आदिवासी आयोग के अध्यक्ष की सलाह, हिन्दी की जगह संस्कृत को करें शामिल
नंद कुमार साय ने संस्कृत को अधिकारिक भाषा बनाने की भी मांग की और कहा कि सरकार को इस दिशा में गंभीरता से विचार करना चाहिए।
By Sanjeev TiwariEdited By: Updated: Thu, 06 Jun 2019 09:06 PM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के त्रिभाषा फार्मूले में हिन्दी को शामिल करने को लेकर उठे विवाद के बीच राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नंद कुमार साय ने हिंदी की जगह संस्कृत को शामिल करने की वकालत की है।
उन्होंने कहा कि संस्कृत के शामिल होने से इसका विरोध नहीं होगा। यह और बात है कि विरोध को देखते हुए मानव संसाधन मंत्रालय ने पहले ही संशोधन करते हुए मनपसंद की तीन भाषाओं को चुनने का अधिकार राज्यों को दे दिया है।इस बीच साय ने संस्कृत को अधिकारिक भाषा बनाने की भी मांग की और कहा कि सरकार को इस दिशा में गंभीरता से विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि दक्षिण के राज्यों का संस्कृत के साथ गहरा जुड़ाव है। उदाहरण के रूप में वहां के नाम में रामचंद्रन्, रामेश्वरम् जैसे शब्दों को प्रमुखता से इस्तेमाल होता है।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के त्रिभाषा फार्मूले में हिन्दी को शामिल किए जाने का तमिलनाडु सहित कई दक्षिण भारतीय राज्यों में कड़ा विरोध किया। त्रिभाषा फार्मूला में हिंदी, अंग्रेजी के साथ एक स्थानीय भाषा को शामिल करने की बात कही गई थी। दक्षिण के राज्यों में इसका विरोध हुआ था।
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