क्या नेहरू-गांधी परिवार की छाया से मुक्त होकर फैसले ले पाएंगे कांग्रेस के नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे
लोकतंत्र के हितों के रक्षार्थ आवश्यक है कि नए कांग्रेस अध्यक्ष नेहरू-गांधी परिवार की छाया से मुक्त हों लेकिन कहा जा रहा है कि मल्लिकार्जुन खड़गे के लिए नेहरू-गांधी परिवार के प्रभाव से मुक्त होकर काम करना संभव नहीं होगा।
By Jagran NewsEdited By: TilakrajUpdated: Sat, 22 Oct 2022 01:58 PM (IST)
नई दिल्ली, रघोत्तम शुक्ल। मल्लिकार्जुन खड़गे का कांग्रेस अध्यक्ष बनना प्रत्याशित ही था। कहा जा रहा है कि खड़गे के लिए नेहरू-गांधी परिवार के प्रभाव से मुक्त होकर काम करना संभव नहीं होगा। वह तो कह भी चुके हैं कि ‘हम सोनिया, राहुल गांधी से सलाह लेकर काम किया करेंगे।’ वैसे भी आजादी के बाद से कांग्रेस पार्टी नेहरू-गांधी परिवार के ही इर्दगिर्द घूमती नजर आ रही है। अतीत में लोकसभा चुनाव संपन्न हो जाने के बाद संसदीय दल के नेता चुनने की बैठक में बहुधा जवाहरलाल नेहरू जाते नहीं थे, किंतु वही नेता चुने जाते थे।
इंदिरा गांधी के समय में यह प्रवृत्ति और बढ़ी
1962 में देश की चीन के हाथों हार के बावजूद केवल तत्कालीन रक्षामंत्री वीके कृष्ण मेनन ही हटाए गए, जैसे नेहरू की कोई गलती ही नहीं थी! इंदिरा गांधी के समय में यह प्रवृत्ति और बढ़ी। तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष देवकांत बरुवा ने तो नारा दे दिया “इंदिरा इज इंडिया एंड इंडिया इज इंदिरा” यानी इंदिरा और भारत पर्यायवाची हैं। इमरजेंसी के बाद हुए आम चुनाव में कांग्रेस सत्ता से हटी, किंतु जनता पार्टी की सरकार गिर जाने के बाद हुए चुनावी भाषणों में पं. कमलापति त्रिपाठी ने कहा था कि कांग्रेस को सत्ता से हटाने के लिए जनता को इंदिरा जी से माफी मांगनी चाहिए।'
मनमोहन पर भी कठपुतली सरकार चलाने के आरोप लगते रहे
मालूम हो कि लोकतंत्र में जनता ही सर्वोपरि होती है, जिसे कभी गलत नहीं कहा जा सकता। इसके बाद तो हाल यह हुआ कि इंदिरा गांधी की दुर्भाग्यपूर्ण हत्या के बाद उनके बेटे राजीव गांधी को कांग्रेसी पृष्ठभूमि वाले तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैलसिंह ने प्रधानमंत्री पद की शपथ पहले दिला दी और संसदीय दल के नेता वह बाद में चुने गए। डा. मनमोहन सिंह पर भी एक कठपुतली सरकार चलाने के आरोप लगते रहे हैं।इसे भी पढ़ें: कांग्रेस के लिए कितने प्रभावी सिद्ध होंगे मल्लिकार्जुन खड़गे, विधानसभा चुनावों में होगी पहली परीक्षा
कांग्रेस में अब फिर नाम भर के लिए एक राष्ट्रीय अध्यक्ष?
इधर, काफी समय से कांग्रेस में कोई पूर्ण अध्यक्ष नहीं था, किंतु निर्णय सोनिया परिवार ही ले रहा था। पिछले पंजाब विधानसभा चुनाव में राहुल और प्रियंका गांधी ही सारे निर्णय लेते रहे। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में पेश तो प्रियंका रहीं, लेकिन हार के बाद इस्तीफा प्रदेश अध्यक्ष का लिया गया। अब फिर नाम भर के लिए एक राष्ट्रीय अध्यक्ष तैयार हैं।कांग्रेस यदि नेहरू-गांधी परिवार का मोह नहीं छोड़ती...!
संभव है फैसले राहुल और प्रियंका लेंगे, और जिम्मेदारी खड़गे की होगी। लोकतंत्र में विपक्ष एक आवश्यक स्तंभ है और भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। यहां सत्तारूढ़ भाजपा के बाद कांग्रेस ही राष्ट्रीय दल है, शेष सभी क्षेत्रीय हैं। कांग्रेस यदि नेहरू-गांधी परिवार का मोह नहीं छोड़ती है, तो यह पार्टी के लिए नुकसानदेह होगा। लोकतंत्र के हितों के रक्षार्थ आवश्यक है कि नए कांग्रेस अध्यक्ष व्यावहारिक रूप में इस परिवार की छाया से मुक्त हों, जिससे यह दल विपक्ष की सकारात्मक भूमिका निभा सके।
(लेखक सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी हैं)इसे भी पढ़ें: शशि थरूर बोले, चुनाव परिणामों से नहीं हूं परेशान; पहले से पता था कि पार्टी के बड़े नेता खड़गे को चुनेंगे