Move to Jagran APP

ममता बनर्जी के एकला चलो के एलान के बाद डैमेज कंट्रोल में जुटी कांग्रेस, सीट बंटवारे की चुनौतियों पर अब खरगे करेंगे बात

लोकसभा सीट बंटवारे को लेकर विपक्षी आईएनडीआईए गठबंधन की एकता को ममता बनर्जी के अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा से लगे झटके के बावजूद कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के साथ तालमेल की उम्मीद अभी नहीं छोड़ी है। कांग्रेस का मानना है कि ममता के बयान का अर्थ यह नहीं कि बंगाल में आईएनडीआईए की एकजुटता की राह बंद हो गई।

By Jagran News Edited By: Anurag GuptaUpdated: Wed, 24 Jan 2024 08:52 PM (IST)
Hero Image
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (बाएं) और कांग्रेस की पूर्व अध्यक्षा सोनिया गांधी (बाएं)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लोकसभा सीट बंटवारे को लेकर विपक्षी आईएनडीआईए गठबंधन की एकता को ममता बनर्जी के अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा से लगे झटके के बावजूद कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के साथ तालमेल की उम्मीद अभी नहीं छोड़ी है।

कांग्रेस ने तल्खी घटाने का किया प्रयास

भाजपा के खिलाफ विपक्ष की साझी लड़ाई के लिए ममता की सक्रिय भागीदारी को अहम मान रहे कांग्रेस नेतृत्व ने गठबंधन की गांठ सुलझाने के लिए सियासी डैमेज कंट्रोल की पहल शुरू कर दी है। संकेत हैं कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व जल्द ही सीधे तृणमूल कांग्रेस प्रमुख से बात कर सीट बंटवारे की ट्रैक से उतरी बातचीत को फिर से पटरी पर लाने की कोशिश करेगा। इसके मद्देनजर ही कांग्रेस ने ममता के अकेले चुनाव में जाने की घोषणा पर जवाबी हमला करने से परहेज करते हुए उन्हें विपक्षी गठबंधन का अहम किरदार बता उनकी तल्खी घटाने की कोशिश की।

क्या दीदी को नहीं मिला न्याय यात्रा का निमंत्रण?

कांग्रेस से तालमेल किए बिना अकेले भाजपा को चुनौती देने की ममता की घोषणा ने पार्टी के लिए दोहरी चुनौती इस लिहाज से बढ़ा दी है कि इससे आईएनडीआईए गठबंधन की एकजुटता के दावों पर सवाल खड़ा हो गया। साथ ही दीदी का यह ऐलान राहुल गांधी की न्याय यात्रा के पश्चिम बंगाल में प्रवेश से ठीक एक दिन पहले आया। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने न्याय यात्रा में भागीदारी का निमंत्रण नहीं मिलने तक की बात भी उठाई है और दीदी के इस रूख का असर सूबे में राहुल की यात्रा पर भी हो सकता है।

यह भी पढ़ें: ...तो ममता करेंगी भाजपा की मदद, टीएमसी सुप्रीमो के एकला चलो की रणनीति पर कांग्रेस का बड़ा बयान

कांग्रेस का मानना है कि ममता के बयान का अर्थ यह नहीं कि बंगाल में आईएनडीआईए की एकजुटता की राह बंद हो गई और पार्टी सूत्रों ने कहा कि दीदी की घोषणा के पीछे दो प्रमुख वजह है।

  • पहला इसके जरिए तृणमूल कांग्रेस सीट बंटवारे में कांग्रेस को कम से कम सीटें देने का दबाव बनाने का प्रयास कर रही है।
  • वहीं दूसरी ओर बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी के उनके खिलाफ लगातार जारी सियासी हमलों को लेकर कांग्रेस नेतृत्व से नाराजगी जता रही हैं।

ममता से बात करेंगे खरगे

तृणमूल कांग्रेस पहले से ही यह कह रही है कि ममता पर हमला कर अधीर जैसे कांग्रेस नेता आईएनडीआईए की एकता को नुकसान पहुंचा रहे हैं और कांग्रेस नेतृत्व को इसे रोकना चाहिए। सूत्रों ने कहा,

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे सीट बंटवारे की चुनौतियों पर दीदी से सीधे बात करेंगे। राहुल गांधी की ओर से भी बंगाल यात्रा के दौरान दीदी को साधने का प्रयास किया जाएगा।

कांग्रेस के लिए महज ममता चुनौती नहीं 

वैसे राहुल ने मंगलवार को ही कहा था कि कांग्रेस और उनके खुद के ममता बनर्जी से अच्छे रिश्ते हैं और दोनों पार्टियों के बीच सीट बंटवारे की उलझन आपसी बातचीत से सुलझ जाएगी। ममता की घोषणा के बाद कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने दीदी के बिना आईएनडीआईए गठबंधन की कल्पना नहीं किए जाने का बयान देकर उनकी नाराजगी थामने का प्रयास किया। वैसे कांग्रेस की चुनौती केवल ममता नहीं हैं, बल्कि आम आदमी पार्टी के साथ भी उलझन कायम है।

यह भी पढ़ें: 'अभी कुछ और 'दल' भी छोड़ेंगे दल-दल', I.N.D.I. गठबंधन को लेकर कांग्रेस नेता का बड़ा दावा

पंजाब कांग्रेस की इकाई पहले ही आप से तालमेल के खिलाफ थी अब मुख्यमंत्री भगवंत मान ने भी सूबे की सभी 13 सीटों पर लड़ने की घोषणा कर दी है। गोवा, हरियाणा और गुजरात में आम आदमी पार्टी के सीटों पर दावों को कांग्रेस स्वीकार करने को राजी नहीं है। बिहार में जदयू नेता नीतीश कुमार की सियासत को पढ़ना कांग्रेस के लिए चुनौती बनी हुई है तो राजद भी उदारता दिखाने को तैयार नहीं। महाराष्ट्र में जरूर आईएनडीआईए घटकों के बीच सहमति की राह बन रही है, मगर यहां भी उद्धव ठाकरे को साधे रखना कांग्रेस के लिए चुनौती बनी हुई है।