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राजीव गांधी के हत्यारों को रिहा करना अस्वीकार्य और गलत, फैसले की वापसी के लिए उठाएंगे कानूनी कदम: कांग्रेस

कांग्रेस के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के इस कदम ने देश की अंतरात्मा को झकझोर दिया है। कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की वापसी के लिए आवश्यक कानूनी कदम उठाने की भी घोषणा की है। इस निर्णय को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।

By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh RajputUpdated: Fri, 11 Nov 2022 10:39 PM (IST)
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संप्रभुता का वास केंद्र सरकार में और ऐसे में उसकी राय को सुप्रीम कोर्ट द्वारा महत्व नहीं दिया जाना अनुचित।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों को रिहा करने के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को पूरी तरह गलत और अस्वीकार्य बताते हुए इसकी स्पष्ट शब्दों में निंदा की है। इस निर्णय को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए पार्टी ने कहा है कि सर्वोच्च न्यायालय ने इस मुद्दे पर देश की जन भावनाओं के अनुरूप कार्य नहीं किया है। कांग्रेस ने कहा कि वह सोनिया गांधी से अहमत हैं जिन्होंने इन्हें रिहा किए जाने की बात कही थी।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले कांग्रेस ने की निंदा

कांग्रेस के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के इस कदम ने देश की अंतरात्मा को झकझोर दिया है। कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले की वापसी के लिए आवश्यक कानूनी कदम उठाने की भी घोषणा की है। कांग्रेस की ओर से वरिष्ठ वकील और पार्टी प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने इसके बाद प्रेस कांफ्रेंस कर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की धज्जियां उड़ाई। उन्होंने कहा कि पहला यह फैसला दुनिया को एक संदेश भेजता है कि हम इन हत्यारों को उनके अपराध की प्रकृति को भूलकर इस तरह के लाभ देते हैं।

सुप्रीम कोर्ट में गुजरात राज्य बनाम नारायण

दूसरा यहां तक की सर्वोच्च न्यायालय ने खुद कहा है कि एक निश्चित समयावधि के बाद रिहा होने की कोई व्यापक गारंटी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में गुजरात राज्य बनाम नारायण के मामले में देखा गया कि रिहाई का कोई पूर्ण अधिकार नहीं है और प्रत्येक मामले को उसके गुण-दोषों के आधार पर तय किया जाना है। सिंघवी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार की सिफारिश को आधार बनाते हुए अपने निर्णय को सही ठहराया है लेकिन सच यह भी है कि अंतिम शब्द सर्वोच्च अदालत के पास है और इस मामले में अधिक विस्तार से विचार नहीं किया जाना चिंताजनक है।

कांग्रेस प्रवक्ता ने इस फैसले को लेकर सर्वोच्च अदालत से सवाल करते हुए कहा कि अपराध की प्रकृति से अवगत होने के बावजूद भविष्य में इसी तरह के कई अन्य गंभीर मामलों के अभियुक्तों के समान दावों से वह कैसे निपटेगा? सुप्रीम कोर्ट अब इसी तरह के अन्य दावों को कैसे खारिज कर सकता है, भले ही जघन्य अपराध किया गया हो?) यदि बीमारी, अच्छा व्यवहार रिहाई का आधार है तो इस सरकार द्वारा लाए गए आरोपों पर इतने सारे व्यक्ति अभी भी हिरासत में क्यों हैं? कांग्रेस के अनुसार ऐसे मानकों को लागू करते समय सर्वोच्च न्यायालय चयनात्मक नहीं हो सकता।

भारत की संप्रभुता और अखंडता पर हमला: सिंघवी

सिंघवी ने कहा कि देश के एक पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या एक अलग ही पायदान का मामला है क्योंकि राजनीतिक रंग के बावजूद ऐसा व्यक्ति देश की संप्रभुता के प्रतीक चिन्ह को दर्शाता है। इस अर्थ में किसी भी पूर्व या वर्तमान प्रधानमंत्री पर हमला भारत की संप्रभुता और अखंडता पर हमला है और इसे सामान्य प्रशासनिक तरीकों से नहीं लिया जा सकता।

इस मामले में अदालत के लिए आवश्यक था कि वह केंद्र सरकार के विचारों को ध्यान में रखती क्योंकि उन्हीं में यह संप्रभुता वास करती है। यह संप्रभुता राजनीतिक रंग की परवाह किए बिना प्रधानमंत्रियों की निरंतरता है। इस मामले में न्यायालय द्वारा केंद्र सरकार को पर्याप्त महत्व नहीं दिया गया जिसकी राज्य सरकार के रुख से स्पष्ट असहमति थी।

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