CM पद पर रार नहीं! सैलजा, सुरेजवाला और हुड्डा को चुनाव नहीं लड़ाने के पीछे कांग्रेस को सता रहा इस बात का डर
रायबरेली सीट रखने के लिए नेता विपक्ष राहुल गांधी ने वायनाड लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था और अभी वहां उपचुनाव की घोषणा नहीं हुई है। जबकि चार दिन पहले महाराष्ट्र की नांदेड़ लोकसभा सीट से कांग्रेस के सांसद वसंतराव चव्हान का निधन हो गया और लोकसभा में पार्टी की संख्या 97 पर आ गई। ऐसे में सैलजा या दीपेंद्र हुडडा को चुनाव लड़ाए जाने की गुंजाइश नहीं है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। हरियाणा में विधानसभा चुनाव में इस बार बाजी पलटने के लिए पूरा जोर लगा रही कांग्रेस के सामने मुख्यमंत्री पद के दावेदारी की होड़ में गुटबाजी से पार पाना आसान नहीं हो रहा। सांसदों को विधानसभा के चुनावी मैदान में नहीं उतारने के पार्टी के रूख के बावजूद वरिष्ठ नेता लोकसभा सांसद कुमारी सैलजा द्वारा चुनाव लड़ने को लेकर दिए जा रहे बयान सिरदर्दी का कारण बना हुआ है।
पार्टी के चुनावी रणनीतिकारों के जरिए कांग्रेस हाईकमान ने साफ संदेश दे दिया गया है कि सांसदों को विधानसभा चुनाव में उतारे जाने की कोई गुंजाइश नहीं है।
CM फेस पर फैसला नहीं
कांग्रेस नेतृत्व के इस रुख के बाद सैलजा के साथ ही राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला और लोकसभा सांसद दीपेंद्र हुडडा के विधानसभा में ताल ठोकने का रास्ता लगभग बंद हो गया है। हालांकि इन नेताओं के साथ उनके समर्थकों को साधे रखने के लिए हाईकमान ने मुख्यमंत्री पद का कोई चेहरा पेश नहीं करने की रणनीति पर चलने का फैसला किया है।चुनावी रणनीति के संचालन की कमान
हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी महासचिव दीपक बाबरिया का यह बयान कि चुनाव बाद ही मुख्यमंत्री तय होगा और जरूरी नहीं कि विधायकों में से ही सीएम चुना जाए, वास्तव में सैलजा और सुरजेवाला जैसे नेताओं के तेवरों को नरम करने के लिए दिया गया है। दरअसल पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुडडा की हरियाणा कांग्रेस के संगठन पर पकड़ मजबूत है और चुनावी रणनीति के संचालन की कमान उनके हाथों में ही है।
सीएम पद की दावेदारी पर ब्रेक
ऐसे में सैलजा तथा सुरजेवाला को लगता है कि दोनों में से कोई चुनाव नहीं लड़ेगा तो हुडडा की सीएम पद की दावेदारी पर ब्रेक लगाना मुश्किल होगा। इसीलिए सैलजा ने गुरूवार को हर हाल में चुनाव लड़ने की बात कही थी। सैलजा को इस मुद्दे पर सुरजेवाला का भी अंदरूनी समर्थन हासिल है।सांसदों पर नहीं लगेगा दांव
मुख्यमंत्री पद की दावेदारी की इस अंदरूनी होड़ से पार्टी में गुटबाजी के नए सिरे से उभार की आशंका को देखते हुए गुरुवार रात ही कांग्रेस नेतृत्व ने संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और प्रभारी बाबरिया के जरिए एक बार फिर यह संदेश भेज दिया कि सांसदों को चुनाव में उतारने का विकल्प नहीं है।
चुनाव में कांटे की टक्कर
- हरियाणा की सत्ता से 10 साल बाहर कांग्रेस की 2019 विधानसभा चुनाव में कांटे की टक्कर में हार की बड़ी वजह गुटबाजी थी और इसलिए हाईकमान इस बार कोई जोखिम नहीं लेना चाहता।
- इसी गुटबाजी का नतीजा था कि दो साल पहले कांग्रेस के कोषाध्यक्ष अजय माकन एक विधायक की क्रॉस वोटिंह के चलते राज्यसभा चुनाव हार गए थे।
- लोकसभा चुनाव में 99 सीटें जीत कर एक दशक बाद विपक्ष का आधिकारिक दर्जा हासिल करने के बाद कांग्रेस संसद में अपने संख्या बल को कम नहीं होने देना चाहती।
- केसी वेणुगोपाल के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद कांग्रेस को राजस्थान से राज्यसभा की एक सीट गंवानी पड़ी है और कांग्रेस की सदन में संख्या केवल 26 रह गई है।