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'शरणार्थियों की 75 साल की वेदना का अंत है CAA', शाह बोले- 'विपक्षी रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों का विरोध क्यों नहीं करते'

Amit Shah On CAA Law अमित शाह ने कहा कि CAA 2019 में भाजपा के चुनावी एजेंडे का हिस्सा था और उसी साल संसद में इसपर मुहर लगा थी। अब सिर्फ इस कानून के नियमों को अधिसूचित किया गया है जिसके बारे में चार सालों में वे 41 बार ऐलान कर चुके हैं। उन्होंने ममता बनर्जी को बांग्लादेश से आए बंगाली हिंदुओं का अहित नहीं करने की सलाह दी।

By Jagran News Edited By: Narender Sanwariya Updated: Thu, 14 Mar 2024 08:54 PM (IST)
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अमित शाह ने कहा कि CAA से किसी भी भारतीय मुसलमान की नागरिकता नहीं जाएगी। (File Photo)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को भाजपा के लिए वोटबैंक की नहीं, बल्कि भावनात्मक मुद्दा बताते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इस कानून से किसी भी भारतीय मुसलमान की नागरिकता नहीं जाएगी, इसमें ऐसा प्रविधान है ही नहीं। यह सिर्फ अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश में प्रताडि़त होने के कारण भारत में आए अल्पसंख्यकों के लिए है। सीएए के कभी वापस नहीं लिये जाने का दावा करते हुए शाह ने साफ किया कि आगामी लोकसभा चुनाव में न तो इंडी गठबंधन सत्ता में आने वाला है और न ही सीएए जाने वाला है।

देश के विभाजन के लिए कांग्रेस जिम्मेदार

एक न्यूज एजेंसी को दिये पोडकास्ट में अमित शाह ने कहा कि अखंड भारत के हिस्से में जिन लोगों के साथ प्रताड़ना हुई है, उनको शरण देना हमारी संवैधानिक और नैतिक जिम्मेदारी है। देश के विभाजन के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने कहा कि इसके कारण बहुत बड़ी आबादी को धार्मिक प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा, जबकि उनकी कोई गलती नहीं थी।

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शरणार्थियों की 75 साल की वेदना का अंत

उन्होंने कहा कि आजादी के बाद कई कांग्रेसी नेताओं ने विभाजन में छूट गए धार्मिक अल्पसंख्यकों को वापस लाने और उन्हें नागरिकता देने का वायदा किया था, लेकिन बाद में वोटबैंक की राजनीति के कारण इसे पूरा नहीं किया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने शरणार्थियों की 75 साल की वेदना का अंत किया है। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक प्रताड़ना को आंकड़ों के साथ स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि विभाजन के समय पाकिस्तान में हिंदू और सिख की आबादी 23 फीसद थी, जो महज तीन फीसद रह गई है।

सीएए के तहत किसे मिलेगी नागरिकता

इसी तरह से पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में हिंदू आबादी 22 फीसद थी, जो 10 फीसद रह गई है। अफगानिस्तान में भी 1992 तक दो लाख हिंदू हिंदू और सिख थे, जो अब केवल 500 ही बचे हैं। उन्होंने कहा कि आंकड़ों में बदलाव से साफ दिखता है कि उन लोगों का धर्म परिवर्तन हुआ और उन्हें दोयम दर्जे के नागरिक की तरह रखा गया। अरविंद केजरीवाल के सीएए लागू होने के बाद अपराध बढ़ने की आशंका के बारे में पूछे जाने पर अमित शाह ने कहा कि भ्रष्टाचार उजागर होने के बाद केजरीवाल अपना आपा खो चुके है। सीएए में साफ है कि सिर्फ 31 मार्च 2014 तक आने वाले शरणार्थियों को ही नागरिकता दी जाएगी।

केजरीवाल पर वोटबैंक की राजनीति का आरोप

केजरीवाल पर वोटबैंक की राजनीति करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि आखिरकार वो बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठियों के खिलाफ क्यों नहीं बोलते हैं। उन्होंने कहा कि आने वाला दिल्ली का चुनाव केजरीवाल के लिए लोहे के चने चबाने जैसा होगा। उन्होंने केजरीवाल को शरणार्थियों की वेदना को महसूस करने के लिए उनके साथ कुछ समय गुजारने की सलाह दी।

बंगाली हिंदुओं का अहित नहीं करने की सलाह

सीएए को लागू करने के समय पर उठाए गए सवाल का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि यह 2019 में भाजपा के चुनावी एजेंडे का हिस्सा था और उसी साल संसद में इसपर मुहर लगा थी। अब सिर्फ इस कानून के नियमों को अधिसूचित किया गया है, जिसके बारे में चार सालों में वे 41 बार ऐलान कर चुके हैं। उन्होंने ममता बनर्जी को बांग्लादेश से आए बंगाली हिंदुओं का अहित नहीं करने की सलाह दी।

कानून बनाने का अधिकार सिर्फ भारत सरकार के पास

उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी को सीएए के विरोध के बजाय घुसपैठ को रोकना चाहिए। उन्होंने घुसपैठ रोकने में केंद्र सरकार का सहयोग नहीं करने का आरोप लगाया। केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल की सरकारों द्वारा वहां सीएए लागू होने के ऐलान का जवाब देते हुए शाह ने कहा कि संविधान नागरिकता के बारे में कानून बनाने का अधिकार सिर्फ भारत सरकार को देता है। यह केवल केंद्र का विषय है, केंद्र और राज्यों का साझा विषय नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट में सीएए के लागू होने पर कोई रोक नहीं

सुप्रीम कोर्ट में सीएए के खिलाफ अपील लंबित होने का हवाला देकर इसे लागू करने के महबूबा मुफ्ती के बयान का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 को 1951 में ही सुप्रीम कोर्ट ने चुनौती दी गई थी, तब उसे 70 सालों तक क्यों लागू रखा गया। उन्होंने साफ किया कि सुप्रीम कोर्ट ने सीएए के लागू होने पर कोई रोक नहीं लगाई है।

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