वन नेशन, वन इलेक्शन के खिलाफ विपक्ष बना रहा तगड़ा प्लान, लेकिन यहां फंस रहा पेच
One Nation One Election एक राष्ट्र एक चुनाव के प्रस्ताव को केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों में हलचल तेज हो गई है। मंत्रिमंडल ने जिस एक राष्ट्र एक चुनाव प्रस्ताव को मंजूरी दी उसमें 100 दिनों के भीतर शहरी निकाय और पंचायत चुनाव के साथ-साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने का प्रस्ताव है।
संजय मिश्र, नई दिल्ली। लोकसभा के साथ ही सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव कराने के लिए कैबिनेट से पारित एक देश, एक चुनाव प्रस्ताव को आगे बढ़ाने की भाजपा-एनडीए सरकार के प्रयासों को रोकने के लिए विपक्षी आईएनडीआईए गठबंधन दोनों खेमों से दूरी रखने वाले कुछ प्रमुख क्षेत्रीय दलों को साधने की हर कोशिश करेगा।
पुनर्विचार करने का संकेत
विपक्ष इस क्रम में नवीन पटनायक की बीजू जनता दल, के चंद्रशेखर राव की भारत राष्ट्र समिति और जगन मोहन रेडडी की वाईएसआर कांग्रेस को एक देश, एक चुनाव प्रस्ताव के खिलाफ लामबंदी से जोड़ने का पूरा प्रयास करेगा। अब तक एक देश, एक चुनाव के विचार का समर्थन करती रही बीजद ने ओडिसा में भाजपा के हाथों हुई सत्ता पलट के बाद इसको लेकर अपने रूख पर पुनर्विचार करने का संकेत दिया है।
यह संविधान के खिलाफ
वहीं बीआरएस भी अपनी सियासत के हिसाब से लोकसभा तथा विधानसभा के चुनाव एक साथ कराने का प्रस्ताव मुफीद नहीं मान रही और पार्टी की ओर से दिए जा रहे संकेतों साफ हैं कि केसीआर इसके विरोध का झंडा उठाएंगे। कांग्रेस की अगुवाई वाले विपक्षी आईएनडीआईए गठबंधन ने कैबिनेट से पारित प्रस्ताव का एक सुर से यह कहते हुए विरोध का पहले ही एलान कर दिया है कि एक देश, एक चुनाव संघवाद ही नहीं संविधान के खिलाफ भी है।पक्ष-विपक्ष में वार
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इसकी राह रोकने की दृढ़ता दिखाते हुए बुधवार को ही इस पर राजनीतिक सहयोग व समन्वय का विस्तार करने की गुंजाइश तलाशने के इरादों का संकेत दे दिया था। बीजद के वरिष्ठ नेता राज्यसभा सांसद सस्मित पात्रा की गुरुवार को आयी आधिकारिक प्रतिक्रिया में कांग्रेस को इसकी गुंजाइश की किरणें दिखी। पात्रा ने कहा कि बीजद ने प्रारंभ में एक देश, एक चुनाव प्रस्ताव का समर्थन किया था पर अब हम चिंतित है कि केंद्र सरकार इसे कि तरह से देख रही है।
संसद को समय से पहले भंग
प्रस्ताव की बारीकियां अभी सामने नहीं आयी हैं पर इस योजना में एक बड़ा अस्पष्ट क्षेत्र खुल जाता है। उनके मुताबिक कोई नहीं जानता कि विधानसभा में बहुमत नहीं होता या फिर विधानसभा-संसद को समय से पहले भंग कर दिया जाता है तो क्या होगा। संवैधानिक संकट से लेकर अविश्वास प्रस्ताव के चलते सदन जल्द भंग करने की स्थिति से कैसे निपटा जाएगा इस पर संशय है।विपक्ष कर रहा साधने का प्रयास
उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी का सुझाव है कि कृषि कानूनों की तरह इसमें जल्दबाजी न की जाए और विधायी जांच की प्रक्रिया से गुजरने दिया जाए। पात्रा के बयान में कांग्रेस इस प्रस्ताव पर बीजद के रूख बदलने की संभावनाएं देख रही है।
- जगनमोहन रेडडी के आंध्र की सत्ता में रहने तक वाईएसआर कांग्रेस भी एक देश, एक चुनाव के पक्ष में थी मगर चंद्रबाबू नायडु के हाथों मिली करारी शिकस्त के बाद उन्हें अपनी सियासत बचाने के संकट से रुबारू होना पड़ रहा है। ऐसे में विपक्ष उनको भी साधने का प्रयास करेगा।
- हालांकि वाईएसआर कांग्रेस ने कैबिनेट से इस प्रस्ताव की मंजूरी के बाद अभी तक किसी तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त करने से परहेज किया है। भाजपा और चंद्रबाबू के गठबंधन के बावजूद अपनी राजनीति बचाए रखने के लिए जगन अभी अहम नीतिगत मामलों में भाजपा कैंप के साथ ही रहे हैं।