कांग्रेस में मतभेद, मिलिंद देवड़ा पार्टी लाइन से हटकर केंद्र सरकार के साथ
कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने One Nation One Election पर अपनी सहमति जताई है।
By Dhyanendra SinghEdited By: Updated: Thu, 20 Jun 2019 12:06 AM (IST)
नई दिल्ली, एएनआइ । कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने पार्टी लाइन से अलग हटते हुए 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' विचार का समर्थन किया है। बुधवार को उन्होंने कहा कि सरकार के इस प्रस्ताव पर खुले मन से विचार किया जाना चाहिए। देवड़ा ने कहा कि उन्हें अभी तक इस बात के प्रमाण नहीं मिले हैं कि लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने से केंद्र में सत्तारूढ़ दल को फायदा मिलेगा।
उन्होंने कहा कि हाल ही में लोकसभा चुनाव के साथ अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा, और आंध्र प्रदेश विधानसभा के चुनाव कराए गए थे। ओडिशा और आंध्र में उन दलों को जीत मिली, जिनका केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा के साथ गठबंधन नहीं था।देवड़ा ने कहा कि भारत के मतदाता जागरूक और जानकार हैं। वो केंद्र व राज्य के चुनाव में अंतर समझ सकते हैं। हमारा लोकतंत्र परिपक्व है। इहमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि 1967 तक देश में एक साथ चुनाव होते रहे थे।
बुधवार को One Nation One Election (एक देश एक चुनाव) पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुलाई गई सभी विपक्षी दलों की बैठक हुई थी। यह बैठक एक देश, एक चुनाव के मुद्दे को आगे बढ़ाने और इसमें विपक्ष समेत सभी पक्षों को शामिल करने के लिए बुलाई थी। इस बैठक से कांग्रेस समेत कईं नेताओं ने दूरी बना ली थी। वहीं, अब कांग्रेस नेता ने पार्टी के विरोध के बावजूद इस मुद्दे पर समर्थन जताकर पार्टी में नया विवाद खड़ा कर दिया है। हालांकि देवड़ा ने इसे अपना निजी बयान बताया है।
कांग्रेस नेता देवड़ा ने पत्र में लिखा कि केंद्र सरकार का 'एक देश एक चुनाव' प्रपोजल डिबेट लायक है। पूर्व में हुए चुनाव का जिक्र करते हुए उन्होंने अपने लिखित बयान में कहा कि हमें ये बिलकुल भी नहीं भूलना चाहिए कि देश में 1967 से पहले देश में एक साथ ही चुनाव होते थे। पूर्व सांसद होने के नाते मैं मानता हूं कि लगातार होने वाले चुनावों की वजह से सरकार चलाने में बहुत दिक्कत आती है। चुनाव के चलते अच्छे से सरकार नहीं चल पाती है।गौरतलब है कि पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएस कृष्णमूर्ति ने भी एक देश एक चुनाव को संभव बताया है। मंगलवार को उन्होंने कहा कि 'एक देश एक चुनाव' का विचार तो बहुत बढ़िया है, लेकिन संविधान में संशोधन कर विधायिकाओं का निश्चित कार्यकाल किए बिना यह संभव नहीं है। मुख्य चुनाव आयुक्त रहते हुए 2004 का आम चुनाव कराने वाले कृष्णमूर्ति ने कहा कि अर्ध सैनिक बलों की अधिक संख्या में तैनाती समेत कई तरह के प्रशासनिक इंतजाम करने पड़ेंगे, लेकिन ये संभव हैं।लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप