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Ashok Gehlot vs Shashi Tharoor: 24 साल बाद कांग्रेस को मिल सकता है गैर गांधी परिवार से अध्‍यक्ष, पढ़ें इससे जुड़ी 10 महत्‍वपूर्ण बातें

अगले तीन दिनों में कांग्रेस अध्‍यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल करना शुरू हो जाएगा। यह चुनाव पिछले वर्ष के दौरान कई प्रमुख नेताओं द्वारा बाहर निकलने की पृष्ठभूमि में होगा। आखिरी बार जाने वालों में वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद थे।

By Arun Kumar SinghEdited By: Updated: Tue, 20 Sep 2022 08:12 PM (IST)
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राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत vs पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद शशि थरूर
नई दिल्‍ली, आनलाइन डेस्‍क। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के अध्‍यक्ष पद के चुनाव नहीं लड़ने से यह तय हो गया है कि अब कोई गैर गांधी परिवार से ही अध्‍यक्ष होगा। अध्‍यक्ष पद के लिए मुख्‍य मुकाबला राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री और गांधी परिवार के करीबी अशोक गहलोत और विद्रोही गुट (जी-23) से जुड़े और सांसद शशि थरूर के बीच हो सकता है। आजादी के बाद पिछले 73 साल में 38 साल गांधी परिवार से अध्यक्ष बने हैं।

वहीं 35 साल गैर गांधी परिवार से अध्यक्ष रहे हैं। गैर गांधी परिवार से कांग्रेस में आखिरी अध्यक्ष सीताराम केसरी थे। सीताराम केसरी 1996 से 1998 तक कांग्रेस अध्यक्ष रहे थे। उनके बाद से 22 साल हो गए, तब से कांग्रेस की कमान गांधी परिवार के हाथ में ही है। आइये जानते हैं इससे जुड़ी 10 महत्‍वपूर्ण बातें-

  1. पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद शशि थरूर ने सबसे पहले कांग्रेस अध्‍यक्ष लड़ने की इच्‍छा जाहिर की है। उनकी पकड़ हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं पर है। वह संयुक्‍त राष्‍ट्र समेत कई संस्‍थाओं में महत्‍वपूर्ण पद संभाल चुके हैं। उन्‍होंने कई चर्चित किताबें लिखी हैं। कांग्रेस अध्‍यक्ष का पद करीब 24 वर्षों से गांधी परिवार के पास रहा है, जिसमें या तो सोनिया गांधी अध्‍यक्ष रहीं या उनके बेटे राहुल गांधी। शशि थरूर कांग्रेस के जी-23 या 23 नेताओं के समूह के एक प्रमुख सदस्य हैं, जिन्होंने 2020 में सोनिया गांधी को पत्र लिखकर संगठनात्मक बदलाव का आह्वान किया था और नेतृत्व में बदलाव की मांग की थी। माना जा रह है कि शशि थरूर जो केरल से दो बार सांसद रहे हैं, वहां उन्‍हें ज्‍यादातर सांसदों या विधायकों का समर्थन हासिल नहीं है।
  2. शशि थरूर ने सोमवार को सोनिया गांधी से मुलाकात की, जो चिकित्सा जांच के लिए विदेश यात्रा से अभी वापस आई हैं। उन्होंने सोनिया गांधी से मुलाकात की और उन्हें 17 अक्टूबर का चुनाव लड़ने की अनुमति दी। सोनिया गांधी ने चुनाव में खुद के निष्‍पक्ष होने की बात कही थी।
  3. अशोक गहलोत के दूसरे उम्मीदवार के रूप में उभरने के बाद कांग्रेस के शीर्ष पद के लिए लड़ाई काफी कठिन हो गई है। वह राजस्थान के मुख्यमंत्री, एक गांधी परिवार के सबसे ज्‍यादा वफादार और हाल तक राहुल गांधी की पार्टी प्रमुख के रूप में वापसी के लिए दबाव बना रहे थे। उन्हें यथास्थिति को बरकरार रखने वालों और शीर्ष पद पर राहुल गांधी की वापसी के लिए मांग करने वालों के समर्थन मिलने की संभावना है।
  4. भारत जोड़ो यात्रा में शामिल कांग्रेस सांसद और पार्टी के महासचिव मीडिया प्रभारी जयराम रमेश ने कहा कि जो कोई भी चुनाव लड़ना चाहता है, वह स्वतंत्र है और ऐसा करने के लिए स्वागत है। यह कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी की लगातार स्थिति रही है। यह एक खुली, लोकतांत्रिक और पारदर्शी प्रक्रिया है। किसी को भी चुनाव लड़ने के लिए किसी की मंजूरी की जरूरत नहीं है।
  5. अगले तीन दिनों में कांग्रेस अध्‍यक्ष पद के लिए नामांकन दाखिल करना शुरू हो जाएगा। यह चुनाव पिछले वर्ष के दौरान कई प्रमुख नेताओं द्वारा बाहर निकलने की पृष्ठभूमि में होगा। आखिरी बार जाने वालों में वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद थे, जिनके बाहर निकलने का पार्टी की जम्मू और कश्मीर इकाई के अधिकांश नेताओं ने अनुकरण किया था। वहां के ज्‍यादातर नेताओं ने पार्टी छोड़ दी। उसके बाद गोवा में कांग्रेस के 11 विधायकों में से 8 विधायकों ने पार्टी छोड़ दी, जिसमें पूर्व मुख्‍यमंत्री दिगंबर कामत शामिल थे।
  6. कांग्रेस की वर्तमान अंतरिम अध्‍यक्ष सोनिया गांधी 19 साल तक कांग्रेस अध्यक्ष रहीं। उन्‍होंने 2017 में बेटे राहुल गांधी को प्रभार सौंपा था, 2019 के चुनाव में लगातार दूसरी बार पार्टी के हारने के उन्‍होंने अध्‍यक्ष पद छोड़ दिया था। इस चुनाव में राहुल गांधी अपनी पारंपरिक सीट अमेठी से भी हार गए। उसके बाद से सोनिया गांधी अंतरिम कांग्रेस प्रमुख हैं। इस दौरान पार्टी के आतंरिक संकट की जांच नहीं की। पार्टी नेतृत्व में व्यापक बदलाव की मांग को आगे बढ़ाने के बाद से पार्टी कई राज्यों के चुनाव को हार गई।
  7. वर्तमान में कांग्रेस की सबसे महत्‍वाकांक्षी भारत जोड़ो यात्रा का नेतृत्व राहुल गांधी कर रहे हैं। राहुल ने राजस्‍थान के सीएम अशोक गहलोत, छत्‍तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल सहित कांग्रेस नेताओं का एक वर्ग की निरंतर मांग के बावजूद अध्यक्ष के रूप में लौटने से इनकार कर दिया है। पिछले दिनों कांग्रेस की नौ राज्‍य इकाइयों ने फिर से राहुल गांधी को अध्‍यक्ष बनाने की मांग की थी। पिछले दिनों पार्टी को छोड़ने वाले नेताओं में से कुछ ने दावा किया है कि सोनिया गांधी के अंतरिम अध्‍यक्ष होने के बावजूद पार्टी के सारे फैसले राहुल गांधी लेते हैं। उन्‍होंने शिकायत की कि राहुल के चारों ओर एक मंडली है, जो पार्टी के महत्‍वपूर्ण फैसले लेती है।
  8. जैसे ही पार्टी के चुनावों की घोषणा की गई, नौ राज्य की कांग्रेस इकाइयों ने राहुल गांधी से अध्‍यक्ष के रूप में लौटने का आग्रह किया। चुनाव नजदीक आने के साथ ही इस तरह के और अनुरोध आने की संभावना है। पार्टी में कई लोग इसे चुनाव के साथ या बिना चुनाव के गांधी परिवार को प्रभारी बनाने के प्रयास के रूप में देखते हैं। वहीं करीब 150 दिनों की भारत जोड़ो यात्रा को राहुल गांधी को फिर से लांच करने के एक अन्य प्रयास के रूप में देखते हैं।
  9. कांग्रेस की अनियंत्रित तौर पर गिरावट को कई पार्टियों के लिए एक अवसर के रूप में देखा जा रहा है। यह स्थिति तृणमूल कांग्रेस और अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी जैसे विपक्षी दलों के लिए एक वरदान के रूप में आई है, जो राज्यों और विपक्षी दलों में प्रमुख स्थान बनने के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। गुजरात जहां करीब तीन महीने में विधानसभा चुनाव हैं, वहां अ‍रविंद केजरीवाल ने घोषणा की कि गुजरात में कांग्रेस 'समाप्त" हो गई है।
  10. नरसिम्हा राव सरकार के बाहर होने के लगभग दो साल बाद आखिरी गैर गांधी कांग्रेस अध्यक्ष सीताराम केसरी( 1996-1998) थे, जिनसे सोनिया गांधी ने मार्च 1998 में पदभार संभाला था। राजीव गांधी की हत्या के बाद सोनिया गांधी ने राजनीति से दूर रहने का फैसला किया था। कांग्रेस के निचले स्तर पर होने के कारण 1998 में सोनिया गांधी ने घोषणा की कि वह पार्टी में शामिल होंगी। उनकी अध्‍यक्षता में पार्टी 2004 और 2009 सत्‍ता में लौटी।     
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