Bihar Floor Test: बहुमत परीक्षण में फेल हुई नीतीश सरकार तो आगे क्या होगा, फ्लोर टेस्ट में कैसे होती है वोटिंग?
Bihar Floor Test महागठबंधन से नाता तोड़ 28 जनवरी को एनडीए के साथ नई सरकार बनाने वाले नीतीश को आज विधानसभा में बहुमत परीक्षण देना होगा। नीतीश आज सदन में सबसे पहले अपनी सरकार के बहुमत को लेकर वोटिंग का प्रस्ताव रखेंगे। अगर नीतीश बुहमत परीक्षण में फेल होते हैं तो क्या होगा आखिर ये परीक्षण होता कैसे हैं। आइए इन सभी सवालों के जवाब जानते हैं...
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Bihar Floor Test बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की आज अग्निपरीक्षा है। महागठबंधन से नाता तोड़ 28 जनवरी को एनडीए के साथ नई सरकार बनाने वाले नीतीश को आज विधानसभा में बहुमत परीक्षण देना होगा।
नीतीश कुमार आज सदन में सबसे पहले अपनी सरकार के बहुमत को लेकर वोटिंग का प्रस्ताव रखेंगे। अगर नीतीश बुहमत परीक्षण में फेल होते हैं तो क्या होगा, आखिर ये फ्लौर टेस्ट होता कैसे है। आइए, इन सभी सवालों के जवाब जानते हैं...
क्या होता है फ्लौर टेस्ट
फ्लौर टेस्ट किसी भी गठबंधन सरकार के मामले में मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री को विश्वास मत पेश करने के लिए किया जाता है। इससे ये जाना जाता है कि क्या सीएम को विधानसभा में बहुमत प्राप्त है या नहीं। यह संसद और विधानसभा दोनों जगह होता है।फ्लौर टेस्ट में फेल हुए तो क्या?
आज नीतीश कुमार को फ्लौर टेस्ट देते हुए दिखाना होगा कि उनके पास जरूरी बहुमत का आंकड़ा है। जब भी सरकार के पास बहुमत होने पर सवाल उठाए जाते हैं तो बहुमत का दावा करने वाले सीएम को अपने सभी विधायकों से वोटिंग करवानी होती है। जितने भी विधायक विधानसभा में पेश होते हैं, उनके ही वोट गिने जाते हैं।
अगर कोई सीएम बहुमत परीक्षण में फेल हो जाता है, तो उसे इस्तीफा देना पड़ता है।
कौन करवाता है फ्लौर टेस्ट
फ्लौर टेस्ट राज्य के विधानसभा अध्यक्ष या उनकी गैर मौजूदगी में प्रोटेम स्पीकर कराते हैं। अध्यक्ष न होने पर अस्थाई तौर पर प्रोटेम स्पीकर बनाया जाता है। फ्लौर टेस्ट में राज्यपाल का काम सिर्फ आदेश देने का होता है। इसमें राज्यपाल की कोई भूमिका नहीं होती है। इसमें विधानसभा में विधायक पेश होकर अपना वोट करते हैं।