आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम चंद्रबाबू नायडू क्यों हुए गिरफ्तार, पढ़ें क्या है 371 करोड़ का कौशल विकास घोटाला
राज्य कौशल विकास निगम घोटाले को लेकर आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और टीडीपी के अध्यक्ष एन चंद्रबाबू नायडू को शनिवार को गिरफ्तार किया गया। सुबह 6 बजे टीडीपी प्रमुख को गिरफ्तार किए जाने के बाद उन्हें विजयवाड़ा ले जाया जा रहा है। चंद्रबाबू नायडू पर लगभग 350 करोड़ का घोटाला करने का आरोप लगा है। नायडू को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की अन्य धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया।
इन धाराओं के तहत हुई गिरफ्तारी
#WATCH | Andhra Pradesh: Criminal Investigation Department (CID) serves arrest warrant to TDP chief and former Andhra Pradesh CM N Chandrababu Naidu.
— ANI (@ANI) September 9, 2023
(Video Source: TDP) pic.twitter.com/9AE4Xrdorm
क्या है कौशल विकास निगम घोटाला?
राज्य कौशल विकास निगम (APSSDC) की स्थापना 2016 में आंध्र प्रदेश में टीडीपी सरकार के दौरान की गई थी। इस योजना के तहत बेरोजगार युवाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करके सशक्त बनाने पर केंद्रित थी। इसमें 3,300 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। इसी को लेकर एपी सीआईडी ने मार्च में 3,300 करोड़ के कथित घोटाले की जांच शुरू की।बाकी के 90 प्रतिशत खर्च कौशल विकास प्रशिक्षण देने वाली कंपनी सीमेन्स करेगी। आरोप है कि नायडू सरकार ने योजना में किए जाने वाली रकम 371 करोड़ रुपये शैल कंपनियों को ट्रांसफर कर दिया। साथ ही पैसे ट्रांसफर करने से संबधित सभी डॉक्यूमेंट्स को भी नष्ट कर दिया गया।#WATCH | Former Andhra Pradesh CM & TDP chief's son Nara Lokesh stages protest following his father N Chandrababu Naidu's arrest in connection with a corruption case.
— ANI (@ANI) September 9, 2023
(Video source: TDP) pic.twitter.com/sC8IlZwTUi
क्या कहती है CID की प्रारंभिक जांच?
- टीडीपी सरकार ने 3,300 करोड़ रुपये की एक परियोजना के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए थे।
- इस समझौता ज्ञापन में सीमेंस इंडस्ट्री सॉफ्टवेयर इंडिया लिमिटेड और डिजाइन टेक सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनियां शामिल थी।
- सीमेंस इंडस्ट्री सॉफ्टवेयर इंडिया को कौशल विकास के लिए 6 उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने का काम सौंपा गया था।
- राज्य सरकार को कुल परियोजना लागत का लगभग 10% योगदान देना था, जबकि सीमेंस और डिजाइन टेक बाकी धनराशि मदद के रूप में प्रदान करेंगी।
जांच में हुए बड़े खुलासे
- टेंडर प्रोसेस की कमी:इस परियोजना को स्टैंडर्ड टेंडरिंग प्रोसेस का पालन किए बिना शुरू किया गया।
- कैबिनेट की मंजूरी को दरकिनार: राज्य कैबिनेट ने इस परियोजना के लिए मंजूरी नहीं दी थी।
- धन का दुरुपयोग: इस प्रोजेक्ट में सीमेंस इंडस्ट्री सॉफ्टवेयर इंडिया खुद के किसी भी संसाधन का निवेश करने में विफल रही।
- राज्य सरकार द्वारा जारी की गई रकम 371 करोड़ रुपये को किसी शैल कंपनियों को भेजा गया।
- ये कंपनियां थी: लाइड कंप्यूटर्स, स्किलर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, नॉलेज पोडियम, कैडेंस पार्टनर्स और ईटीए ग्रीन्स।