Congress Meeting: राहुल गांधी को लोकसभा में नेता विपक्ष बनाने का तैयार हुआ आधार, नेताओं ने भी बैठक में एक सुर से आवाज की बुलंद
लोकसभा चुनाव के नतीजों की समीक्षा के लिए बुलाई गई कार्यसमिति की बैठक में कांग्रेस के संतोषजनक प्रदर्शन को लेकर चर्चा के दौरान जब चारों शीर्ष नेताओं खरगे सोनिया गांधी राहुल और प्रियंका की अहम चुनावी भूमिका की प्रशंसा करते हुए प्रस्ताव आया तो इसे गर्मजोशी से पारित करते हुए नेताओं ने विपरीत परिस्थितियों में चुनाव अभियान का सफल नेतृत्व करने के लिए राहुल की खास सराहना की।
संजय मिश्र, नई दिल्ली। कांग्रेस कार्यसमिति के राहुल गांधी से लोकसभा में नेता विपक्ष का पद संभालने का आग्रह करते हुए प्रस्ताव पारित कर उनके नेता प्रतिपक्ष बनने का मजबूत आधार तैयार कर दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की अध्यक्षता में कार्यसमिति की शनिवार को हुई बैठक में इसके साथही पारित प्रस्ताव में पार्टी की मजबूती वापसी का श्रेय विशेष रूप से राहुल गांधी को देते हुए उनकी दो यात्राओं 'भारत जोड़ो यात्रा' और 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' की इसमें बेहद अहम भूमिका होने की बात कही गई।
'राहुल गांधी बनें नेता प्रतिपक्ष', कांग्रेस सांसदों ने उठाई मांग
लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल का नेता बनाए जाने के लिए प्रस्ताव पारित होने के साथ ही पार्टी के तमाम सांसदों-नेताओं ने एक सुर से राहुल से नेता विपक्ष की जिम्मेदारी लेने का आग्रह किया है। राहुल गांधी ने इस जिम्मेदारी को संभालने का फैसला लेने के लिए पार्टी से कुछ दिनों का वक्त मांगा है। वहीं, संसदीय दल की शनिवार को हुई बैठक में सोनिया गांधी को सर्वसम्मति से कांग्रेस संसदीय दल का अध्यक्ष फिर से चुन लिया गया।
ससंदीय दल की बैठक में सोनिया गांधी को मिली बड़ी जिम्मेदारी
साथ ही संसदीय दल ने प्रस्ताव पारित कर लोकसभा में सदन का नेता यानि नेता विपक्ष के मनोनयन के लिए सोनिया गांधी को अधिकृत कर दिया। लोकसभा के नवनिर्वाचित सदस्यों और राज्यसभा के पार्टी के तमाम सांसदों के साथ संविधान सदन के सेंट्रल हॉल में हुई संसदीय दल की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सोनिया गांधी को फिर से संसदीय दल का अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव रखा।
18वीं लोकसभा के लिए चुने गए सांसदों गौरव गोगोई, के सुधाकरण और तारिक अनवर ने प्रस्ताव का अनुमोदन किया। इसके बाद सर्वसम्मति से मेजों की थपथपाहट की गूंज के बीच प्रस्ताव पारित कर सोनिया गांधी को संसदीय दल का अध्यक्ष चुने जाने की घोषणा की गई।
लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों की समीक्षा के लिए बुलाई गई कार्यसमिति की बैठक में कांग्रेस के संतोषजनक प्रदर्शन को लेकर चर्चा के दौरान जब चारों शीर्ष नेताओं मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा की अहम चुनावी भूमिका की प्रशंसा करते हुए प्रस्ताव आया, तो इसे गर्मजोशी से पारित करते हुए नेताओं ने विपरीत परिस्थितियों में चुनाव अभियान का सफल नेतृत्व करने के लिए राहुल की खास सराहना की।
राहुल गांधी के नेता विपक्ष बनने पर सस्पेंस बरकरार
सूत्रों के अनुसार, वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने जब यह प्रस्ताव रखा उसके बाद प्रताप सिंह बाजवा, रेवंत रेड्डी, प्रमोद तिवारी, मणिक्कम टैगोर, केसी वेणुगोपाल, मनीष तिवारी से लेकर तमाम नेताओं ने एक सुर से राहुल गांधी के लोकसभा में नेता विपक्ष की जिम्मेदारी संभालने की आवाज बुलंद की।
पार्टी नेताओं के इस आग्रह तथा कार्यसमिति के प्रस्ताव पर राहुल ने तत्काल प्रतिक्रिया नहीं दी और फैसला लेने के लिए वक्त मांगते हुए कहा कि जल्द ही इस पर निर्णय लेंगे। कार्यसमिति की बैठक के बाद पत्रकार-वार्ता में पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल और जयराम रमेश ने कहा कि राहुल गांधी तीन-चार दिनों में इस पर फैसला लेंगे।
संसदीय दल की बैठक में भी सांसदों ने राहुल को लोकसभा में नेता बनाए जाने की अपनी इच्छाओं का इजहार किया। राहुल गांधी की बड़ी भूमिकाओं को लेकर पार्टी नेता तो हमेशा आवाज बुलंद होती रही है लेकिन अबकी बार कांग्रेस कार्यसमिति की ओर से आधिकारिक प्रस्ताव पारित किए जाने से साफ है कि लोकसभा में नेता विपक्ष के लिए राहुल पार्टी की फिलहाल एकमात्र पसंद हैं।
नेता प्रतिपक्ष की होती है अहम भूमिका
जैसा कि जयराम ने कहा कि भी बैठक में तमाम नेताओं की राय यही थी कि राहुल गांधी को लोकसभा में नेता विपक्ष की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। खासकर इसलिए कि अग्निवीर, जातीय जनगणना, रोजगार, महंगाई, राष्ट्रीय सौहार्द जैसे सवाल आज भी अहम हैं, जिन पर राहुल गांधी विपक्ष की सबसे मजबूत आवाज हैं।
जयराम ने यह भी कहा कि राहुल गांधी नेता विपक्ष बनने के लिए सबसे उपयुक्त व्यक्ति हैं। इस प्रस्ताव से राहुल क्या सहमत हैं इस पर वेणुगोपाल ने कहा कार्यसमिति के सदस्यों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए राहुल ने कहा कि वे 'बहुत जल्द' इस पर निर्णय लेंगे। लोकसभा में सूत्रों ने बताया कि इस दौरान राहुल गांधी की वायनाड़ और रायबरेली सीट में से एक को छोड़ने को लेकर भी संक्षिप्त चर्चा हुई।
केरल के एक सांसद ने जब वायनाड़ से दूसरी बार उनके जीतने को देखते हुए इसके लिए पैरोकारी की तो कुछ नेताओं ने तत्काल इसे खारिज करते हुए रायबरेली वा मुहर लगाई। इसमें उत्तरप्रदेश कांग्रेस विधायक दल की नेता अराधना मिश्रा मोना भी शामिल थीं। वैसे देश की राजनीति में उत्तरप्रदेश की अहमियत को देखते हुए इसमें किसी तरह की किंतु-परंतु की गुंजाइश नहीं कि राहुल गांधी रायबरेली सीट से ही सांसद रहेंगे और उनका वायनाड सीट छोड़ना तय है।