सोमवार से शुरू हो रहा शीतकालीन सत्र; जानें- क्या है सरकार का टॉप एजेंडा, किन मुद्दो पर है हंगामे के आसार
भारी बहुमत के साथ मोदी सरकार के सत्ता में लौटने के बाद संसद का यह दूसरा सत्र है। विपक्ष आर्थिक मंदी और रोजगार में कमी कम मसले पर सरकार को घेरने की तैयारी में है।
By Dhyanendra SinghEdited By: Updated: Sat, 16 Nov 2019 07:37 AM (IST)
नई दिल्ली, एजेंसियां। संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है। इस सत्र में सरकार का जोर नागरिकता समेत कई अहम बिल पास कराने पर होगा। वहीं विपक्ष राफेल सौदे की जांच के लिए जेपीसी के गठन और महाराष्ट्र के मौजूदा राजनीतिक हालात पर चर्चा कराने के लिए दबाव बना सकता है। सदन के कामकाज को सुचारू बनाने के लिए स्पीकर ओम बिरला ने शनिवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। जबकि, संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी ने रविवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई है। शीतकालीन सत्र 13 दिसंबर तक चलेगा।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सरकार ने सत्र के लिए अपनी कार्यसूची में नागरिकता (संशोधन) विधेयक को रखा है। मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में इस बिल को संसद में पेश किया था, लेकिन विपक्ष के विरोध के चलते यह पारित नहीं हो सका था। लोकसभा का कार्यकाल खत्म होने के बाद यह बिल भी खत्म हो गया था।पूर्वोत्तर के राज्यों में हुआ था भारी विरोध
इस विधेयक में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न के चलते भागकर 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आए हिंदू, जैन, सिख, ईसाई और पारसी समुदाय के लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान है। पिछली सरकार ने जब यह बिल पेश किया था, तब असम समेत पूर्वोत्तर के राज्यों में भारी विरोध हुआ था।इसके अलावा दिल्ली में 1,728 अवैध कालोनियों को नियमित करने संसंबंधी विधेयक, ड्यूटी के दौरान डॉक्टरों पर हमला करने वालों पर जुर्माना लगाने, कॉर्पोरेट टैक्स रेट में कटौती और ई-सिगरेट पर पाबंदी संबंधी दो अधिसूचनाओं को कानून में बदलने संबंधी बिल भी सदन में पेश किया जा सकता है।
सत्ता में लौटने के बाद संसद का दूसरा सत्रभारी बहुमत के साथ मोदी सरकार के सत्ता में लौटने के बाद संसद का यह दूसरा सत्र है। विपक्ष आर्थिक मंदी और रोजगार में कमी कम मसले पर सरकार को घेरने की तैयारी में है। जबकि, कांग्रेस ने राफेल सौदे की संयुक्त संसदीय समिति (JPC) से जांच कराने की मांग को लेकर सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति बनाई है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सरकार को क्लीन चिट दे दी है। माना जा रहा है कि महाराष्ट्र में मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम पर भी संसद में हंगामा हो सकता है।