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Congress Party: मल्लिकार्जुन खड़गे छोड़ेंगे राज्यसभा में नेता विपक्ष का पद, दिग्विजय सिंह प्रबल दावेदार

उदयपुर नवसंकल्प शिविर के बाद कांग्रेस के एक व्यक्ति एक पद के फार्मूले पर कड़ाई से अमल करने को देखते हुए तय है कि मल्लिकार्जुन खड़गे के पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद राज्यसभा में उनकी जगह नया चेहरा विपक्ष की नेता की जगह लेगा।

By Jagran NewsEdited By: Arun kumar SinghUpdated: Fri, 30 Sep 2022 08:04 PM (IST)
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मल्लिकार्जुन खड़गे छोड़ेंगे राज्यसभा में नेता विपक्ष का पद, दिग्विजय सिंह प्रबल दावेदार
संजय मिश्र, नई दिल्ली। मल्लिकार्जुन खड़गे के कांग्रेस अध्यक्ष का उम्मीदवार बनने के बाद अब लगभग तय हो गया है कि राज्यसभा में नेता विपक्ष का चेहरा भी बदल जाएगा। उदयपुर नवसंकल्प शिविर के बाद कांग्रेस के एक व्यक्ति एक पद के फार्मूले पर कड़ाई से अमल करने को देखते हुए तय है कि मल्लिकार्जुन खड़गे के पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद राज्यसभा में उनकी जगह नया चेहरा विपक्ष की नेता की जगह लेगा। कांग्रेस की अंदरूनी सियासत के समीकरणों की कसौटी पर अध्यक्ष पद के चुनावी मुकाबले से आखिरी समय में पीछे हटे दिग्विजय सिंह को राज्यसभा में नेता विपक्ष के लिए प्रबल दावेदार माना जा रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव का पर्चा दाखिल करने के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे का राज्यसभा में नेता विपक्ष पद से इस्तीफा देना इसलिए भी तय है कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष की उम्मीदवारी में सबसे बड़ी बाधा एक व्यक्ति एक पद की यह कसौटी ही रही।

राहुल गांधी ने तय की लक्ष्मण रेखा तय

गहलोत के उम्मीदवार बनने की जब बात हुई थी तभी अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने साफ कर दिया कि उदयपुर संकल्प शिविर में एक व्यक्ति एक पद की लक्ष्मण रेखा तय कर दी गई है और इसमें किसी के लिए कोई ढील नहीं है। गहलोत के चुनाव की दावेदारी से पीछे हटने की सबसे बड़ी वजह भी यही रही। इसलिए इसमें संदेह की गुंजाइश नहीं कि मल्लिकार्जुन खड़गे का नेता विपक्ष से इस्तीफा देना तय है। दिलचस्पी केवल इतनी है कि वे कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद इस्तीफा देते हैं या पहले।

दिग्गी राजा का संसदीय क्षेत्र में लंबा अनुभव

राज्यसभा में नेता विपक्ष के लिए दिग्विजय सिंह की प्रबल दावेदारी की बड़ी वजह उनकी गांधी परिवार के नेतृत्व के प्रति निष्ठा तो है ही, साथ ही उनका व्यापक अनुभव भी उन्हें पार्टी के अन्य दावेदारों से आगे करता है। दस साल तक मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे दिग्गी राजा का संसदीय अनुभव भी लंबा है और कांग्रेस की विचाराधारा के प्रति भी उनकी मुखर प्रतिबद्धता जगजाहिर है।

चिदंबरम के लिए नेता विपक्ष बनने की राह मुश्किल

वैसे पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम हिन्दी नहीं जानने की कमी को छोड़ तमाम पैमानों पर राज्यसभा में नेता विपक्ष बनने की कसौटी पर खरे उतरते हैं। लेकिन चिदंबरम पार्टी में अपने स्वतंत्र मिजाज के लिए जाने जाते हैं और पार्टी के मौजूदा राजनीतिक समीकरणों के हिसाब से भी देखा जाए तो दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक से ताल्लुक रखने वाले खड़गे कांग्रेस के अध्यक्ष बनने जा रहे हैं, तब दक्षिण से आने वाले चिदंबरम के लिए नेता विपक्ष बनने की राह मुश्किल है।

मुकुल वासनिक, जयराम रमेश और अभिषेक मनु सिघवी भी हैं चेहरा

वह भी तब जब कई दिग्गज नेता किसी उत्तर भारतीय को संगठन की कमान देने का दबाव बना रहे थे मगर कांग्रेस नेतृत्व ने खड़गे पर भरोसा किया। इस लिहाज से भी मध्यप्रदेश के दिग्गज दिग्विजय सिंह की दावेदारी मजबूत दिख रही है। राज्यसभा में नेता विपक्ष के अन्य संभावित उम्मीदवारों में मुकुल वासनिक भी एक चेहरा हैं। वरिष्ठता के लिहाज से जयराम रमेश भी संभावितों की इस सूची में आते हैं, मगर अभी हाल ही में कांग्रेस के संचार महासचिव बने जयराम पार्टी के मीडिया प्रबंधन की सबसे चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी संभाल रहे हैं और उनकी इस मोर्चे पर सक्रियता कारगर भी दिख रही है।

अभिषेक मनु सिघवी हिन्दी भाषी प्रदेशों से राज्यसभा में नेता विपक्ष के लिए पार्टी के पास एक विकल्प हैं मगर राज्यसभा में आक्रमकता से विपक्ष की राजनीति को आगे बढ़ाने की जब बात उठेगी तो फिर इस कसौटी पर भी कांग्रेस को दिग्विजय सिंह ही बेहतर विकल्प नजर आएंगे।

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