PM मोदी के चेहरे और सामूहिक नेतृत्व के साथ चुनाव में उतरेगी BJP, गुटों में बंटे नेताओं को एकजुट करने की रणनीति
Assembly Election 2023 पीएम मोदी (PM Modi) के चेहरे और सामूहिक नेतृत्व के साथ भारतीय जनता पार्टी विधानसभा चुनाव मैदान में उतरेगी। भाजपा छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश और राजस्थान में गुटों में बंटे नेताओं को एकजुट करने की रणनीति पर काम कर रही है। तीनों ही राज्यों में पार्टी में अंदरूनी गुटबाजी को रोकने के लिए यह रणनीति मुफीद साबित हो सकती है।
नीलू रंजन, नई दिल्ली। तीन महीने बाद होने जा रहे छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान के विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा की रणनीति साफ होने लगी है। इनमें भाजपा राज्य के सामूहिक नेतृत्व और मोदी के चहरे से सहारे मैदान में उतरेगी।
अंदरूनी गुटबाजी को रोकने के लिए भाजपा की रणनीति
तीनों ही राज्यों में पार्टी में अंदरूनी गुटबाजी को रोकने के लिए यह रणनीति मुफीद साबित हो सकती है। तीनों राज्यों में मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं करना और राजस्थान में चुनाव प्रबंधन समिति और संकल्प पत्र समिति में वसुंधरा राजे को जगह नहीं दिया जाना इसी रणनीति का हिस्सा है।
वसुंधरा राजे को चुनाव प्रचार समिति में मिल सकती है जगह
भाजपा के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, वसुंधरा राजे निश्चित रूप से राजस्थान के बड़ी नेता हैं और पार्टी चुनाव प्रचार में उनका भरपूर इस्तेमाल भी करेगी। हो सकता है कि उन्हें चुनाव प्रचार समिति में जगह भी दे दी जाए, लेकिन राज्य के अन्य नेताओं को भी बड़ी जिम्मेदारी देना जरूरी है। ताकि सभी नेता एकजुट होकर सामूहिक रूप से पार्टी की जीत में योगदान कर सकें।
एमपी में चुनाव प्रचार समिति की कमान तोमर को मिली
मध्यप्रदेश में भी मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज सिंह चौहान लाड़ली बहन जैसी लोकप्रिय सरकारी योजनाओं के साथ जनता के बीच लगातार जा रहे हैं, लेकिन चुनाव प्रचार समिति की कमान केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर को सौंपी गई है।
इस साल के अंत तक पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव
ध्यान देने की बात है कि नवंबर-दिसंबर में मिजोरम, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में विधानसभा के चुनाव होने हैं। पिछले साल इन पांचों राज्यों में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। मिजोरम में भाजपा के लिए कोई उम्मीद नहीं है और तेलंगाना में वोट प्रतिशत में इजाफा जरूर हो सकता है, लेकिन वह सीटों में कितनी बदलेंगी यह साफ नहीं है।
तेलंगाना में भाजपा को मिली थी सिर्फ एक सीट
पिछली बार तेलंगाना की 117 विधानसभा सीटों में से भाजपा सिर्फ एक सीट ही जीतने में सफल रही थी। ऐसे में भाजपा के लिए छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान काफी अहम हो जाता है। पिछली बार भाजपा भले ही छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में चुनाव हारने के बावजूद भाजपा लोकसभा में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में सफल रही थी, लेकिन लोकसभा चुनाव के छह महीने पहले इन राज्यों में हार से विपक्ष को भाजपा के खिलाफ नैरेटिव बनाने का मौका मिल सकता है।
भाजपा ने बड़े नेताओं को क्यों दी जिम्मेदारी?
यही कारण है कि भाजपा विधानसभा चुनाव में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है। तीनों राज्यों में पार्टी की अंदरूनी कलह रोकने के लिए पार्टी के बडे़ नेताओं ने खुद चुनाव का जिम्मा संभाल लिया है। छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश की जिम्मेदारी अमित शाह के पास है, तो राजस्थान की जिम्मेदारी जेपी नड्डा के पास। इन राज्यों में नेताओं को अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी गयी है और उनसे लगातार फीडबैक भी लिया जा रहा है।