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Coalition Govt in India: अब तक केंद्र में बनी 12 गठबंधन सरकारें, 1977 से हुई थी शुरुआत

Know The First Coalition Government Formed। केंद्र में पहली गठबंधन सरकार जनता पार्टी के नेतृत्व में बनी थी जिसमें मोरारजी देसाई को प्रधानमंत्री बनाया गया था। इसके बाद गठबंधन सरकारें बनने का जो सिलसिला शुरू हुआ वह आज भी जारी है। आइए जानते हैं कि अब तक केंद्र में कितनी बार गठबंधन सरकार बनी और अपना कार्यकाल पूरा करने वाले पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री कौन थे...

By Achyut KumarEdited By: Achyut KumarUpdated: Tue, 18 Jul 2023 07:37 PM (IST)
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आजादी के बाद अब तक केंद्र में बनी 12 गठबंधन सरकार, पहली बार किसके नेतृत्व में लड़ा गया था चुनाव?
Coalition Government in India: देश का सियासी मिजाज इस समय बदला हुआ है। एक तरफ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Congress) तो दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी (BJP) अपने सहयोगियों का कुनबा बढ़ाने में जुटी हुई है। कांग्रेस ने जहां 26 दलों के अपने साथ होने की बात कही है, वहीं भाजपा ने 38 दलों के समर्थन का दावा किया है। आइए, जानते हैं कि केंद्र में पहली गठबंधन सरकार (First Coalition Govt in India) कब बनी, कौन थे प्रधानमंत्री और अब तक देश में कितनी बार गठबंधन की सरकार बन चुकी है....

केंद्र में गठबंधन सरकार की शुरुआत कब हुई?

केंद्र में गठबंधन सरकार के इतिहास की बात करें तो इसकी शुरुआत 1977 में जनता पार्टी (Janata Party) की सरकार से हुई, जिसके प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई (Morarji Desai) थे। जनता पार्टी में कुल 13 दल शामिल थे। यह पहली गैर-कांग्रेसी सरकार थी। हालांकि, अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) के समर्थन लेने के चलते जनता पार्टी की सरकार गिर गई और जनता दल (सेक्युलर) के चौधरी चरण सिंह (Charan Singh) देश के प्रधानमंत्री बने। हालांकि, वे 1980 तक ही पद पर बने रह सके।

(मोरारजी देसाई)

चौधरी चरण सिंह की सरकार अल्पमत में थी। उसे कांग्रेस का समर्थन मिला हुआ था, लेकिन जब लोकसभा में विश्वास मत हासिल करने की बारी आई तो कांग्रेस ने अपना समर्थन वापस ले लिया, जिससे सरकार गिर गई।

(चौधरी चरण सिंह)

1989 में केंद्र में किसकी सरकार बनी?

  • साल 1989 में कांग्रेस की हार के बाद जनता दल और अन्य क्षेत्रीय दलों से मिलकर बनी राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार अस्तित्व में आई और विश्वनाथ प्रताप सिंह (Vishwanath Pratap Singh) यानी वीपी सिंह प्रधानमंत्री बने। इस दौरान जो सबसे हैरान कर देने वाली बात सामने आई, वह थी धुर-विरोधी भाजपा और वाम दलों का साथ आना।
  • दरअसल, 1987 में रक्षा मंत्री पद से हटाने के बाद वीपी सिंह ने जन मोर्चा का गठन किया था। यह मोर्चा लगातार राजीव गांधी की सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार को लेकर हमला बोल रहा था।
  • 1989 के लोकसभा चुनाव से पहले वीपी सिंह ने जन मोर्चा, लोकदल, जनता पार्टी और कांग्रेस (एस) को मिलाकर जनता पार्टी बनाई। इसके बाद उन्होंने वाम और दक्षिण पंथी कुछ दलों को साथ लेकर राष्ट्रीय मोर्चा बनाया।
  • 1989 में राष्ट्रीय मोर्चे की सरकार बनी और वीपी सिंह प्रधानमंत्री बने। हालांकि, मंडल कमीशन की सिफारिश लागू होने पर भाजपा ने समर्थन वापस ले लिया, जिससे सरकार गिर गई।
  • इस चुनाव में कांग्रेस को 197, जनता दल को 143, भाजपा को 85 और वाम दलों को 45 सीटें मिली थीं।

1990-91 में किस गठबंधन की सरकार बनी?

साल 1990- 921 में जनता दल (सोशलिस्ट) या भारतीय समाज पार्टी की सरकार बनी और चंद्रशेखर प्रधानमंत्री बने, लेकिन यह सरकार महज कुछ ही महीने ( 10 नवंबर 1990 से लेकर 21 जून 1991) तक ही चल सकी । इस सरकार को कांग्रेस ने बाहर से समर्थन दिया हुआ था। जनता पार्टी, जनता पार्टी (सेक्युलर), लोक दल, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (जगजीवन) और जन मोर्चा से मिलकर जनता दल बना हुआ था। 

संयुक्त मोर्चा का गठन कब हुआ?

जब 1996 में लोकसभा चुनाव हुआ तो न तो भाजपा और न ही कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिला। अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री जरूर बनें, लेकिन उनकी सरकार महज 13 दिन ही चल पाई। इसके बाद 13 पार्टियों ने मिलकर संयुक्त मोर्चा (United Front) बनाया।

संयुक्त मोर्चा ने पहली बार सरकार कब बनाई?

संयुक्त मोर्चा ने 1996 में पहली बार सरकार बनाई, जिसके प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा थे, लेकिन यह सरकार एक जून 1996 से लेकर 21 अप्रैल 1997 तक ही चल पाई। इसके बाद 21 अप्रैल 1997 से लेकर 19 मार्च 1998 तक इंद्र कुमार गुजराल (Inder Kumar Gujral) प्रधानमंत्री बने। दोनों बार सरकार कांग्रेस के समर्थन वापस लेने की वजह से गिरी।

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) कब बना?

1998 के आम चुनाव से पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) बना, जिसमें 13 दल शामिल थे। चुनाव बाद एनडीए की सरकार बनी और अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने, लेकिन एआइडीएमके के समर्थन वापसी से 13 दिन में ही यह सरकार गिर गई। इसके बाद 1999 में चुनाव हुआ, जिसमें एनडीए को पूर्ण बहुमत मिला और फिर अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री बने।

संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) का गठन कब हुआ?

2004 के लोकसभा चुनाव के बाद संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) की सरकार बनी और डॉक्टर मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) प्रधानमंत्री बने। यूपीए की सरकार को सपा और वाम दलों का भी बाहर से समर्थन प्राप्त था। इस चुनाव में यूपीए को 222 सीटें मिली थीं। बाद में, 2008 में वाम दलों ने यूपीए सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया, तब सपा ने सरकार को गिरने से बचाया था।

(मनमोहन सिंह)

इसके बाद 2009 में हुए लोकसभा में फिर से यूपीए की सरकार बनी और मनमोहन सिंह लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री बने। यूपीए को इस चुनाव में 262 सीटें मिली थीं। इसके बाद 2014 में फिर से राजग के नेतृत्व वाले गठबंधन की सरकार आई और नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) प्रधानमंत्री बने। इस गठबंधन की अभी तक सरकार चल रही है।

(नरेन्द्र मोदी)

गठबंधन की सरकार कब बनती है?

जब चुनाव में किसी दल को बहुमत नहीं मिलता, तब गठबंधन की सरकार बनती है। इसकी वजह भारत में बहुदलीय व्यवस्था का होना है। कई दल होने की वजह से किसी एक पार्टी को बहुमत मिलना मुश्किल होता है।

गठबंधन की राजनीति के लाभ

  • सरकार नहीं होती निरंकुश: गठबंधन की राजनीति का सबसे बड़ा फायदा यह है कि सरकार निरंकुश नहीं हो पाती। उसे न्यूनतम साझा कार्यक्रम के तहत काम करना होता है। इसके साथ ही, उसे गठबंधन में शामिल अन्य दलों को भी ध्यान में रखना होता है।
  • सशक्त विपक्ष का होता है निर्माण: गठबंधन की राजनीति में सशक्त विपक्ष का निर्माण भी होता है। ताजा उदाहरण कांग्रेस के नेतृत्व में हुई विपक्षी नेताओं की बैठक है, जिसमें 26 दल शामिल हुए हैं। इसकी वजह यह है कि एक अकेला दल सत्ता पक्ष से नहीं लड़ सकता। उसे अन्य सहयोगियों की जरूरत पड़ती ही है।
  • अन्य दलों का भी मिलता है सहयोग: गठबंधन की सरकार में कई दल शामिल होते हैं। इससे अन्य दलों के नेताओं की प्रतिभा का देश को लाभ मिलता है।

गठबंधन सरकार के नुकसान

  • गठबंधन सरकार के कभी भी गिरने की संभावना बनी रहती है। अक्सर ऐसा होता है कि किसी मुद्दे पर सरकार में शामिल दलों में बात नहीं बन पाती, जिससे दल अपना समर्थन वापस ले लेते हैं। अटल बिहारी वाजपेयी, मोरारजी देसाई, चंद्रेशखर और वीपी सिंह की सरकार इसका मुख्य उदाहरण है।
  • गठबंधन की सरकार में विभिन्न मंत्रालयों में तालमेल की कमी होती है, जिससे लोगों के कल्याण के लिए जरूरी योजनाएं नहीं बन पातीं। अलग-अलग दलों के मंत्री होने के चलते शासन चलाने में गतिरोध पैदा होता है।
  • गठबंधन सरकार में टकराव भी देखने को मिलता है, जिससे कानूनों को लागू करने में भी परेशानी होती है।
  • गठबंधन में स्थायित्व नहीं होता। इसका प्रमाण हमें राज्यों में देखने को मिलता है। बिहार मे जहां नीतीश कुमार एनडीए का साथ छोड़कर महागठबंधन का हिस्सा बन गए हैं तो वहीं सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी भी सपा का साथ छोड़कर अब फिर से वापस एनडीए में आ गई है।

गठबंधन शब्द कहां से आया?

गठबंधन शब्द लैटिन भाषा के कोलिटियो से मिलकर बना है। इसका मतलब होता है- एक साथ बढ़ना।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

भारत में गठबंधन की राजनीति का जनक समाजवादी नेता डॉक्टर राममनोहर लोहिया को माना जाता है। उन्होंने 1960 के दशक में कांग्रेस के खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट किया।

गठबंधन सरकार दो या दो से अधिक दलों से मिलकर बना होता है। यह तब होता है, जब किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पाता।

भारत में पहली गठबंधन सरकार के प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई थे। वे 1977 में जनता पार्टी की सरकार में प्रधानमंत्री बने थे।

जब किसी चुनाव में किसी भी पार्टी को अकेले दम पर बहुमत नहीं मिलता, तब गठबंधन की सरकार बनती है। इसमें दो या दो से अधिक दल शामिल होते हैं।

गठबंधन सरकार का अर्थ दो या दो से अधिक दलों से मिलकर बनी सरकार से है। केंद्र में सबसे पहले 1977 में गठबंधन सरकार बनी थी।

भारत में पहली गठबंधन सरकार 1977 में बनी। उस समय मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री थे। यह पहली गैर-कांग्रेसी सरकार थी। देसाई 24 मार्च 1977 से 28 जुलाई 1979 तक प्रधानमंत्री थे।

भारत में अपना कार्यकाल पूरा करने वाले पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे। वे 13 अक्टूबर 1999 से 22 मई 2004 तक प्रधानमंत्री रहे।