कांग्रेस ने भाजपा और अदाणी समूह पर बोला हमला, पूछा- क्या IBC ऑर्गनाइज लूट के लिए लाया गया था?
कांग्रेस ने IBC के तहत कम कर्ज वसूली को लेकर केंद्र पर निशाना साधा है। कांग्रेस ने पूछा है कि क्या यह दबाव वाली कंपनियों को बचाने का तंत्र है या यह ‘संगठित लूट’ का एक अन्य हथियार है।
SICA और BIFR से भी बदतर है IBC
2016 में IBC के लिए तालियां पीटी गईं। इसे बिग बैंक रिफॉर्म बताया गया। कहा गया बैंकों की रिकवरी बढ़ेगी, लेकिन आठ साल में रिकवरी 17.6% रही। IBC के आने से ये हुआ कि बैंक से पैसा लो, डिफाल्ट करो और जब बैंक IBC में जाए तो कुछ पैसा बैंक को वापस दो। फिर सारा मामला खत्म..
ऋण वसूली स्वीकार किए गए दावों को केवल 17.7 प्रतिशत
वल्लभ ने कहा कि ऐसे समय में जब लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, आईबीसी के तहत ऋण की कुल वसूली स्वीकार किए गए दावों का केवल 17.6 प्रतिशत है, जिसके परिणामस्वरूप उनके क्रेडिट या ऋण के वित्तीय लेनदारों के लिए 82.4 प्रतिशत का नुकसान हुआ है। उन्होंने दावा किया कि IBC के तहत 75 प्रतिशत फर्म स्क्रैप की बिक्री में समाप्त हो जाती हैंदेश में दूसरी ऑर्गनाइज्ड लूट हुई है। 2016-2023 के बीच जितने केस IBC (Insolvency and Bankruptcy Code) में गए, उनमें से मात्र 17.6% की रिकवरी हुई। बाकी 82.4% पैसा राइट ऑफ हो गया। यही नहीं, 75% केस में स्क्रैप सेल हुई यानी कई कंपनियां भंगार के भाव बिक गईं।
सफल नहीं हो पाया आईबीसी
- कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि आईबीसी के तहत ऋण वसूली अपने पूर्ववर्ती तंत्र की तुलना में कहीं अधिक खराब है, जो एसआईसीए के तहत 25 प्रतिशत थी।
- उन्होंने कहा कि IBC का प्राथमिक लक्ष्य विभिन्न कारणों से वित्तीय तनाव का सामना करने वाली फर्मों को बचाना और पुनर्जीवित करना और लेनदारों की रक्षा करना है, लेकिन यह सफल नहीं हो पाया, क्योंकि IBC की कार्यवाही से गुजरने वाली 75 प्रतिशत फर्म 'परिसमापन' के साथ खत्म हो गईं।
- वल्लभ ने दावा किया कि इसके अलावा, परिसमापन से ऋण की वसूली केवल 5.6 प्रतिशत (वित्तीय वर्ष 23 तक) है - यानी, आईबीसी से गुजरने वाली 75 प्रतिशत फर्मों में लगाया गया 94 प्रतिशत पैसा स्थायी रूप से खो गया है।
- वल्लभ ने कहा कि IBC प्रक्रियाओं के दौरान, संपत्ति को छीनना प्रतिबंधित है और यह सुनिश्चित करने के लिए जितनी जल्दी हो सके, इसे बहाल किया जाना चाहिए, ताकि कंपनियां अपना आंतरिक मूल्य न खोएं।
अदाणी समूह पर IBC का गलत इस्तेमाल करने का आरोप
अदाणी ने वित्तीय लेनदारों को 1100 करोड़ का किया भुगतान
- वल्लभ ने दावा किया कि अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन लिमिटेड (APSEZ) ने कराईकल पोर्ट प्राइवेट लिमिटेड (KPPL) का अधिग्रहण पूरा किया और समाधान योजना के अनुसार, अदाणी पोर्ट्स ने कराईकल पोर्ट के लिए 1,583 करोड़ रुपये का भुगतान किया।
- उन्होंने कहा कि केपीपीएल के लिए स्वीकृत दावे 2,997 करोड़ रुपये थे।
- उन्होंने आरोप लगाया कि कोरबा वेस्ट पावर प्लांट के अधिग्रहण में, अदाणी ने वित्तीय लेनदारों को 1,100 करोड़ रुपये का भुगतान किया, जिन्होंने कुल मिलाकर 3,346 करोड़ रुपये के दावों को स्वीकार किया था।
अदाणी ग्रुप ने IBC का उपयोग कर औने-पौने दाम में पोर्ट और पॉवर कंपनियों को खरीद लिया। ये कंपनियां थीं- कराईकल पोर्ट, कोरबा वेस्ट पावर प्लांट और SR पावर... हमारा सवाल है कि क्या IBC ऑर्गनाइज लूट के लिए लाया गया था?