दक्षिण में विस्तार की राह देख रही BJP सनातन धर्म के विरोध पर चौकस, राष्ट्रवाद के एजेंडा के सहारे दे रही दस्तक
Lok Sabha Election 2024 भाजपा के लिए दक्षिण की राजनीति कभी आसान नहीं रही। कर्नाटक के अतिरिक्त किसी अन्य राज्य में भाजपा की मजबूत उपस्थिति नहीं है। तमिल काशी संगमम एवं सेंगोल प्रकरण के जरिए सनातनी स्वाभिमान के साथ राष्ट्रवाद की भावना का जो विस्तार हुआ उसे उदयनिधि स्टालिन के बयान से उभार मिलेगा या नहीं इस पर नजर है।
By Jagran NewsEdited By: Devshanker ChovdharyUpdated: Tue, 05 Sep 2023 09:39 PM (IST)
अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। Lok Sabha Election 2024: भाजपा के लिए दक्षिण की राजनीति कभी आसान नहीं रही। कर्नाटक के अतिरिक्त किसी अन्य राज्य में भाजपा की मजबूत उपस्थिति नहीं है। तमिल काशी संगमम एवं सेंगोल प्रकरण के जरिए सनातनी स्वाभिमान के साथ राष्ट्रवाद की भावना का जो विस्तार हुआ, उसे उदयनिधि स्टालिन के बयान से उभार मिलेगा या नहीं इस पर नजर है।
दक्षिण भारत में लोकसभा की 130 सीटें
लोकसभा की तमिलनाडु में 39, कर्नाटक में 28, आंध्र प्रदेश में 25, केरल में 20 और तेलंगाना में 17 सीटें हैं। एक सीट पुड्डुचेरी में भी है। इस तरह दक्षिण भारत में कुल 130 सीटें हैं, जो किसी दल को केंद्र की सत्ता के करीब लाने एवं दूर करने के लिए महत्वपूर्ण है। 2004 में इन्हीं राज्यों ने कांग्रेस को केंद्र की सत्ता में बिठाया था।
पिछले चुनाव में भाजपा का बढ़िया प्रदर्शन
पिछली बार उत्तर भारत में भाजपा सर्वोच्च प्रदर्शन कर चुकी है। इसलिए उसे दक्षिण से अपेक्षा है। सनातन धर्म पर उदयनिधि की टिप्पणी ने देश की राजनीति को आंदोलित कर दिया है। हालांकि, बयान का जितना विरोध उत्तर भारत में देखा जा रहा है, उतना दक्षिण में नहीं। भाजपा की प्रदेश कमेटी ने भी चुप्पी ओढ़ रखी है। दक्षिण भारत में विस्तार के लिए तमिलनाडु के महत्व को देखते हुए कोई भी कदम उठाने से पहले भाजपा को स्थानीय जन-प्रतिक्रिया का इंतजार है।यह भी पढ़ेंः Lok Sabha Polls 2024: 'जाति-आधारित राजनीति से ऊपर उठकर करें काम', PM Modi ने NDA सांसदों को दिया जीत का मंत्र
अन्नामलाई पर भाजपा को विश्वास
भाजपा को अपने प्रदेश अध्यक्ष अन्नामलाई से उम्मीद है। किंतु प्रतिक्रिया के नाम पर उन्होंने भी उदयनिधि की तुलना राहुल गांधी से करते हुए उन्हें दक्षिण का 'पप्पू' बताकर अपने दायित्व की इतिश्री कर ली। तमिलनाडु की सत्ता से 1967 में कांग्रेस के बेदखल हो जाने के बाद वहां की राजनीति एमजी रामचंद्रन-जयललिता और करुणानिधि की धुरी पर घूमने लगी थी। अब तीनों नहीं हैं।तमिलनाडु में भाजपा को मिली थी एक सीट
एमके स्टालिन ने अपने पिता करुणानिधि का स्थान तो भर दिया, किंतु जयललिता की जगह अभी भी खाली है, जिसपर भाजपा की नजर है। कांग्रेस कमजोर हो चुकी है और डीएमके की प्रतिद्वंद्वी एआइडीएमके में नेतृत्व का अभाव है। पड़ोस के छोटे राज्य पुड्डुचेरी में एनडीए गठबंधन की सरकार होने से भाजपा का उत्साह बढ़ा है। अन्नामलाई भाजपा की नई उम्मीद बनकर उभरे हैं। उनकी पदयात्राओं ने भी हौसला दिया है। पिछली बार तमिलनाडु की 39 सीटों में से यूपीए को 38 मिली थीं। एनडीए को सिर्फ एक सीट से संतुष्ट होना पड़ा था।