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बांग्‍लादेशी घुसपैठियों को भारत में रहने की नहीं मिलेगी अनुमति: दिलीप घोष

भारत में 2 करोड़ बांग्‍लादेशी घुसपैठियों को रहने की इजाजत नहीं दिलीप घोष

By Monika MinalEdited By: Updated: Wed, 22 Jan 2020 09:59 AM (IST)
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बांग्‍लादेशी घुसपैठियों को भारत में रहने की नहीं मिलेगी अनुमति: दिलीप घोष
कूचबिहार, एएनआइ। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) व राष्‍ट्रीय नागरिकता पंजीकरण (NRC) को लेकर देश में मचे बवाल के बीच पश्‍चिम बंगाल के भाजपा प्रमुख दिलीप घोष ने मंगलवार को बांग्‍लादेशी मुस्‍लिमों को भारत में रहने की अनुमति से साफ इंकार कर दिया। उन्‍होंने कहा कि भारत में 2 करोड़ बांग्‍लादेशी घुसपैठिए हैं।

एक रैली के दौरान अपने संबोधन में उन्‍होंने कहा, ‘दो करोड़ बांग्‍लादेशी मुस्‍लिम घुसपैठिए भारत में घुस गए, एक करोड़ पश्‍चिम बंगाल में और एक करोड़ देश के विभिन्‍न हिस्‍सों में हैं। हम उन्‍हें यहां रहने की इजाजत नहीं देंगे। यदि उनके नाम मतदाता सूची में है तो वह हटा दिया जाएगा। यह रैली नॉर्थ 24 परगना जिले में आयोजित की गई थी। उन्‍होंने कहा, ’50 लाख मुस्‍लिम घुसपैठियों की पहचान कर ली जाएगी, जरूरत पड़ने पर उन्‍हें देश से बाहर खदेड़ दिया जाएगा।’

नागरिकता कानून और एनआरसी का विरोध करने वाली पश्‍चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी पर हमला बोलते हुए उन्‍होंने कहा, ‘सबसे पहले मतदाता सूची में से मुस्‍लिम घुसपैठियों के नाम हटा दिए जाएंगे तब दीदी (Mamata Banerjee) किसी का पक्ष नहीं लेगी।’ उन्‍होंने आगे कहा कि घुसपैठियों को हटाने के कारण 2021 की राज्‍य विधानसभा चुनावों में ममता बनर्जी को मिलने वाले वोट कम हो जाएंगे। उन्‍होंने कहा, ‘ऐसा होते ही आगामी चुनावों में वोटों की संख्‍या कम हो जाएगी, हमें 200 सीटें मिलेंगी, उन्‍हें 50 सीटें भी नहीं मिलेंगी।’

इससे पहले भी भाजपा प्रदेश अध्‍यक्ष दिलीप घोष ने बंगाल में एनआरसी लागू करने को लेकर अपने संकल्‍प के प्रति दृढ़ता जाहिर की थी। उन्‍होंने कहा था कि यहां रहने वाले अवैध शरणार्थियों को बांग्लादेश भेजा जाएगा। उन्‍होंने कहा कि सालों से यहां रहने वाले शरणार्थी अब तक देश के नागरिक नहीं हो पाए हैं। महात्मा गांधी से लेकर तमाम पार्टियों- कांग्रेस, वाममोर्चा के नेताओं ने नागरिकता देने की बात कही लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

इस कानून के तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आने वाले पाकिस्‍तान, अफगानिस्‍तान और बांग्‍लादेश के हिंदुओं, सिखों, जैनियों, पारसी, बौद्धों और ईसाईयों को यहां की नागरिकता दी जाएगी।