां समाजवादी पार्टी के सबसे प्रमुख मुस्लिम चेहरा रहे हैं या कहें कि अभी भी हैं। यही कारण है कि इससे पहले जब वह जेल गए थे, तब आजम के समर्थकों सहित कांग्रेस ने भी यह सवाल उठाने से गुरेज नहीं किया था कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव खुलकर आजम का साथ क्यों नहीं दे रहे। उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अल्पसंख्यक विभाग ने तो इसे जोरशोर से उठाया। हालांकि, बाद में अखिलेश यादव ने रुख बदला और अब वह भी रामपुर के पूर्व सांसद से जुड़ी हर गतिविधि पर नजर रखते हैं और प्रतिक्रिया भी देते हैं।
(अजय राय, फाइल फोटो)