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केरल कांग्रेस प्रमुख एम रामचंद्रन ने पद छोड़ने की पेशकश की, सोनिया गांधी को भेजी विस्‍तृत रिपोर्ट

केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एम रामचंद्रन (Mullappally Ramachandran) ने विधानसभा चुनाव में हार की जिम्मेदारी लेते हुए शनिवार को पद छोड़ने की पेशकश की। उन्‍होंने कहा कि वह इस पद पर बने रहने के इच्छुक नहीं हैं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Updated: Sat, 29 May 2021 11:57 PM (IST)
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केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एम रामचंद्रन ने पद छोड़ने की पेशकश की है।

तिरुवनंतपुरम, पीटीआइ। केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (Kerala Pradesh Congress Committee, KPCC) के अध्यक्ष एम रामचंद्रन (Mullappally Ramachandran) ने विधानसभा चुनाव में हार की जिम्मेदारी लेते हुए शनिवार को पद छोड़ने की पेशकश की। उन्‍होंने तिरुवनंतपुरम में संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि वह इस पद पर बने रहने के इच्छुक नहीं हैं। एम रामचंद्रन ने यह भी बताया कि चुनाव में यूडीएफ की हार के बाद उन्होंने सोनिया गांधी को विस्तृत रिपोर्ट भेजी है।

इस रिपोर्ट में चुनाव से संबंधित सभी मसलों से अवगत कराया गया है। एम रामचंद्रन ने बताया कि रिपोर्ट में मैंने कांग्रेस अध्यक्ष को बताया कि मैं केपीसीसी के अध्यक्ष पद पर बने रहना नहीं चाहता। हालांकि उन्‍होंने कहा कि जब तक कोई वैकल्पिक प्रबंध नहीं हो जाता तब तक वह पद पर बने रहेंगे। वह विधानसभा चुनाव के बाद शुक्रवार को हुई यूडीएफ की पहली बैठक में शामिल नहीं हुए थे।

इस बारे में पूछे जाने पर रामचंद्रन ने कहा कि उन्होंने सोनिया गांधी से इस्तीफा स्वीकार करने का अनुरोध किया है। ऐसे में केपीसीसी प्रमुख के तौर पर बैठक में शामिल होना नैतिक रूप से सही नहीं होता। उन्‍होंने कहा कि पीसीसी प्रमुख के तौर पर मुझे सोनिया गांधी और पार्टी नेता राहुल गांधी का सहयोग मिला। मैं विधानसभा चुनाव में पार्टी की हार से दुखी हूं। मैं हार की जिम्मेदारी लेता हूं। इस हार का किसी को दोष देने का मेरा कोई इरादा नहीं है।

उल्‍लेखनीय है कि छह अप्रैल को हुए केरल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की अगुवाई वाले यूडीएफ गठबंधन को 140 में से केवल 41 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस ने भी सूबे की सियासत में अपना चेहरा बदलने की शुरुआत कर दी है। वीडी सतीशन को केरल में विपक्ष का नेता बनाने का फैसला कर पार्टी ने यही संकेत दिया है। माना जा रहा है कि सूबे में नेताओं की गुटबाजी के कारण कमजोर संगठन को दुरुस्त कर अगले लोकसभा चुनाव में हालात सुधारने के लिहाज से यह बदलाव किया गया है।