Bihar Politics: नीतीश कुमार ने क्यों छोड़ा भाजपा का साथ, राजद के यूं आए करीब
नीतीश ने भाजपा को छोड़ने का कारण बताते हुए कहा कि एनडीए में उन्हें अपमानित होना पड़ रहा था। षड्यंत्र रचकर जदयू का कद छोटा करने का प्रयास किया जा रहा था। अगर अभी भी सतर्क नहीं हुए तो पार्टी के लिए अच्छा नहीं होगा।
By TilakrajEdited By: Updated: Wed, 10 Aug 2022 01:53 PM (IST)
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। भाजपा से गठबंधन तोड़कर नीतीश कुमार ने फिर महागठबंधन से नाता जोड़ लिया है। ज्यादातर लोगों के दिमाग में यही सवाल उठ रहा है कि आखिर नीतीश ने भाजपा का दामन क्यों छोड़ा? आखिर नीतीश, भाजपा के साथ रहते हुए राजद के करीब कैसे आए? नीतीश का कहना है कि एनडीए में वह अमानित हो रहे थे।
राजद के यूं आए करीब...
- 22 अप्रैल: लालू परिवार की इफ्तार पार्टी में नीतीश कुमार ने शिरकत की। अपने आवास से राबड़ी देवी के आवास तक पैदल गए। तेजस्वी से अच्छे रिश्ते का संकेत दिया।
- 10 मई: जातीय जनगणना के मुद्दे पर तेजस्वी यादव ने दिल्ली तक पैदल मार्च की घोषणा कर नीतीश सरकार पर दबाव बनाया। नीतीश ने उन्हें मिलने के लिए बुलाया।
- 10 जून: अग्निपथ योजना को लेकर आंदोलन के दौरान बिहार भाजपा के दस नेताओं की सुरक्षा में केंद्रीय बल तैनात कर दिया गया। इससे भी भाजपा के प्रति अविश्वास बढ़ा।
- 31 जुलाई: भाजपा के सात मोर्चों की संयुक्त कार्यसमिति का पटना में आयोजन। अमित शाह का आना। जेपी नड्डा का यह कहना कि क्षेत्रीय दलों का अस्तित्व खत्म हो जाएगा।
- जदयू और भाजपा के बीच कई दिनों से तनातनी की स्थिति बनी थी। एक महीने में ही चार ऐसे मौके आए, जब नीतीश ने भाजपा के कार्यक्रमों से दूरी बनाई।
- सात अगस्त: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में दिल्ली में नीति आयोग की बैठक में शामिल होने के लिए उन्हें बुलाया गया था, किंतु नहीं गए।
- 17 जुलाई: गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में नीतीश कुमार ने जाना जरूरी नहीं समझा।
- 22 जुलाई: पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द की विदाई पर भोज में नीतीश को आमंत्रित किया गया, मगर नहीं गए।
- 25 जुलाई: नवनिर्वाचित राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के शपथ ग्रहण समारोह से भी नीतीश ने दूरी बनाई। हालांकि जदयू ने पक्ष में वोट दिया था।
बता दें, 26 जुलाई, 2017 को नीतीश कुमार ने राजद से रिश्ता तोड़कर भाजपा के साथ सरकार बनाई थी। नीतीश के नेतृत्व में भाजपा और जदयू ने गठबंधन में 2020 के विधानसभा चुनाव जीतकर फिर से एनडीए की सरकार बनाई। बिहार की राजनीतिक हलचल पर दिनभर सोनिया गांधी की भी नजर थी। बिहार प्रदेश कांग्रेस प्रभारी भक्तचरण दास उन्हें पल-पल की खबर देते रहे। नीतीश कुमार पहले से भी सोनिया के संपर्क में थे। कहा जा रहा है कि सोनिया की सहमति मिलने के बाद ही उन्होंने भाजपा से संबंध तोड़ने की पहल की थी। राजद के साथ कुछ मसले थे, जिन्हें सोनिया की मध्यस्थता से सुलझाया जा सका।