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यूपी उपचुनाव: सपा के सामने कांग्रेस का समर्पण! पढ़िए पर्दे के पीछे की असली इनसाइड स्टोरी

उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों गाजियाबाद खैर कटेहरी सीसामऊ कुंदरकी करहल फूलपुर मझवां और मीरापुर पर उपचुनाव होना है। दसवीं सीट मिल्कीपुर के लिए अभी चुनाव की घोषणा नहीं हुई है लेकिन सपा और कांग्रेस के बीच इन दस सीटों के बंटवारे के लिए कई महीनों से कसरत चल रही थी। हालांकि अखिलेश ने यह साफ कर दिया कि इंडी गठबंधन नहीं टूटेगा।

By Jagran News Edited By: Narender Sanwariya Updated: Thu, 24 Oct 2024 10:00 PM (IST)
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राहुल गांधी और अखिलेश यादव (Photo Jagran)
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अंतत: सारी अटकलों पर विराम लग गया। न तो कांग्रेस को तीसरी सीट देने के लिए सपा तैयार हुई और ना ही इतने दिन से सभी सीटों पर तैयारी की हुंकार के साथ मुट्ठी भींच रही कांग्रेस अकेले मैदान में ताल ठोंकने का साहस जुटा पाई। उत्तर प्रदेश में सीटों को लेकर आईएनडीआईए में मची खींचतान का नई दिल्ली में पटाक्षेप इस ऐलान के साथ हुआ कि कांग्रेस नौ में से एक भी सीट पर उपचुनाव नहीं लड़ेगी, बल्कि सपा को समर्थन देगी।

कांग्रेस के उत्तर प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय और प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने कहानी तो सपा के साथ दोस्ती को आगे बढ़ाने की सुनाई है, लेकिन इस गठबंधन की अंतरकथा में आपसी कलह, व्यथा और सपर्पण की। हरियाणा में उपेक्षा का कड़वा घूंट पी चुकी सपा ने यूपी में अपना दम दिखाया तो खुद को कमजोर आंक रही कांग्रेस को बुझे मन से सपा की ओर फिर दोस्ती का हाथ बढ़ाना ही पड़ा।

हरियाणा को लेकर अति विश्वास

लोकसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस का गठबंधन इनके लिए फलदायी साबित हुआ, इसलिए सपा और कांग्रेस, दोनों ही अधिक से अधिक सीटों पर लड़कर जीत के इस माहौल का संदेश 2027 के विधानसभा चुनाव तक ले जाना चाहते थे। लोकसभा चुनाव में छह सीटें जीत चुकी कांग्रेस हरियाणा विधानसभा चुनाव में जीत को लेकर इतनी आशान्वित थी कि उत्तर प्रदेश कांग्रेस इकाई ने सपा को पांच-पांच सीटों पर उपचुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया। प्रस्ताव के साथ ही सभी सीटों पर प्रभारी व पर्यवेक्षक नियुक्त कर दिए और संविधान बचाओ संकल्प सम्मेलन किए।

हरियाणा की हार से कांग्रेस के तेवर ढीले

प्रदेश के नेताओं ने कई बार खुले तौर पर कहा कि सपा यदि समझौते में सम्मानजनक सीटें नहीं देती है तो कांग्रेस की तैयारी सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की है। इस बीच हरियाणा में अव्वल तो कांग्रेस हाईकमान ने सपा को पूरी तरह नजरअंदाज करते हुए एक भी सीट नहीं दी, फिर कांग्रेस चुनाव भी हार गई। इस परिणाम का असर यूपी में यह हुआ कि कांग्रेस के तेवर कुछ ढीले पड़ गए। पांच सीटों की मांग तीन पर आ ठिठकी।

बेनतीजा रही बैठक

सूत्रों के अनुसार, इस बीच सपा की ओर से कांग्रेस के साथ दोस्ती बनाए रखने की प्रतिबद्धता जताते हुए दो सीटों गाजियाबाद और खैर पर लड़ने की पेशकश की गई, जबकि कांग्रेस फूलपुर के लिए भी दावा कर रही थी। हाल ही में तीसरी सीट के लिए दोनों दलों के बीच बैठक भी हुई, लेकिन बेनतीजा रही।

कांग्रेस एक भी सीट नहीं लड़ेगी

सपा प्रत्याशी दर प्रत्याशी घोषित करती गई और यूपी कांग्रेस का प्रस्ताव न सिर्फ सपा, बल्कि कांग्रेस हाईकमान के पास भी ठंडे बस्ते में पड़ा रहा। आखिरकार, प्रदेश प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष सहित अन्य नेता दिल्ली आए। शीर्ष नेतृत्व संग चर्चा की और निर्णय हुआ कि कांग्रेस एक भी सीट नहीं लड़ेगी।

2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारी

आम चर्चा है कि कांग्रेस उसे दी जा रही दोनों सीटों पर खुद को कमजोर मान रही थी और हार का धब्बा अपने ऊपर लगाने की बजाए सभी सीटों के रणनीतिक त्याग को ही सही माना। प्रभारी और अध्यक्ष ने यहां गुरुवार को प्रेसवार्ता में दावा किया कि सहमति से यह निर्णय भाजपा को हराने के लिए किया है और कांग्रेस अब 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारी करेगी। सपा के सिंबल पर कांग्रेस प्रत्याशी को लड़ाए जाने से भी कांग्रेस नेताओं ने इनकार कर दिया।

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