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हरियाणा में कांग्रेस ने शुरू की मुख्यमंत्री चुनने की तैयारी, जम्मू-कश्मीर में भी बढ़ी हलचल

Haryana JK Election Results हरियाणा में जीत तय मानकर चल रही कांग्रेस ने अब मुख्यमंत्री चुनने की कवायद शुरू कर दी है। इसके लिए पार्टी केंद्रीय पर्यवेक्षकों के चयन से लेकर उन्हें चंडीगढ़ भेजने की रूपरेखा तैयार कर रही है। इधर दावेदारों के बीच भी हलचल बढ़ गई है। इस बीच जम्मू-कश्मीर में भी कांग्रेस सतर्क है और भाजपा से निपटने की तैयारी शुरू कर दी है।

By Jagran News Edited By: Sachin Pandey Updated: Sun, 06 Oct 2024 08:27 PM (IST)
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मुख्यमंत्री पद के दावेदार भी अपनी रणनीति बना रहे हैं। (File Image)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। हरियाणा विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत तय मान रही कांग्रेस अब नतीजों के बाद मुख्यमंत्री पद की दावेदारी को लेकर सूबे के दिग्गजों की तगड़ी प्रतिस्पर्धा से निपटने की तैयारियों में जुट गई है। वहीं मुख्यमंत्री पद के तीनों प्रमुख दावेदारों भूपेंद्र सिंह हुडडा, कुमारी सैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला भी अपने-अपने समर्थकों को एकजुट रखते हुए अपनी रणनीति बना रहे हैं।

इस क्रम में मुख्यमंत्री पद के सबसे प्रबल दावेदार भूपेंद्र सिंह हुडडा जहां चुप्पी रखते हुए सधे कदमों से अपना दांव चल रहे हैं तो उनको चुनौती दे रहीं कुमारी सैलजा ने रविवार को भी मुखर रूप से मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदारी जताने से कोई गुरेज नहीं किया।

तैयारी में जुटे रणनीतिकार

मुख्यमंत्री पद के लिए अपने वरिष्ठ नेताओं के बीच चल रही इस रस्साकशी के चुनाव नतीजे आने के साथ ही और तेज होने को देखते हुए ही कांग्रेस हाईकमान ने केंद्रीय पर्यवेक्षकों के चयन से लेकर उन्हें चंडीगढ़ भेजने की रूपरेखा तैयार करनी शुरू कर दी है। पार्टी सूत्रों ने बताया कि हरियाणा कांग्रेस विधायक दल के नेता के चुनाव के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षकों के नामों की घोषणा तो मंगलवार को नतीजे आने के बाद ही की जाएगी, लेकिन पार्टी के वरिष्ठ रणनीतिकार इसकी तैयारियों में अभी से जुटे हुए हैं।

कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और पार्टी कोषाध्यक्ष अजय माकन हरियाणा की चुनावी रणनीति का शीर्ष नेतृत्व की ओर से संचालन कर रहे हैं। पुख्ता संकेत हैं कि बेशक केंद्रीय पर्यवेक्षकों को भेजा जाएगा, मगर हाईकमान के रणनीतिकार के रूप में इन दोनों नेताओं की मुख्यमंत्री के चयन में अहम भूमिका रहेगी।

दिल्ली में ही रहेंगे खरगे-राहुल

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी सोमवार रात तक राजधानी दिल्ली लौट आएंगे, ताकि हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के चुनाव नतीजों के परिप्रेक्ष्य में रणनीतिक फैसला लेने में कोई देर न हो। लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी भी चुनाव नतीजों के दिन दिल्ली में ही रहेंगे। ताकि दोनों शीर्षस्थ पार्टी नेताओं के बीच आपसी सलाह-मशविरे में किसी तरह की अड़चन नहीं रहेगी।

कांग्रेस में चुनाव परिणाम आने के बाद मुख्यमंत्री के चयन के लिए नवनिर्वाचित विधायकों की बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर कांग्रेस अध्यक्ष को सीएम का नाम तय करने के लिए अधिकृत किया जाता है। हालांकि इस दौरान केंद्रीय पर्यवेक्षक सभी विधायकों से मुख्यमंत्री के तौर पर उनकी पसंद पूछते हैं। हाईकमान पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट और विधायकों की बहुमत राय के अनुरूप मुख्यमंत्री का नाम तय करता है।

कर्नाटक है ताजा उदाहरण

कर्नाटक ताजा उदाहरण है, जहां डीके शिवकुमार की तमाम कोशिशों के बावजूद सिद्धरमैया के पक्ष में अधिक विधायकों की राय देखते हुए उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया। दिलचस्प यह है कि हुडडा को चुनौती दे रहीं कुमारी सैलजा ने रविवार को कहा कि केवल विधायकों की राय से ही सीएम नहीं चुना जाना चाहिए, क्योंकि इससे गुटबाजी को बढ़ावा मिल सकता है और हाईकमान को विधायक दल का नेता चुनना चाहिए।

टिकट बंटवारे में हुडडा का वर्चस्व रहा था और ऐसे में नवनिर्वाचित विधायकों में उनके समर्थकों की संख्या ज्यादा होगी और इसलिए सैलजा ने रविवार को विधायकों की बजाय हाईकमान द्वारा सीएम चुने जाने की पैरोकारी की। हरियाणा में कांग्रेस बड़े बहुमत को लेकर आश्वस्त है, मगर जम्मू-कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस के साथ गठबंधन में बहुमत के आंकड़े की चुनौतीपूर्ण राह को देखते हुए भाजपा से निपटने के लिए रणनीतिक तत्परता को पार्टी जरूरी मान रही है।

जम्मू-कश्मीर में बढ़ी सक्रियता

इसलिए जम्मू-कश्मीर के प्रभारी भरत सोलंकी के साथ-साथ वहां चुनाव के लिए पार्टी के वरिष्ठ पर्यवेक्षक बनाए गए पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी पूरी तरह सक्रिय हैं। समझा जाता है कि चन्नी को पार्टी नेतृत्व ने जम्मू-कश्मीर की कुछ छोटी पार्टियों और संभावित निर्दलीय जीतने वाले विधायकों से बातचीत कर कांग्रेस-एनसी गठबंधन के साथ लाने की संभावनाएं टटोलने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। कांग्रेस इस केंद्र शासित प्रदेश में उमर अब्दुल्ला की अगुवाई में सरकार गठन के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगी इसके पुख्ता संकेत हैं।