Move to Jagran APP

Caste Census Update: जाति जनगणना कराना क्यों नहीं आसान? अधिकांश दलों में सहमति के बाद यहां फंस रहा पेच

जातीय जनगणना को लेकर एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जनगणना के नियमों के तहत लोगों को अपनी जाति बताने की छूट देनी होगी। उन्होंने कहा कि इससे देश में जातियों की संख्या 2011 के 46.80 लाख को भी पार सकती है। पिछले डेढ़ दशक में छोटे-छोटे समूहों की आकांक्षाएं बढ़ी हैं और वे खुद को विशेष जाति के रूप में खुद को स्थापित करने की कोशिश कर सकते हैं।

By Niloo Ranjan Edited By: Narender Sanwariya Updated: Sun, 22 Sep 2024 11:42 PM (IST)
Hero Image
गांव में जनगणना करते अधिकारी (File Photo)
नीलू रंजन, जागरण। नई दिल्ली। जातीय जनगणना कराने के लिए अधिकांश दलों के बीच बनी सहमति के बावजूद केंद्र सरकार के इसे कराना और इसके आंकड़े जारी करना आसान नहीं होगा। 1931 के बाद मनमोहन सिंह सरकार ने 2011 की जनगणना के साथ ही सामाजिक आर्थिक जातीय जनगणना करायी थी, लेकिन इसके आंकड़े सार्वजनिक करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई। यही नहीं, मोदी सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में जातीय जनगणना के आंकड़ों को जारी करने में असमर्थता जताई।

1931 की जनगणना के आंकड़े

जातीय जनगणना के आंकड़े जारी करने में सबसे बड़ी बाधा जातियों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी मानी जा रही है। दरअसल 1931 की जनगणना में देश में कुल 4,147 जातियां दर्ज की गई थी। इसी के आधार पर मंडल आयोग ने 1980 में पिछड़ी जातियों को आरक्षण का लाभ देने की रिपोर्ट दी थी, 1991 में वीपी सिंह सरकार ने इसे लागू किया था। लेकिन 2011 की जनगणना में जातियों की संख्या 46.80 लाख से अधिक पहुंच गई।

2011 की जातीय जनगणना के आंकड़े

वैसे तो 2011 की जातीय जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक नहीं किये गए, लेकिन केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र से जुड़े कुछ आंकड़े सुप्रीम कोर्ट में दिये थे, जो चौंकाने वाले हैं। इसके अनुसार 2011 में महाराष्ट्र की 10.3 करोड़ की जनसंख्या में 4.28 लाख जातियां दर्ज की गईं। इनमें से 99 फीसद जातियां ऐसी थी, जिनकी जनसंख्या 100 से भी कम थी। जबकि 2,440 जातियों की जनसंख्या 8.82 लाख थी।

जातीय जनगणना की मांग का विरोध

हैरानी की बात है कि इनमें से 1.17 करोड़ यानी लगभग 11 फीसद लोगों ने बताया कि उनकी कोई जाति नहीं है। राजनीतिक रूप से संवेदनशील जातीय जनगणना की मांग का विरोध भले ही करने की हिम्मत कोई दल नहीं जुटा पा रहा हो, लेकिन इसकी मांग करने वाले दलों को भी इसकी वास्तविक सच्चाई मालूम है।

214 जातियों में किसी एक को चुनने का विकल्प

शायद यही कारण है कि संप्रग सरकार के साथ होते हुए भी राजद ने 2014 के पहले 2011 की जातीय जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक करने के लिए दबाव नहीं बनाया था। हाल ही में बिहार में हुई जातीय सर्वे के रूप में जातियों की गई जनगणना के दायरे को 214 जातियों तक सीमित रखा गया। लोगों को इन्हीं 214 जातियों में किसी एक को चुनने का विकल्प दिया गया। लेकिन आम जनगणना के साथ होने वाली जातीय जनगणना में लोगों के सीमित विकल्प नहीं दिये जा सकते हैं।

यह भी पढ़ें: Modi Sarkar के 100 दिन: जल्द होगी जनगणना, एक राष्ट्र एक चुनाव का भी समय तय; Caste Census पर क्या बोले अमित शाह?