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कांग्रेस ने कहा- मुफ्त चुनावी वादों को नियंत्रित करने का चुनाव आयोग के पास नहीं है अधिकार

देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने मुफ्त चुनावी वादों को नियंत्रित करने की चुनाव आयोग की पहल को लाल झंडी दिखा दी है। इस पहल पर सवाल उठाते हुए पार्टी ने कहा है कि चुनाव आयोग के पास इसका अधिकार ही नहीं है।

By AgencyEdited By: Sonu GuptaUpdated: Fri, 28 Oct 2022 08:03 PM (IST)
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कांग्रेस ने कहा कि चुनाव आयोग के पास रेवड़ी जैसे मुद्दों को नियंत्रित करने का नहीं है अधिकार। (फाइल फोटो)

संजय मिश्र, नई दिल्ली। देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने मुफ्त चुनावी वादों को नियंत्रित करने की चुनाव आयोग की पहल को लाल झंडी दिखा दी है। इस पहल पर सवाल उठाते हुए पार्टी ने कहा है कि चुनाव आयोग के पास इसका अधिकार ही नहीं है। कांग्रेस के मुताबिक मुफ्त उपहार का मामला हमारे जीवंत लोकतंत्र की प्रणाली के अंर्तद्वंद का हिस्सा है और यह मतदाताओं के बुद्धि, विवेक और विश्लेषण पर निर्भर करता है। मतदाताओं के विवेक और बुद्धिमता की तीव्रता को कभी कम नहीं आंकना चाहिए।

चुनाव आयोग ने आदर्श आचार संहिता में संशोधन का दिया था प्रस्ताव

आयोग को अपने दायरे से बाहर नहीं जाने देने की दो टूक राय के साथ ही कांग्रेस ने उसे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की अपनी जिम्मेदारी निभाने पर फोकस करने की नसीहत भी दी है। चुनाव आयोग ने मुफ्त चुनावी वादों को नियंत्रित करने की पहल के तहत चार अक्टूबर को आदर्श आचार संहिता में संशोधन का प्रस्ताव दिया था। ताकि सरकारी खजाने पर बोझ की कीमत पर रेवड़िया देने की प्रवृत्ति पर रोक लगाई जा सके। इस प्रस्ताव को लेकर राजनीतिक दलों की काफी तीखी प्रतिक्रिया रही है।

मतदाता समझदारी से करता है फैसला

कांग्रेस ने शुक्रवार को अपना रूख साफ करते हुए जाहिर करते हुए कहा कि चुनाव आयोग अपने कानूनी हद से बाहर जाकर इसे नियंत्रित नहीं कर सकता। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने चुनाव आयोग को भेजे चार पन्नों के पत्र में कहा है कि मतदाता ऐसे चुनावी वादों और आश्वासनों का आकलन कर अपनी समझदारी से फैसला करता है। न तो चुनाव आयोग, न ही सरकार, और न ही अदालतों के पास ऐसे मुद्दों को न्यायसंगत और नियंत्रित करने का अधिकार है। इसलिए चुनाव आयोग के लिए ऐसा करने से बचना सबसे अच्छा होगा।

आयोग की पहल एक निरर्थक अभ्यास

आयोग के संशोधन प्रस्ताव में मुफ्त उपहार की परिभाषा को केवल उन्हीं तक सीमित करने की बात है जिनके पूरे होने की संभावना है। हर पार्टी अपना दावा करेगी कि उसके वादे लागू करने योग्य हैं और ऐसे में प्रस्तावित सीमा कैसे तय की जा सकती है। पार्टी के अनुसार इससे साफ लगता है कि आयोग की यह पहल एक निरर्थक अभ्यास है।

कांग्रेस ने बताया काल्पनिक समस्या

सिस्टम को ठीक करने की चुनाव आयोग की मंशा पर सवाल खड़े करते हुए कांग्रेस ने कहा कि उसकी राय में यह एक काल्पनिक समस्या है और ऐसा करने की कोई जरूरत नहीं है। पार्टी के अनुसार तथ्य यह है कि राजनीतिक दलों को अपने घोषणापत्र लिखने में सक्षम होने की आवश्यकता है। यह एक ऐसी भाषा है जो उनकी विचारधाराओं को सबसे अच्छी तरह व्यक्त करती है और यह कहना बेमानी है कि आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आप एक विस्तृत रोडमैप प्रदान करें कि वास्तव में वादा कैसे पूरा किया जाएगा।

स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित कराए आयोग

जयराम ने कहा कि चुनाव आयोग ने अतीत में अपनी शक्तियों के प्रयोग में बहुत समझदारी और संयम का प्रदर्शन किया है। ऐसे में आयोग को पहले मौजूदा कानूनों को सही तरीके से लागू कर स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने की अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए।

कांग्रेस ने उठाए सवाल

आदर्श आचार संहिता के तहत की गई शिकायतों पर चुनाव आयोग के रुख पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस ने उसे 2019 के आम चुनाव में सैन्य बलों के चुनाव प्रचार में इस्तेमाल को लेकर प्रधानमंत्री के खिलाफ की गई शिकायतों का मुददा उठाया है। साथ ही भारतीय रेलवे का चुनावी इस्तेमाल, आचार संहिता के उल्लंघन से जुड़ी उसकी लिखित शिकायतों को नजरअंदाज कर इनमें पीएम को क्लिन चिट देने जैसे वाकयों का जिक्र कर चुनाव आयोग को इन क्षेत्रों में सुधार की सलाह दी है।

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