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हाथरस दुष्कर्म-हत्या मामले में तीन आरोपियों का बरी होना यूपी पुलिस की 'घटिया' जांच को दिखाता है: कांग्रेस

कांग्रेस ने हाथरस दुष्कर्म-हत्या केस को लेकर भाजपा पर हमला बोला है। कांग्रेस ने कहा कि मामले में तीन आरोपियों का बरी होना यूपी पुलिस की कमजोर और घटिया जांच को दिखाता है। इस पूरे मामले में पुलिस की घोर लापरवाही सामने आई है।

By AgencyEdited By: Achyut KumarUpdated: Sun, 05 Mar 2023 02:54 PM (IST)
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कांग्रेस नेता डॉली शर्मा ने हाथरस मामले को लेकर भाजपा को घेरा
नई दिल्ली, पीटीआई। Hathras Murder Case: कांग्रेस ने हाथरस दुष्कर्म-हत्या मामले में तीन आरोपियों को बरी किए जाने को लेकर रविवार को भाजपा पर हमला बोला और आरोप लगाया कि इसने उत्तर प्रदेश पुलिस और बाद में सीबीआई द्वारा की गई 'कमजोर और घटिया' जांच को उजागर कर दिया है। हाथरस की एक विशेष अदालत ने गुरुवार को 2020 के हाथरस मामले में मुख्य आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई, जबकि तीन अन्य आरोपियों को बरी कर दिया।

'बेटी बचाओ' नारे की खुली पोल

कांग्रेस नेता डॉली शर्मा ने एआईसीसी मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि हाथरस में हुए जघन्य अपराध और फिर इस मामले में सरकार की भूमिका ने भाजपा के 'बेटी बचाओ' नारे की पोल खोल दी है। उन्होंने कहा, दलित समुदाय की नाबालिग लड़की को न्याय से वंचित करने का अपराध भाजपा ने किया है, जो सबका साथ देने का नारा देती रहती है।

'कमजोर और घटिया जांच' उजागर

डॉली शर्मा ने कहा कि अदालत ने एक आरोपी को दोषी पाया और अन्य तीन को बरी कर दिया, जिसने इस मामले में उत्तर प्रदेश पुलिस और बाद में सीबीआई द्वारा की गई 'कमजोर और घटिया जांच' को फिर से उजागर कर दिया है। उन्होंने कहा, ''इस मामले में कांग्रेस पार्टी लगातार आवाज उठाती रही और हमारे नेता राहुल गांधी और उत्तर प्रदेश की प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने लगातार पीड़ित परिवार के लिए न्याय की मांग की।''

साबित नहीं हो सका दुष्कर्म का आरोप

शर्मा ने कहा कि सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि एक दलित परिवार की नाबालिग बेटी के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया और उसकी हत्या कर दी गई और केवल पुलिस की 'घटिया' जांच के कारण अभियोजन पक्ष अदालत में दुष्कर्म का आरोप भी साबित नहीं कर सका। मुख्य आरोपी के खिलाफ दुष्कर्म और हत्या का आरोप साबित नहीं हो सका।

कटघरे में योगी सरकार

अदालत ने संदीप (20) को भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) के तहत दोषी ठहराया, जो धारा 302 (हत्या) से कम आरोप है। रवि (35), लव कुश (23) और रामू (26) को इस मामले में बरी कर दिया गया था, जिससे आक्रोश फैल गया और राज्य में कानून व्यवस्था को लेकर योगी आदित्यनाथ की भाजपा सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया। कोर्ट ने संदीप पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। 

प्रारंभिक जांच में पुलिस ने की लापरवाही

डॉली शर्मा ने आरोप लगाया कि मामला सामने आते ही सरकारी तंत्र आरोपियों को बचाने और मामले को दबाने के लिए इसे 'साजिश' का रूप देने में लगा है। उन्होंने आरोप लगाया कि चार में से तीन अभियुक्तों का बरी होना एक बार फिर हमारे आरोप को साबित करता है कि पुलिस और प्रशासन ने प्रारंभिक जांच में गंभीर लापरवाही की, गवाहों और सबूतों के साथ छेड़छाड़ की गई, हर तरह से दबाव बनाया गया और एक कमजोर अभियोजन पक्ष को अदालत के सामने पेश किया गया, जिससे पीड़ितो को न्याय से वंचित कर दिया गया।

अन्य मामलों का भी दिया हवाला

शर्मा ने अन्य मामलों का भी हवाला दिया जिसमें भाजपा नेता महिलाओं के खिलाफ अत्याचार में कथित रूप से शामिल थे, जैसे कि 2017 में उन्नाव दुष्कर्म का मामला, उत्तराखंड में अंकिता भंडारी का मामला और गुजरात में भाजपा सरकार के तहत बिलकिस बानो मामले में दोषियों की रिहाई। उन्होंने कहा, "गौरतलब है कि पिछले नौ वर्षों में हुई इन सभी बर्बर घटनाओं के बावजूद, प्रधानमंत्री (नरेन्द्र) मोदी ने एक शब्द नहीं कहा। यह चुप्पी क्या दर्शाती है?"