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Congress President Election: लोकप्रियता की कसौटी पर आगे मगर चुनावी दौड़ में खड़गे से पीछे शशि थरूर

Congress President Electionबेशक आम लोगों की इस सरगर्मी का इस चुनाव से कोई वास्ता नहीं मगर कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव की लोगों के बीच हो रही सियासी चर्चाओं में खड़गे के मुकाबले उनकी उम्मीदवारी की अहम भूमिका है।

By Sanjay MishraEdited By: Arun kumar SinghUpdated: Tue, 11 Oct 2022 09:22 PM (IST)
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कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर

 जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर का प्रचार जोर पकड़ने के साथ ही पार्टी के सियासी गलियारों में दिलचस्प सियासी विरोधाभास भी नजर आ रहा है। पार्टी के अधिकांश नेता जहां पूरी तरह खड़गे के पक्ष में होने का साफ संदेश दे रहे वहीं यह हकीकत भी स्वीकार कर रहे कि कांग्रेस के एक व्यापक कार्यकर्ता वर्ग में लोकप्रियता की कसौटी पर शशि थरूर उनका ध्यान खींच रहे हैं।

थरूर के चुनाव प्रचार की गंभीरता कर रही प्रभावित

अध्यक्ष चुनाव में वोट डालने वाले प्रदेश कांग्रेस के प्रतिनिधियों के बीच भी थरूर की चुनावी गंभीरता हलचल मचा रही है मगर उनकी चुनौती यह है कि उन्हें लोकप्रिय नेतृत्व और पार्टी प्रतिष्ठान की पसंद के बीच चुनाव करना है। इस लिहाज से कांग्रेस के वर्तमान संगठनात्मक ढांचे में पार्टी के व्यापक कुनबे को शशि थरूर की सियासी अपील की तुलना में 80 वर्षीय बुर्जुग दिग्गज मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ रहने में ही अपना राजनीतिक भविष्य ज्यादा सुरक्षित दिख रहा है। केरल और महाराष्ट्र से जुड़े पार्टी के कुछ नेताओं ने अध्यक्ष चुनाव को लेकर कांग्रेस की अंदरूनी सरगर्मी पर अनौपचारिक बातचीत में स्वीकार किया कि इसमें संदेह नहीं कि थरूर के चुनाव प्रचार की गंभीरता पार्टी के कार्यकर्ताओं और प्रतिनिधियों को प्रभावित कर रही है।

शशि थरूर से खुद को जोड़ रहे हैं युवा डेलिगेट

कांग्रेस में बदलाव के उनके विचारों को भी गहराई से नोटिस किया जा रहा है और विशेष रूप से युवा डेलिगेट उनकी बातों से खुद को जोड़ भी रहे हैं। अध्यक्ष चुनाव को लेकर पार्टी के अंदर चल रहे अंदरूनी विरोधाभास का संकेत शशि थरूर के मंगलवार को दिए इस बयान से भी मिलता है जिसमें उन्होंने कहा कि मैं इसे पूरी तरह वाकिफ हूं कि कई लोग कुछ कारणों से अब तक खुले तौर पर मेरा समर्थन करने के लिए नहीं आए हैं उन्होंने निजी तौर पर समर्थन व्यक्त किया है।'

थरूर की सियासी अपील इस चुनाव में उनकी सबसे बड़ी ताकत

थरूर के अनुसार, ऐसे नेताओं और प्रतिनिधियों को लगता है कि खुले तौर पर चुनौती देना उनके लिए मुनासिब नहीं है और ऐसे कई लोग उनके पक्ष में वोट डालने का विकल्प चुन सकते हैं। जाहिर तौर पर थरूर को भी मालूम है कि लोगों के बीच उनकी सियासी अपील ही इस चुनाव में उनकी सबसे बड़ी ताकत है और इसीलिए वे इसके सहारे ही अपने प्रचार अभियान को गति दे रहे हैं। कार्यकर्ताओं के अलावा आम लोगों के बीच भी थरूर सरगर्मी बढ़ा रहे हैं।

शहरी मध्यम वर्ग के बीच शशि थरूर को लेकर सकारात्मक नजरिया

बेशक आम लोगों की इस सरगर्मी का इस चुनाव से कोई वास्ता नहीं मगर कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव की लोगों के बीच हो रही सियासी चर्चाओं में खड़गे के मुकाबले उनकी उम्मीदवारी की अहम भूमिका है। शहरी पेशेवर मध्यम वर्ग जिसने 2014 में कांग्रेस के पतन और भाजपा के उत्थान का नैरेटिव रचते हुए उसका नेतृत्व किया, उसके बीच भी शशि थरूर को लेकर सकारात्मक नजरिया है।

राजनीतिक दशा-दिशा का वैचारिक आधार तैयार करने वाले इस वर्ग के लिए खड़गे की तुलना में थरूर स्वाभाविक रूप से ज्यादा करीब नजर आते हैं। इसको भांपते हुए ही थरूर लगातार अपने चुनाव अभियान के दौरान पार्टी जनों को यह संदेश देने का प्रयास कर रहे हैं कि जिस ग्रामीण-शहरी मध्यम वर्ग ने कांग्रेस को छोड़कर भाजपा को समर्थन दिया था, उसे वापस लाने में वे कारगर साबित होंगे।

थरूर की विद्वता, वाक कौशल और बेबाकी को किया जा रहा पसंद

उत्तरप्रदेश के एक डेलिगेट और बिहार से जुड़े पार्टी के एक वरिष्ठ नेता सह डेलिगेट ने भी कुछ ऐसी ही राय जाहिर करते हुए कहा कि इसमें संदेह नहीं कि नए नेतृत्व के लिए जनता के बीच लोकप्रियता की कसौटी पर थरूर की राष्ट्रीय अपील है। पार्टी कार्यकर्ताओं में भी उनकी विद्वता, वाक कौशल और बेबाकी को पसंद किया जा रहा है और इसकी तुलना में उत्तरी राज्यों में आम जनता के बीच खड़गे की पहुंच की अपनी सीमाएं हैं।

मगर कांग्रेस के लिए गांधी परिवार की प्रासंगिकता अपरिहार्य है और ऐसे में चाहे थरूर को लेकर लोकप्रिय रूझान ज्यादा सुनाई दे रहे हों लेकिन हमारे पास खड़गे को वोट देने का ही विकल्प है। कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में गांधी परिवार के तटस्थ रहने के ऐलान के बावजूद खड़गे को पार्टी प्रतिष्ठान का अघोषित उम्मीदवार माना जा रहा है और संभवत: चुनाव अभियान के इस दिलचस्प विरोधाभास की प्रमुख वजह यही है।

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