'प्रधानमंत्री बताएं 50 प्रतिशत की सीमा हटाएंगे या नहीं', आरक्षण को लेकर कांग्रेस का BJP पर पलटवार
कांग्रेस ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एससी-एसटी और ओबीसी आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा को हटाने पर अपना रुख साफ करने को कहा है।भाजपा पर पलटवार करते हुए कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि भाजपा संविधान में बदलाव का अधिकार पाने के लिए 400पार के आंकड़े की बात कर रही है। रमेश ने आरोप लगाया कि सच्चाई यह है कि भाजपा-संघ संविधान पर प्रहार कर रहा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चुनाव अभियान में आरक्षण तथा संविधान पर जारी वार-पलटवार के बीच कांग्रेस ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एससी-एसटी और ओबीसी आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा को हटाने पर अपना रुख साफ करने को कहा है। कांग्रेस ने कहा कि एससी-एसटी आरक्षण की 50 फीसद सीमा बढ़ाने के लिए पार्टी एक संवैधानिक संशोधन की बात कर रही जिसे भाजपा-पीएम मोदी सांप्रदायिक रंग देने का प्रयास कर रहे हैं।
भाजपा संविधान बदलने की करते रहे हैं बात
इसको लेकर भाजपा पर पलटवार करते हुए कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि भाजपा 'संविधान में बदलाव का अधिकार पाने के लिए '400 पार' के आंकड़े की बात कर रही है। संविधान में बदलाव को लेकर कांग्रेस पर पीएम-भाजपा के हमलों का जवाब देने के लिए पार्टी मुख्यालय में प्रेस कांफ्रेंस करते हुए जयराम रमेश आरोप लगाया कि सच्चाई यह है कि भाजपा-संघ संविधान पर प्रहार कर रहा और इसको बदलने के इरादे जाहिर करता रहा है।
भले ही पीएम सीधे इस बारे में कुछ नहीं बोलते मगर उनकी कठपुतलियां संविधान में बदलाव की बात खुलकर कहते हैं। प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार ने सबसे पहले संविधान बदलने बात की, फिर भाजपा के कुछ सांसदों से लेकर लोकसभा के उसके कई उम्मीदवारों ने इसे दोहराया। कांग्रेस महासचिव ने कहा कि संविधान पर मंडराते इस खतरे के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए ही राहुल गांधी चुनावी सभाओं में संविधान की प्रति दिखा रहे हैं।
संविधान पर खतरे की आशंका
जयराम ने कहा कि संविधान पर खतरे की आशंका इसलिए बेबुनियाद नहीं कि यह पहली बार नहीं है कि भाजपा और आरएसएस ने 'संविधान बदलो' का नारा दिया है, 1949 से ही संविधान में बदलाव की मांग आरएसएस ने यह कहते हुए जारी रखी है कि हमारा संविधान मनुस्मृति से प्रेरित नहीं है।अपने दावे के समर्थन में उन्होंने आरएसएस के मुखपत्र आर्गनाइजर के 30 नवंबर, 1949 में प्रकाशित एक लेख का हवाला दिया जिसमें कहा गया था भारत के नए संविधान के बारे में सबसे बुरी बात यह है कि इसमें कुछ भी भारतीय नहीं है, संविधान के रचनाकारों ने ब्रिटिश, अमेरिकी, कनाडाई, स्विस और कई अन्य संविधानों के तत्वों को शामिल किया है। लेकिन मनुस्मृति से कोई प्रेरणा नहीं ली है और इसमें सुधार की जरूरत है। जयराम ने जनसंघ के दिग्गज नेता पंडित दीन दयाल उपाध्याय की संविधान को लेकर 1960 में की गई एक इसी तरह की टिप्पणी का हवाला देते हुए दावा किया कि संविधान बदलना संघ-भाजपा के एजेंडे में शुरू से रहा है।