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विपक्ष के जातीय जनगणना के दांव के सामने भाजपा का लाभार्थी वोटबैंक, OBC वोट के लिए खेला गया सियासी दांव

लोक सभा चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहे है वैसे-वैसे बीजेपी और विपक्ष के बीच सियासी घमासान बढ़ता जा रहा है। विपक्षी दलों ने लोकसभा चुनाव की डुगडुगी बजने से पहले जिस तरह एक सुर में जातीय जनगणना का राग अलापना तेज कर दिया है उसका उद्देश्य चुनावों में निर्णायक भूमिका निभाने वाले ओबीसी वर्ग में सेंध लगाकर अपनी ओर आकर्षित करना ही है।

By Jagran NewsEdited By: Shashank MishraUpdated: Mon, 25 Sep 2023 08:01 PM (IST)
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बीजेपी की विश्वकर्मा योजना का 30 लाख परिवारों को मिलेगा लाभ।
नई दिल्ली, जितेंद्र शर्मा। केंद्र से लेकर राज्यों के चुनाव में यदि भाजपा ने लगातार जीत दर्ज की है, उसकी बड़ी वजह है कि क्षेत्रीय दलों से विमुख होकर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) बड़े पैमाने पर उसके साथ आ खड़ा हुआ। इस वजह को समझ रहे विपक्षी दलों ने लोकसभा चुनाव की डुगडुगी बजने से पहले जिस तरह एक सुर में जातीय जनगणना का राग अलापना तेज कर दिया है, उसका उद्देश्य चुनावों में निर्णायक भूमिका निभाने वाले ओबीसी वर्ग में सेंध लगाकर अपनी ओर आकर्षित करना ही है। इसकी काट के लिए न सिर्फ हाल ही में मोदी सरकार ने लाखों पिछड़े और अति पिछड़े परिवारों के लिए प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना शुरू की है, बल्कि अब तक इस वर्ग को पहुंचाए लाभ का बही-खाता भी मंचों से खोल दिया है।

देश में अन्य पिछड़ा वर्ग की आबादी लगभग 52 प्रतिशत

देश में अन्य पिछड़ा वर्ग की आबादी लगभग 52 प्रतिशत मानी जाती है। यही वजह है कि सभी दल इस वर्ग को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए प्रयासरत रहते हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार में तो तमाम क्षेत्रीय दलों का जन्म ही पिछड़ों की राजनीति के बलबूते हुआ है। अब जबकि कुछ जातियों को छोड़कर ज्यादातर ओबीसी जातियों ने भाजपा पर विश्वास जताना शुरू कर दिया है तो इन दलों ने अब जातीय राजनीति का नया दांव आजमाना शुरू कर दिया है।

पीएम मोदी ने किया विश्वकर्मा योजना का शुभारंभ

कांग्रेस, सपा, बसपा, रालोद, जदयू, राजद सहित तमाम पार्टियों ने एक सुर में जातीय जनगणना की मांग बुलंद कर दी है। तर्क है कि जातीय जनगणना से ओबीसी जातियों की भागीदारी स्पष्ट होगी, उसी के अनुसार उन्हें उचित लाभ दिया जाना संभव होगा। यही नहीं, भाजपा सरकार ने महिला आरक्षण का जो विधेयक संसद में पारित कराया है, उसमें भी ओबीसी आरक्षण की मांग विपक्ष का ऐसा ही दांव है।

इसी बीच भाजपा ने ओबीसी वर्ग के लिए हाल ही में बड़ा दांव चल दिया है। 17 सितंबर को विश्वकर्मा जयंती के दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना का शुभारंभ किया। इसमें पारंपरिक 18 पेशों से जुड़े कारीगरों को सरकार पांच प्रतिशत के न्यूनतम ब्याज दर पर तीन लाख रुपये का ऋण उपलब्ध कराएगी। प्रशिक्षण के दौरान पांच सौ रुपये प्रतिदिन और टूलकिट खरीदने के लिए पंद्रह हजार रुपये देगी। इस योजना का प्रचार-प्रसार भाजपा ओबीसी मोर्चा द्वारा कई दिन पहले से शुरू कर दिया था और अब इसे और तेज कर दिया गया है।

दरअसल, इस योजना के जरिए मोदी सरकार ने ओबीसी के साथ ही अति पिछड़ी जातियों पर भी नजर जमा दी है। इसका लक्षित लाभार्थी वर्ग बड़ा है। इस योजना का लाभ तीस लाख परिवारों तक पहुंचाने का लक्ष्य है, जिसमें ओबीसी के साथ ही अतिपिछड़ी जातियां अधिकतर हैं।

ओबीसी को मिल रहा 27 प्रतिशत आरक्षण

सरकार ने ऐसी पुरानी योजनाओं का भी बही-खाता खोल लिया है। एक बड़ी योजना किसान सम्मान निधि योजना है। यह ओबीसी के लिए घोषित नहीं है, लेकिन भाजपा का आंकड़ा है कि इस योजना से ओबीसी वर्ग के 4.20 करोड़ किसानों को लाभ मिला है। इसी तरह मुद्रा लोन के लाभार्थियों में 35 प्रतिशत युवा पिछड़ा वर्ग से हैं।

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चिकित्सा शिक्षा में पहली बार ओबीसी छात्रों को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। केंद्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय, सैनिक स्कूल आदि में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया जा रहा है। भाजपा इसे भी प्रचारित करती है कि पहली बार ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया गया है।

राजनीतिक भागीदारी बढ़ाने का भी दावा सामान्य ओबीसी आबादी को योजनाओं का लाभ दिया गया है तो भाजपा इस वर्ग की राजनीतिक भागीदारी बढ़ाने का भी दावा जोरशोर से मंचों से कर रही है।

पार्टी का दावा है कि भाजपा के 303 में से 85 सांसद, 1358 विधायकों में 27 प्रतिशत विधायक ओबीसी वर्ग से हैं। इसी तरह पहली बार केंद्रीय मंत्रिमंडल में 27 मंत्री इस वर्ग से शामिल किए गए हैं।

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