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मोदी नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को मौका देना चाहते हैं मिजोरम के लोग: निरुपम चकमा

मिजोरम की इकलौती लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी निरुपम चकमा ने कहा कि राज्य की जनता पीएम मोदी को विकास के मसीहा के तौर पर देखती है साथ ही उन्हें अपनी आखिरी उम्मीद भी मानती है।

By Atyagi.jimmcEdited By: Updated: Wed, 03 Apr 2019 04:01 PM (IST)
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मोदी नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को मौका देना चाहते हैं मिजोरम के लोग: निरुपम चकमा

नई दिल्ली, पीटीआइ।  मिजोरम की इकलौती लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी निरुपम चकमा ने कहा कि राज्य की जनता पीएम मोदी को 'विकास के मसीहा' के तौर पर देखती है साथ ही उन्हें अपनी आखिरी उम्मीद भी मानती है। बता दें कि चकमा लगातार पांच बार कांग्रेस विधायक रहे हैं। अब वो भाजपा में शामिल हो गए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य ने कांग्रेस और क्षेत्रियों दलों को कई मौके दिए लेकिन लोगों को हर बार निराशा का सामना करना पड़ा।

मिजोरम के लोगों के लिए भाजपा आखिरी उम्मीद

इसलिए ये कहना गलत नहीं होगा कि मिजोरम के लोगों के लिए भाजपा ही आखिरी उम्मीद की किरण है। कांग्रेस ने लोगों को निराश किया है इसलिए यहां की जनता कांग्रेस उम्मीदवार को इस बार मौका नहीं देगी। राज्य के लोग मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को मौका देना चाहती है। यदि भाजपा की सरकार आती है तो मिजोरम को विकास में नए रास्ते पर ले जाने का काम करेगी जैसे की महाराष्ट्र और गुजरात में हुआ है। मिजोरम के लोगों की सोच भाजपा को लेकर बदल रही है। इसलिए इस बार वो भाजपा प्रत्याशी को ही जीताएंगे।  

उन्होंने कहा कि मैं पूरे विश्वास के साथ कह सकता हूं कि भाजपा उन्हें बिल्कुल भी निराश नहीं करेगी। चकमा ने बताया कि 1972 तक मिजोरम असम का हिस्सा हुआ करता था। 20 फरवरी 1987 को इसे असम से अलग केंद्र प्रशासित घोषित किया गया। तब से लेकर आज तक या तो यहां कांग्रेस या फिर एमएनएफ का राज रहा। अपने हिंदुत्व की राजनीति के साथ भाजपा, ईसाई बहुल राज्य में कभी भी दावेदार नहीं रही है। भाजपा ने 2018 के राज्य चुनावों में अपनी पहली विधानसभा सीट जीतने के बाद इस बार लोकसभा चुनाव में एक उम्मीदवार को मैदान में उतारने का फैसला किया। 

MNF का नहीं होगा आम चुनाव पर असर

चकमा के मुताबिक एमएनएफ ने नवंबर 2018 में विधानसभा चुनाव में 40 सीटों में से 26 सीटें जीती थी, लेकिन मौजूदा लोकसभा चुनाव पर इसका कोई असर नहीं होगा। उन्होंने कहा, 'मिजोरम के लोग लोकसभा चुनावों को अलग तरह से देखते हैं और यह जरूरी नहीं है कि परिणाम विधानसभा चुनावों के समान हों।' चकमा ने कहा कि वह अल्पसंख्यक समुदाय से हैं, लेकिन उन्हें पूरा भरोसा है कि राज्य के सभी लोग उनका समर्थन करेंगे। 'मैं सिर्फ अपने समुदाय के समर्थन की बात नहीं कर रहा हूं बल्कि मिजोरम की राजनीति में मेरे 22 साल के अनुभव का कहना है कि मुझे समाज के हर वर्ग के लोगों का समर्थन मिलेगा।'

यहां के लोग ये बात अच्छे से समझ गए हैं कि राज्य का विकास करने के लिए भााजपा प्रत्याशी को जीताना बहुत जरुरी है। चकमा जो की राज्य चकमास, मिजोरम में अल्पसंख्यक, जातीय लोग हैं जो चटगाँव पहाड़ी इलाकों में रहते थे, जिनमें से अधिकांश बांग्लादेश में स्थित हैं। वे मुख्य रूप से बौद्ध हैं, और पूर्वोत्तर भारत, पश्चिम बंगाल, बांग्लादेश और म्यांमार में रहते हैं।

मिजोरम विधानसभा में विपक्षी ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM) और कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए गठबंधन किया है और एक खेल पत्रकार और मिज़ोरम फुटबॉल एसोसिएशन के सचिव और स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट लालनघिंगलोवा हमर को मैदान में उतारा है। यह कहते हुए कि बेरोजगारी, व्यवसाय के अवसरों की कमी,  भ्रष्टाचार और अनुचित स्वास्थ्य संस्थान राज्य को त्रस्त करने वाले प्रमुख मुद्दे हैं।  चकमा ने पिछली सरकारों पर जनता के कल्याण के लिए पैसे की ठगी का आरोप भी लगाया।

कांग्रेस ने ठगी केंद्र द्वारा आवंटित राशि

चकमा ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि ऐसा नहीं है कि नरेंद्र मोदी सरकार ने मिजोरम को धन आवंटित नहीं किया। हालांकि, पिछले चार-पांच वर्षों के दौरान जो भी धनराशि आई वह कांग्रेस सरकार द्वारा ठग ली गई, जिससे सार्वजनिक संस्थान नकदी की तंगी और कल्याणकारी नीतियों में कमी आई। यह मानते हुए कि मिजोरम के लोगों को भाजपा से बहुत उम्मीदें हैं, चकमा ने कहा कि उनकी प्राथमिकताओं में एक बार चुने जाने पर, बहुराष्ट्रीय कंपनियों को राज्य में लाकर रोजगार पैदा करना होगा। 

युवा अक्सर म्यांमार के व्यापारियों के साथ सुपारी, खाद और लाइव स्टॉक के असंगठित, सीमा पार व्यापार में लिप्त होते हैं। विशेषज्ञों ने कहा कि केंद्र और राज्य दोनों सरकारों को इस तरह के व्यापार से प्राप्त राजस्व का एक भी हिस्सा नहीं मिलता है क्योंकि कुछ भी रिकॉर्ड में नहीं है।