कांग्रेस ने चुनावी जीत में अहम भूमिका निभाने वाले समीकरणों को साधा, लिंगायत, ST के साथ दलित चेहरे बने मंत्री
Karnataka Assembly Polls कर्नाटक के विधानसभा चुनाव में भाजपा की शिकस्त और कांग्रेस की जीत में सत्ता विरोधी लहर के अलावा सबसे बड़ी भूमिका राजनीतिक पार्टियों के परंपरागत आधार वोट बैंक में हुए बिखराव को जाता है। (फोटो एएनआई)
By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaUpdated: Sat, 20 May 2023 09:06 PM (IST)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कर्नाटक की नई सिद्धारमैया सरकार में शामिल किए गए आठ मंत्रियों के पहले बैच से साफ है कि नई कैबिनेट में कांग्रेस का पहला फोकस सूबे के जातीय सामाजिक समीकरणों को दुरूस्त रखने पर रहा है।
इस लिहाज से लगभग उन सभी वर्गों के नेताओं को प्रतिनिधित्व दिया गया है जिन्होंने कांग्रेस की जीत में अहम भूमिका निभाई है। पार्टी के संतुलन साधने की इस कसरत में फिलहाल ब्राहृमण समेत कुछ अन्य सामाजिक समूहों को जगह नहीं मिल पायी है और उन्हें कैबिनेट के पहले विस्तार तक इंतजार करना पड़ेगा, जबकि पहली खेप में बने आठ मंत्रियों में सबसे अधिक तीन दलित समुदाय के हैं।
कर्नाटक के इस चुनाव में भाजपा की शिकस्त और कांग्रेस की जीत में सत्ता विरोधी लहर के अलावा सबसे बड़ी भूमिका राजनीतिक पार्टियों के परंपरागत आधार वोट बैंक में हुए बिखराव को जाता है। पिछड़े वर्ग से ताल्लुक रखने वाले कुरूवा समुदाय से ताल्लुक रखने वाले मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के चलते कांग्रेस ने कर्नाटक में अपने अहिंदा आधार वोट बैंक को सुरक्षित रखने में सफलता हासिल की।
कांग्रेस ने की भाजपा के वोट बैंक पर सेंधमारी
वहीं, भाजपा के सबसे मजबूत आधार वोट लिंगायत और जेडीएस के सियासी आधार वोक्कालिंगा में भी कांग्रेस ने इस बार बड़ी सेंध लगायी। कांग्रेस के इस अहिंदा आधार में ओबीसी, दलित, आदिवासी और अल्पसंख्यक शामिल हैं।सूबे में पार्टी के सबसे बड़े नेता होने के साथ उनका सामाजिक आधार ही प्रमुख वजह रही कि डीके शिवकुमार की तमाम कोशिशों के बावजूद कांग्रेस हाईकमान ने सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया। डीके शिवकुमार को डिप्टी सीएम बनाकर कांग्रेस ने वोक्कालिंगा वर्ग को भी भविष्य के लिए साधने का संदेश दिया है।
मंत्रिमंडल में लिंगायत नेता को भी मिली जगह
वहीं, कांग्रेस के सबसे बड़े लिंगायत नेता एमबी पाटिल को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया है, लेकिन इस वर्ग का जैसा पार्टी को तीन दशक बाद समर्थन मिला है उस हिसाब से अभी यह हिस्सेदारी सांकेतिक ही मानी जाएगी। रेडडी समुदाय से पार्टी के वरिष्ठ नेता रामलिंगा रेडडी कैबिनेट में शामिल किए गए हैं। वहीं सूबे की अनुसूचित जाति में शामिल वाल्मिकी समुदाय के सतीश जारकीहोली को मंत्रिमंडल में लिया जाना तय था।