हरियाणा हारने के बाद दोहरी हुई कांग्रेस की चुनौती, सहयोगी दलों को मिला दबाव बढ़ाने का मौका, इंडी गठबंधन का क्या होगा?
चुनाव परिणाम से पहले कांग्रेस हरियाणा में अपनी बंपर जीत को तय मानकर चल रही थी। मगर नतीजों ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया। भाजपा लगातार तीसरी बार सत्ता हथियाने में कामयाब रही। अब हरियाणा के चुनाव परिणामों का असर झारखंड और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में पड़ना तय हैं। दरअसल इन परिणामों से सहयोगी दलों को कांग्रेस पर दबाव बनाने का मौका मिल गया है।
संजय मिश्र, जागरण, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में मिले बल से उत्साहित कांग्रेस राज्यों में चुनावी पताका फहराने की हरियाणा की पहली ही राजनीतिक परीक्षा में विफल हो गई। राज्य में सत्ता विरोधी सुरों के बीच बने अनुकूल माने जा रहे माहौल के बावजूद लचर रणनीति के कारण हरियाणा तो कांग्रेस के हाथ से फिसला ही है। इसका असर पार्टी की गठबंधन राजनीति पर भी पड़ना लगभग तय है।
महाराष्ट्र और झारखंड में दिखेगा असर
लोकसभा चुनाव में 99 सीटें जीतकर विपक्ष की धुरी के रूप में उभरी कांग्रेस के इस लचर प्रदर्शन से उसके सामने भाजपा से मुकाबले के साथ ही आईएनडीआईए में शामिल घटक दलों के दबाव की चुनौती भी होगी। जाहिर तौर पर सहयोगी दल अपने प्रभुत्व वाले राज्यों में कांग्रेस का राजनीतिक प्रभाव कम करने का प्रयास करेंगे। महाराष्ट्र और झारखंड जैसे राज्यों के जल्द होने जा रहे चुनाव में इसका असर दिखेगा जहां सहयोगी दल कांग्रेस पर हावी होने की कोशिश करेंगे।
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कई दलों ने कांग्रेस पर कसा तंज
भाकपा, शिवसेना-यूबीटी और आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए इसकी झलक दिखा भी दी है। ये दल इन दोनों राज्यों में कांग्रेस के विरुद्ध अब फ्रंटफुट पर आकर ज्यादा आक्रामक राजनीतिक दांव खेलेंगे। लोकसभा चुनाव के बाद से विपक्ष के नेता के तौर पर कांग्रेस की राजनीति को आक्रामक तरीके से धार दे रहे लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी को भी हरियाणा के नतीजों से झटका लगा है।
जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब
किसान, जवान, नौजवान के साथ महंगाई-बेरोजगारी और जातीय जनगणना का चुनाव प्रचार में दिखा अस्त्र नतीजों में प्रभावी साबित नहीं हुआ। जम्मू-कश्मीर के चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ गठबंधन के कारण कांग्रेस जीत के पाले में है, मगर राज्य में उसका प्रदर्शन बेहद खराब रहा है। 32 सीटों पर गठबंधन कर चुनाव लड़ने के बावजूद उसे केवल छह सीटें मिली हैं और जम्मू-कश्मीर विधानसभा में पार्टी का एक भी हिंदू विधायक नहीं जीत पाया है।कांग्रेस पर दबाव बनाना शुरू
हरियाणा में कांग्रेस का प्रदर्शन कुछ-कुछ दक्षिण अफ्रीका की क्रिकेट टीम से मेल खाता है जो लीग और सेमीफाइनल जीतने के बाद फाइनल में बाजी गंवा देती है। आपसी गुटबाजी के आत्मघाती गोल से हरियाणा गंवाने का ही नतीजा है कि आईएनडीआईए के सहयोगी दलों ने कांग्रेस पर दबाव बनाने का अपना दांव चलने में देर नहीं लगाई। महाराष्ट्र चुनाव में उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री चेहरा घोषित करने से हिचक रही कांग्रेस को हरियाणा के बाद दबाव में लेने का दांव चलते हुए शिवसेना-यूबीटी ने भाजपा से सीधे लड़ने की उसकी क्षमता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।