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वामपंथ के एक अध्याय का अंत, 10 साल तक CM रहे बुद्धदेव भट्टाचार्य; क्यों ठुकाराया था पद्म भूषण?

बंगाल में वाममोर्चे के 34 वर्षों के शासन के दौरान बुद्धदेव भट्टाचार्य ज्योति बसु के बाद माकपा के दूसरे और आखिरी मुख्यमंत्री थे। भट्टाचार्य 2000 से 2011 तक बंगाल के मुख्यमंत्री के पद पर रहे थे। 2011 में तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने बुद्धदेव भट्टाचार्य की अगुवाई वाले वाममोर्चा शासन का अंत कर बंगाल की सत्ता पर काबिज हुई थी।

By Jagran News Edited By: Piyush Kumar Updated: Thu, 08 Aug 2024 12:54 PM (IST)
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दस सालों तक बंगाल के मुख्यमंत्री रहे बुद्धदेव भट्टाचार्य की कहानी।(फोटो सोर्स: जागरण)

जेएनएन, कोलकाता।  बंगाल के पूर्व मुख्यमंत्री व दिग्गज वामपंथी नेता बुद्धदेव भट्टाचार्य का गुरुवार को निधन हो गया। 80 साल की उम्र में आज सुबह 8.20 बजे कोलकाता स्थित अपने आवास पर उन्होंने अंतिम सांस ली।उनके बेटे सुचेतन भट्टाचार्य ने उनके निधन की जानकारी दी। भट्टाचार्य लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उन्हें सांस लेने में दिक्कत थी। इसकी वजह से उन्हें हाल में कई बार अस्पताल में भी भर्ती कराया गया था।

वे सीओपीडी (क्रानिक आब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) और बुढ़ापे से जुड़ी अन्य बीमारियों से पीड़ित थे। कोलकाता में उनके घर पर ही उनका इलाज चल रहा था। खराब स्वास्थ्य की वजह से भट्टाचार्य काफी समय से सार्वजानिक जीवन से दूर थे।

एक दशक तक रहे सीएम 

बंगाल में वाममोर्चे के 34 वर्षों के शासन के दौरान बुद्धदेव भट्टाचार्य, ज्योति बसु के बाद माकपा के दूसरे और आखिरी मुख्यमंत्री थे। भट्टाचार्य 2000 से 2011 तक बंगाल के मुख्यमंत्री के पद पर रहे थे। 2011 में तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी ने बुद्धदेव भट्टाचार्य की अगुवाई वाले वाममोर्चा शासन का अंत कर बंगाल की सत्ता पर काबिज हुई थी।

बंगाल में उद्योग के लिए वाममोर्चा सरकार द्वारा किसानों से कथित जबरन भूमि अधिग्रहण के खिलाफ ममता बनर्जी की अगवाई में सिंगुर और नंदीग्राम में हुए बहुचर्चित आंदोलन के समय बुद्धदेव भट्टाचार्य ही मुख्यमंत्री थे। 2011 में हुई करारी हार के बाद भट्टाचार्य सक्रिय राजनीति से दूर हो गए थे। 2015 में माकपा के पोलित ब्यूरो और केंद्रीय समिति से भी उन्होंने इस्तीफा दे दिया था।

निधन पर राजनीतिक जगत में शोक की लहर

उनके निधन की सूचना सामने आते ही राजनीतिक जगत में शोक की लहर छा गई है। वरिष्ठ भाजपा नेता और बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने उनके निधन पर गहरा दुख जताते हुए एक्स पर लिखा, 'मुझे यह जानकर बहुत दुख हुआ कि बंगाल की पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य का निधन हो गया है। मैं प्रार्थना करता हूं कि उनकी आत्मा को शांति मिले।

स्कॉलर, पुजारी और एक लेखक की कहानी 

बुद्धदेव भट्टाचार्य का जन्म 1 मार्च 1944 को उत्तरी कोलकाता में हुआ था। बंगाली ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखने वाले बुद्धदेव भट्टाचार्य संस्कृत स्कॉलर, पुजारी और लेखक थे। उन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज से बंगाली साहित्य में बी.ए. ऑनर्स की डिग्री हासिल की थी। इसके बाद वो सरकारी स्कूल में शिक्षक बन गए थे।

जब ठुकराया था पद्म भूषण का सम्मान

साल 2022 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित करने की घोषणा की गई थी, लेकिन उन्होंने इसे लेने से इनकार कर दिया। उन्होंने पुरस्कार ठुकराते हुए कहा था,"पद्मभूषण पुरस्कार के बारे में मुझे कोई जानकारी नहीं है। मुझे किसी ने इस बारे में पहले नहीं बताया है। अगर मुझे पद्मभूषण पुरस्कार देने का एलान किया गया है तो मैं इसे लेने से इनकार करता हूं।" पुरस्कार ठुकराए जाने पर सीपीआई (एम) ने दलील थी कि हमारी पार्टी का काम आम लोगों के लिए है, अवॉर्ड के लिए नहीं।

उन्होंने साल 1966 में सीपीआई (एम) की सदस्यता ली थी।

इसके बाद 1968 में वो डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन की पश्चिम बंगाल राज्य समिति के सचिव बने।

1977 से लेकर 1982 तो वो काशीपुर-बेलगछिया विधानसभ क्षेत्र से विधायक रहे।

  • 1987 में वो जादवपुर से विधायक बने। साल 2011 तक वो इसी विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे।
  • 6 नवंबर 2000 में वो बंगाल के मुख्यमंत्री बने थे।
  • 13 मई 2011 तक वो सीएम बने रहे।
  • 2015 में उन्होंने सीपीआई (एम) के पोलित ब्यूरो और केंद्रीय समिति से इस्तीफा दिया।

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