मुख्तार अब्बास नकवी बोले- जनसंख्या विस्फोट मजहब नहीं मुल्क की मुसीबत, इसे जाति-धर्म से ना जोड़ें
Mukhtar Abbas Naqvi on Population भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण को जाति-धर्म से नहीं जोड़ना चाहिए। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने ट्वीट कर कहा कि जनसंख्या विस्फोट मजहब नहीं बल्कि मुल्क की मुसीबत है।
By Manish NegiEdited By: Updated: Tue, 12 Jul 2022 10:43 AM (IST)
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। देश में जनसंख्या नियंत्रण (Population Day 2022) को लेकर तरह-तरह के बयान सामने आ रहे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने भी जनसंख्या नियंत्रण को लेकर बड़ा बयान दिया है। नकवी ने कहा कि जनसंख्या विस्फोट मजहब नहीं बल्कि मुल्क की मुसीबत है। नकवी ने इसे जाति-धर्म से ना जोड़ने की अपील भी की है।
मुख्तार अब्बास नकवी ने ट्वीट कर कहा, 'बेतहाशा जनसंख्या विस्फोट किसी मजहब की नहीं, मुल्क की मुसीबत है। इसे जाति, धर्म से जोड़ना जायज नहीं।'
बता दें कि बीते गुरुवार को नकवी का राज्यसभा का कार्यकाल खत्म हो गया है। राज्यसभा का कार्यकाल खत्म होने से एक दिन पहले उन्होंने केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। चर्चा है कि नकवी को एनडीए की तरफ से उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया जा सकता है।
जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बनाने की मांग
उधर, जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बनाके मांग हो रही है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने सख्त कानून बनाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि बढ़ती जनसंख्या का दानव देश को विश्व गुरु बनने से रोक रहा है। जनसंख्या पर नियंत्रण की सफल नीति के दम पर ही चीन ने भारत को कई मानकों पर पीछे छोड़ दिया। हमें किसी धर्म या जाति के चश्मे से इसे नहीं देखना चाहिए। वहीं, भाजपा के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि जनसंख्या वृद्धि सिर्फ हमारी पार्टी के लिए नहीं, भारत के हर जागरूक नागरिक के लिए चिंता का विषय है। निश्चित तौर पर आम आदमी से लेकर राजनीतिक दलों तक, सभी को सही दिशा में बढ़ना होगा।
जनसंख्या के मामले में चीन को पछाड़ देगा भारत- UN संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2023 तक भारत जनसंख्या के मामले में चीन को पछाड़ कर आगे निकल जाएगा। इसका जिक्र संयुक्त राष्ट्र ने अपनी नई रिपोर्ट ‘विश्व जनसंख्या सम्भावना 2022’ में किया है। वहीं, इस वर्ष 15 नवंबर को विश्व जनसंख्या आठ अरब, या 800 करोड़ के आंकड़े को छू लेगी।