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कांग्रेस ने महंगाई-बेरोजगारी की चुनौतियों पर सरकार को घेरा, जयराम रमेश ने कहा- आंकड़े छिपाने में व्यस्त सरकार

जयराम रमेश ने कहा कि आर्थिक संकट की वजह से बढ़ती असमानता से ध्यान भटकाने की कोशिश हो रही है मगर मोदी सरकार आंकड़ों को चाहे कितना भी छिपाए हकीकत यही है कि बड़ी संख्या में लोग परेशान हैं। पिछले सप्ताह रिजर्व बैंक की सितंबर माह की आयी रिपोर्ट से साफ है कि कोविड-19 महामारी से अर्थव्यवस्था को उबरने में सरकार पूरी तरह विफल रही।

By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Sun, 24 Sep 2023 07:18 PM (IST)
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जयराम रमेश ने कहा कि आर्थिक संकट की वजह से बढ़ती असमानता से ध्यान भटकाने की कोशिश हो रही है
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कांग्रेस ने देश की अर्थव्यवस्था की गहराती चुनौतियों, बढ़ती महंगाई और बेरोजगारी से लेकर विदेशी निवेश में गिरावट जैसे मुद्दों को लेकर मोदी सरकार पर वार किया है। उसके मुताबिक सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन के कारण सामान्य परिवार और छोटे व्यवसाय जहां भारी दबाव में हैं तो सरकार स्थिति ठीक करने में अक्षम है।

क्या है कांग्रेस का आरोप ?

पार्टी ने यह आरोप भी लगाया है कि महंगाई को काबू में लाने और अर्थव्यवस्था को दुरूस्त करने की बजाय सरकार इसके आंकड़ों को विकृत कर इन्हें दबाने में व्यस्त है। कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने रविवार को एक विस्तृत बयान में कहा कि बढ़ती बेरोजगारी, घरेलू आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतें, एमएसएमई की घटती बिक्री, धीमी घरेलू ऋण वृद्धि, घरेलू वित्तीय देनदारियों में वृद्धि एवं बचत में कमी के साथ एफडीआई में गिरावट रोकने में मोदी सरकार की विफलता सामने है।

बड़ी संख्या में लोग परेशान हैं: रमेश

जयराम रमेश ने कहा कि आर्थिक संकट की वजह से बढ़ती असमानता से ध्यान भटकाने की कोशिश हो रही है मगर मोदी सरकार आंकड़ों को चाहे कितना भी छिपाए हकीकत यही है कि बड़ी संख्या में लोग परेशान हैं। पिछले सप्ताह रिजर्व बैंक की सितंबर माह की आयी रिपोर्ट से साफ है कि कोविड-19 महामारी से अर्थव्यवस्था को उबरने में सरकार पूरी तरह विफल रही।

जयराम ने उठाया बेरोजगारी का मुद्दा

फरवरी 2020 में 43 प्रतिशत लोग लेबर फोर्स में थे और आज भी यह भागीदारी 40 फीसद बनी हुई है। अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय की एक रिपोर्ट बताती है कि 25 वर्ष से कम आयु के 42 से अधिक ग्रेजुएट 2021-22 में बेरोजगार थे। महामारी की शुरुआत से पहले ही भारत में बेरोजगारी 45 वर्षों में सबसे अधिक थी जिसे छिपाने में सरकार नाकाम रही। आवश्यक वस्तुओं की कीमतें तेजी से बढ़ोतरी पर जयराम ने कहा कि इसका सबसे ज्यादा असर आम परिवारों के घरेलू बजट पर पड़ रहा है।

क्या कहते हैं आंकड़े?

टमाटर की कीमतों में अनियंत्रित उछाल को सबने देखा। जनवरी 2023 से तुअर दाल की कीमतें 45 प्रतिशत बढ़ गई हैं। अगस्त से आटे की कीमतें 20 फीसद, बेसन में 21, गुड में 11.5 और चीनी की कीमतें पांच प्रतिशत बढ़ी हैं। इसके विपरीत पूंजिपतियों को फायदा पहुंचाने वाली नीतियों ने आर्थिक लाभ को कुछ चुने हुई कंपनियों तक केंद्रित कर दिया है। इस वजह से एमएसएमइ केलिए प्रतिस्पर्धा करना लगभग असंभव हो गया है।

जयराम ने मार्सेलस की एक रिपोर्ट का दिया हवाला

जयराम ने मार्सेलस की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि छोटे व्यवसाय की बाजार हिस्सेदारी भारत के इतिहास में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है। कंसोर्टियम ऑफ इंडियन एसोसिएशन द्वारा 100,000 छोटे व्यवसाय मालिकों के 2023 के सर्वेक्षण के अनुसार 75 प्रतिश छोटे व्यवसायों के पैसे बर्बाद हो रहे हैं। निजी क्षेत्र को मिलने वाला कर्ज विकास का ईंजन है मगर बीते एक दशक से यह लगातार स्थिर है।

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आरबीआई के अनुसार

जयराम ने कहा कि आरबीआई के अनुसार पिछले वर्ष के दौरान गोल्ड लोन में 23 प्रतिशत और पर्सनल लोन में 29 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जो बताती है कि लोग बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए भी कर्ज लेने को मजबूर हैं। घरेलू बचत वृद्धि दर 47 साल के सबसे निचले स्तर पर है जो अर्थव्यवस्था में समग्र मंदी को दर्शाता है। एक दशक में पहली बार भारत में एफडीआई प्रवाह में 16 प्रतिशत की गिरावट आई है।

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