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'मर्यादा की धज्जियां उड़ाने का पुराना इतिहास', भाजपा ने राहुल गांधी पर लगाया संवैधानिक पद की गरिमा गिराने का आरोप

भाजपा ने राहुल गांधी (Rahul Gandhi) पर संवैधानिक पद की गरिमा गिराने का आरोप लगाया है। सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnav) ने लोकसभा अध्यक्ष के पद पर सवाल उठाने के लिए विपक्ष के नेता राहुल गांधी की आलोचना की है। अश्विनी वैष्णव ने कहा कि श्री गांधी का यह व्‍यवहार लोकतंत्र और संविधान को कमजोर करता है।

By Jagran News Edited By: Babli Kumari Updated: Mon, 29 Jul 2024 11:40 PM (IST)
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नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ( फाइल फोटो )
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भाजपा ने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर संवैधानिक पद की गरिमा गिराने का आरोप लगाया। रेल व सूचना प्रौद्योगिकी और सूचना व प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राहुल गांधी के लोकसभा के भीतर आचरण को दुखद बताया।

उन्होंने संसदीय प्रणाली में नेता प्रतिपक्ष और लोकसभा अध्यक्ष के संविधान पद की अहमियत बताते हुए कहा कि राहुल गांधी ने अपने पद की गरिमा के गिराने के साथ ही अध्यक्ष के संवैधानिक पद पर सवाल उठाया। अश्विनी वैष्णव ने इसे संविधान और लोकतंत्र को कमजोर करने वाला काम करार दिया।

राहुल गांधी से माफी की मांग की

वहीं भाजपा के मीडिया प्रकोष्ठ के प्रभारी अनिल बलूनी ने लोकसभा में आचरण के लिए राहुल गांधी से माफी की मांग की। अश्विनी वैष्णव के अनुसार संवैधानिक मर्यादा की धज्जियां उड़ाने का राहुल गांधी की पुराना इतिहास है। उनके अनुसार राहुल गांधी ने अपनी ही पार्टी की सरकार द्वारा बनाए गए अध्यादेश को सबके सामने फाड़कर फेंक दिया था। उन्होंने कहा कि संविधान की मर्यादा का पालन करने का राहुल गांधी कोई इरादा नजर नहीं आता।

'राहुल गांधी ने बजट के बारे में अध्ययन भी नहीं किया'

वहीं संसद के अंदर अपने आचरण के लिए राहुल गांधी से माफी की मांग करते हुए अनिल बलूनी ने कहा कि भाषण के दौरान उन्होंने बहुत सारी बातें ऐसी कही है, जो नेता प्रतिपक्ष की गरिमा के साथ ही संसदीय परंपराओं के भी अनुकूल नहीं है। उन्होंने कहा कि दुख की बात है कि नेता प्रतिपक्ष ने अपने भाषण के दौरान बजट के बारे में कुछ नहीं कहा। बलूनी ने आशंका जताई कि राहुल गांधी ने बजट के बारे में अध्ययन भी नहीं किया है। पूरे भाषण में कहीं नहीं लगा कि नेता प्रतिपक्ष बजट पर कुछ बोल रहे हैं।

'नेहरू जी तो आरक्षण के ही खिलाफ थे'

राहुल एससी एसटी और ओबीसी के लिए अब प्रेम जता रहे हैं लेकिन इतिहास के पन्नों में ऐसे कई उदाहरण दर्ज है जो बताता है कि कांग्रेस काल में हमेशा इन्हें पीछे धकेलने की कोशिश हुई। काका कालेलकर कमिटी की रिपोर्ट, मंडल आयोग की रिपोर्ट कांग्रेस दबाए बैठी रही। जबकि नेहरू जी तो आरक्षण के ही खिलाफ थे।

'नियम को ताक पर रखकर अनाप-शनाप बातें की'

संसदीय कार्यमंत्री किरण रिजिजू ने भी राहुल गांधी के जिम्मेदारी वाले पद पर बैठकर गैरजिम्मेदारी की बात करने को बहुत गलत बताया। उन्होंने कहा कि लोकसभा की कार्यवाही नियम और परंपरा से चलता है। लेकिन राहुल गांधी ने नियम को ताक पर रखकर अनाप-शनाप बातें की है। बार-बार अध्यक्ष पर ही हमला किया। उन्होंने साफ किया कि कोई भी सदन के नियम से, संविधान से और देश के ऊपर नहीं हो सकता और नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद उन्हें नियम से चलना होगा।

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