हरियाणा का कड़वा घूंट अब और नहीं पीना चाहती कांग्रेस, सख्त एक्शन की तैयारी में खरगे-राहुल
हरियाणा में मिले जोरदार झटके के बाद अब कांग्रेस बड़े बदलाव की तैयारी में है। पार्टी हाईकमान अब सूबे के पार्टी ढांचे की अंदरूनी बीमारी के इलाज में जुट गया है। इससे पहले हार की समीक्षा बैठक में हरियाणा से किसी भी गुट के नेता को न बुलाकर हाईकमान ने अपनी नाराजगी का संदेश दे दिया था। पार्टी आगे भी कई सख्त एक्शन लेने की तैयारी में है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। हरियाणा के चुनाव में अप्रत्याशित हार के कारणों की पड़ताल में कांग्रेस नेतृत्व न बहुत देर करेगा और न ही अब सूबे के पार्टी ढांचे की अंदरूनी बीमारी को लाइलाज बनने की मोड़ तक जाने देगा। इसके मद्देनजर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे द्वारा जल्द ही वरिष्ठ केंद्रीय नेताओं की एक जांच समिति का गठन किए जाने के पार्टी ने संकेत दिए हैं।
हार की समीक्षा की यह पहल केवल समिति की पड़ताल तक ही नहीं रहेगी, बल्कि पार्टी से मिले संकेतों से साफ है कि सूबे में कांग्रेस की चुनावी उम्मीदों को धराशायी करने वाले नेताओं को इसमें निभाई गई भूमिकाओं का तथ्यों-साक्ष्यों समेत आईना दिखाया जाएगा। कांग्रेस हाईकमान की ओर से हार की समीक्षा के लिए गुरूवार को बुलाई गई बैठक में हरियाणा से पार्टी के किसी भी गुट के नेता को नहीं बुलाया जाना इसका ही एक संकेत है और हाईकमान ने अपनी नाराजगी का भी संदेश दिया है।
राजनीतिक ग्राफ पर लगा विराम
हरियाणा की हार से पार्टी नेतृत्व इसलिए भी परेशान है कि लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस का जो राजनीतिक ग्राफ उपर जा रहा था, उस पर फिलहाल विराम लग गया है। साथ ही विपक्षी आईएनडीआईए के घटक दल अब महाराष्ट्र-झारखंड समेत कई राज्यों में पार्टी के राजनीतिक विस्तार के एजेंडे में अड़चन डालने के लिए सक्रिय हो गए हैं।
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इसलिए हरियाणा की कहानी कांग्रेस अब किसी अन्य राज्य में नहीं दुहराना चाहती, जहां चुनावी माहौल अनुकूल होने के बाद भी उसे पराजय की कड़वी घूंट पीनी पड़े। बताया जाता है कि खरगे और राहुल गांधी संग चुनाव नतीजों पर गुरूवार को प्रारंभिक समीक्षा बैठक में इसके मद्देनजर ही तय हुआ कि संगठन को भितरघात मुक्त करने के लिए कठोर कदम उठाने से परहेज नहीं किया जाएगा।
हरियाणा के नेताओं को बैठक में नहीं बुलाया
इसका प्रारंभिक संदेश देने के लिए ही हार की समीक्षा बैठक में हरियाणा के वरिष्ठ पार्टी नेताओं को आमंत्रित नहीं किया गया। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुडडा और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उदय भान का नाम इस बैठक में आने वाले नेताओं की सूची में पहले रखा गया मगर बाद में सूबे के नेताओं से अलग से चर्चा करने की बात कह दोनों को आने से मना कर दिया गया, जबकि कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला को तो बुलाया ही नहीं गया था।
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सूत्रों ने बताया कि सुरजेवाला और सैलजा सरीखे नेताओं को जमीनी पड़ताल की रिपोर्ट के साथ-साथ चुनाव अभियान के दौरान खुले तौर पर जाहिर की गई नाराजगी से जुड़े सवालों का हाईकमान को जवाब देना पड़ेगा। पार्टी के रणनीतिकारों के अनुसार जब कांग्रेस नेतृत्व ने चुनावी रणनीति की बागडोर हुडडा को सौंप दी थी तो राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं से जुड़े मसले का जीत के बाद सम्मानजक समाधान निकालने के तमाम विकल्प रहते, मगर इन नेताओं ने केवल अपनी महत्वाकांक्षा को तवज्जो देकर कांग्रेस के हित को पीछे कर दिया और हाईकमान इस पहलू की भी अनदेखी नहीं कर सकता।