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ओडिशा के सभी 30 जिलों में लागू होगी 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' योजना

केंद्र सरकार की बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना को ओडिशा के सभी 30 जिलों में लागू किया जाएगा। राज्य सरकार ने इसे लेकर एक प्रस्ताव को मंजूरी दी।

By TaniskEdited By: Updated: Sun, 29 Dec 2019 08:43 AM (IST)
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ओडिशा के सभी 30 जिलों में लागू होगी 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' योजना

भुवनेश्वर, एएनआइ। केंद्र सरकार की 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' (बीबीबीपी) योजना को ओडिशा के सभी 30 जिलों में लागू किया जाएगा। राज्य सरकार ने इसे लेकर एक प्रस्ताव को मंजूरी दी। इस योजना का उद्देश्य बाल लिंगानुपात की गिरावट को दूर करना है। 

ओडिशा सरकार की विकास, महिला और बाल विकास सलाहकार सुलता देव ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा 'मैं केंद्र सरकार को ओडिशा के सभी 30 जिलों में योजना को लागू करने के उनके निर्णय के लिए धन्यवाद देती हूं। नयागढ़ जिले में सबसे पहले इस कार्यक्रम को लागू किया गया था। यहां 2015 में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में इसे लागू किया गया था। महिलाओं के खिलाफ अत्याचार और यौन हिंसा के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए जिले में एक जागरूकता अभियान शुरू किया गया था।'

नवीन पटनायक सरकार ने कई योजनाएं शुरू की

सुलता देव ने कहा कि नवीन पटनायक की अगुवाई वाली बीजेडी सरकार ने महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन हिंसा को रोकने के लिए परी और ऑपरेशन मुस्कान जैसी कई योजनाएं शुरू की हैं। 

महिलाओं के साथ अपराध की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है

सुलता देव ने कहा कि महिलाओं के साथ दुष्कर्म के मामलों और अपराध की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। हमने निर्भया उन्नाव और हैदराबाद दुष्कर्म जैसे मामले इसके उदाहरण है।'बेटी बचाओ, बेटी पढाओ' कार्यक्रम का उद्देश्य महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध को कम करने के प्रयास में इन सभी समस्याओं के बारे में लोगों को अवगत कराना है। 

 2015 में शुरू हुआ 'बेटी बचाओ, बेटी पढाओ' कार्यक्रम

'बेटी बचाओ, बेटी पढाओ' कार्यक्रम  2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य जागरूकता पैदा करना और लड़कियों के लिए कल्याणकारी सेवाओं की दक्षता में सुधार करना था। यह कार्यक्रम 100 करोड़ रुपये की प्रारंभिक निधि के साथ शुरू किया गया था।

लिंगानुपात में सुधार हुआ

जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, भारत में बाल लिंग अनुपात (0-6 वर्ष) 2001 में प्रति 1,000 लड़कों पर 927 लड़कियां थी, जो 2011 में गिरकर प्रत्येक 1,000 लड़कों पर 918 लड़कियां हो गया। इस साल सितंबर में, केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा था कि पिछले पांच वर्षों में राष्ट्रीय स्तर पर 918 से लेकर 931 तक लिंगानुपात में 13 अंकों का सुधार हुआ है।

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