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मल्लिकार्जुन खड़गे के मुकाबले शशि थरूर की सक्रियता बढ़ा रही कांग्रेस प्रबंधकों की बेचैनी

थरूर ने पार्टी कार्यकर्ताओं को बड़ा संदेश देते हुए नागपुर में बाबा साहेब आंबेडकर से जुड़ी दीक्षा भूमि पहुंचकर माथा टेका है। पदाधिकारियों से जुड़ने की अपील करते हुए कहा मेरी आवाज एक व्यक्ति की आवाज नहीं है। कोई काफी अकेला है और कोई अकेला ही काफी है।

By Jagran NewsEdited By: Arun kumar SinghUpdated: Sat, 01 Oct 2022 10:03 PM (IST)
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कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में मुकाबला अब मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर के बीच ही है।

 जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में मुकाबला अब मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर के बीच ही है। वैसे तो खड़गे की जीत लगभग तय मानी जा रही है लेकिन प्रबंधकों को थरूर की सक्रियता बेचैन कर रही है। उन्हें डर है कि पार्टी के भीतर बड़े बदलाव की उनकी मुहिम कोई बड़ा उठापटक न कर दे। थरूर ने सभी डेलीगेट के फोन नंबर भी मांगे हैं। नामांकन की जांच पड़ताल के बाद मैदान में बचे दोनों ही दिग्गज प्रचार में जुट गए हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे ने शनिवार को केरल भवन पहुंचकर पार्टी के वरिष्ठ नेता एके एंटनी से मुलाकात की।

थरूर ने शुरू किया प्रचार, डेलीगेट फोन नंबर मांगे

थरूर ने पार्टी कार्यकर्ताओं को बड़ा संदेश देते हुए नागपुर में बाबा साहेब आंबेडकर से जुड़ी दीक्षा भूमि पहुंचकर माथा टेका है। पार्टी के पदाधिकारियों से भी मुलाकात की। पदाधिकारियों से जुड़ने की अपील करते हुए कहा, 'मेरी आवाज एक व्यक्ति की आवाज नहीं है। कोई काफी अकेला है और कोई अकेला ही काफी है।' इससे पहले थरूर ने नामांकन के पहले राजघाट पहुंचकर गांधी जी की समाधि पर माथा टेककर एक बड़ा संदेश दिया था। वह पार्टी के जुड़े बदलावों को लेकर भी घोषणा पत्र भी जारी कर चुके हैं। पार्टी से जुड़े वरिष्ठ भी अब पर्दे के पीछे थरूर की तारीफ करते दिख रहे हैं।

थरूर के चुनाव लड़ने से पार्टी में गया नया संदेश

उनका कहना है कि थरूर का भले हारना तय है लेकिन वह जिस प्रोफेशनल तरीके से चुनाव लड़ रहे हैं उससे पार्टी के भीतर एक नया संदेश गया है। पार्टी के रणनीतिकारों का मानना है कि थरूर ने जिस तरह से युवाओं और महिलाओं की पार्टी में भागीदारी बढ़ाने और पार्टी को 21 वीं सदी की जरूरत के लिहाज से तैयार करने का अपना विजन दिया है, वह फैक्टर कहीं चुनाव में लोगों को कनेक्ट न कर जाए। वैसे भी कांग्रेस पार्टी के भीतर एक वर्ग लंबे समय से बदलाव की बात कर रहा है।

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