Citizenship Amendment Bill लोकसभा में पास, जानें अमित शाह ने विरोधियों को क्या दिया जवाब
Citizenship Amendment Bill लोकसभा में पास हो गया है। जानें अमित शाह ने इस बिल के विरोधियों को क्या दिया जवाब।
By Pooja SinghEdited By: Updated: Tue, 10 Dec 2019 08:55 AM (IST)
नई दिल्ली, एएनआइ। नागरिकता संशोधन विधेयक कल यानी 9 दिसंबर को लोकसभा में पास हो गया है। संसद में कई सांसदों ने इस बिल का विरोध किया, लेकिन अमित शाह ने सभी को जवाब दिया। आइये जानते हैं कि लोक सभा में उन्होंने क्या जवाब दिया।
तीनों देशों में घटे अल्पसंख्यक1947 में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी 23 फीसद थी जो घटकर 2011 में 3.7 फीसद हो गई। इसी तरह 1971 में बांग्लादेश में 21 फीसद अल्पसंख्यक थे जो सात फीसद से कम रह गए। अफगानिस्तान में 1992 से पहले दो लाख से अधिक हिंदू और सिख थे, जिनकी संख्या 500 से कम बची है।
गुलाम कश्मीर हमारागुलाम कश्मीर भी हमारा है, उसके नागरिक भी हमारे हैं। आज भी जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 24 सीटें उनके लिए सुरक्षित रखी हैं।
किसी से दुर्भावना नहींसमय-समय पर विभिन्न देशों से आए नागरिकों को नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है। श्रीलंका से आए विस्थापितों को नागरिकता दी गई है। किसी से दुर्भावना नहीं है। इस बार विशेष रूप से तीन देशों के अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है।
अनुच्छेद 370 और 371 में फर्कअनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 371 में अंतर है। अनुच्छेद 371 को कभी भी नहीं छेड़ेंगे। अनुच्छेद 371 अलग झंडा, अलग संविधान का प्रावधान नहीं करता।जल्द लेकर आएंगे एनआरसीएनआरसी के लिए किसी बैकग्राउंड की जरूरत नहीं है। यह होकर रहेगा। हमारा घोषणापत्र ही बैकग्राउंड है। हम जल्द ही एनआरसी लेकर आएंगे। इस सदन को आश्वासन देता हूं कि जब हम एनआरसी लेकर आएंगे, तब एक भी घुसपैठिया नहीं बचेगा।
मुस्लिमों पर नहीं पड़ेगा असरअसदुद्दीन ओवैसी को जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा कि मुसलमानों से हमें कोई नफरत नहीं है। कृपया आप इसे नहीं फैलाएं। इस विधेयक का भारत में रहने वाले मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं है। यहां का मुसलमान सम्मान के साथ जी रहा है और जीता रहेगा। इससे उनको कोई फर्क नहीं पड़ेगा।असम में परप्रांतियों पर असर नहीं
एनआरसी और नागरिकता कानून में संशोधन से असम में रहने वाले पंजाबी, ओडिया, गोरखा, बिहारी, मारवाड़ी बाहर हो जाएंगे, यह सत्य नहीं है।नेहरू-लियाकत समझौता असरहीनभारत और पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए 1950 में हुआ नेहरू-लियाकत समझौता लागू हुआ होता तो इस बिल की जरूरत नहीं पड़ती। 2014 की रिपोर्ट है कि 1000 लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन किया गया। जब इतने अत्याचार हों, शरण में आए तो हम शरण न दें क्योंकि वे हिंदू हैं, सिख हैं। यह ठीक नहीं है।
मुजीब के बाद बांग्लादेश में अत्याचार हुएबांग्लादेश में शेख मुजीबुर्रहमान के रहते हुए किसी अल्पसंख्यक के साथ भेदभाव नहीं हुआ। उनके लिए कृतज्ञता प्रकट करता हूं। मौजूदा शेख हसीना शासन के दौरान भी भेदभाव नहीं हो रहा है। लेकिन मुजीबुर्रहमान की 1975 में हत्या के बाद अल्पसंख्यकों के साथ बहुत अत्याचार हुए।